देश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में ओबीसी वर्ग के लिए स्वीकृत प्रोफेसर पदों में से 80% अभी भी खाली हैं। यह स्थिति उच्च शिक्षा में समान प्रतिनिधित्व और आरक्षण लागू होने पर गंभीर सवाल खड़े करती है।