राजनीतिक कारणः हाल ही में कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि भाजपा ने सामागुरी के मुस्लिम बहुल इलाके में चुनाव जीतने के लिए गोमांस बांटा था। इस आरोप के बाद भाजपा बचाव में उतर पड़ी। उसे बयानों के जरिये तमाम सफाइयां देना पड़ीं। अभी तक चुनाव में शराब बांटने के आरोप लगते रहे हैं लेकिन गोमांस बांटने का आरोप पहली बार लगा था। अब मुख्यमंत्री ने जवाब में कहा कि अगर राज्य कांग्रेस प्रमुख भूपेन कुमार बोरा उन्हें पत्र लिखकर मांग करें तो वह असम में गोमांस पर प्रतिबंध लगाने के लिए तैयार हैं। यानी सरमा ने बीफ पर अब जो बैन लगाया है, अप्रत्यक्ष रूप से उसके लिए कांग्रेस को ही जिम्मेदार ठहरा दिया है।
उत्तर पूर्व (नॉर्थ ईस्ट) राज्यों में गोमांस बड़े पैमाने पर खाया जाता है। नागालैंड, मणिपुर आदि में गोमांस मुख्य भोजन में शामिल रहता है। बीबीसी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि- इतिहास बताता है कि प्राचीन भारत से लेकर सिंधु घाटी सभ्यता तक में गोमांस और जंगली सूअर का व्यापक रूप से सेवन किया जाता था। 1500 और 500 ईसा पूर्व के बीच वैदिक युग में पशु और गाय की बलि आम थी - मांस देवताओं को चढ़ाया जाता था और फिर दावतों में खाया जाता था।
पियू रिसर्च में कहा गया है कि भारत में सिर्फ 39 फीसदी लोग शाकाहार यानी वेजिटेरियन हैं। करीब 81 फीसदी लोगों ने कहा कि वे मांसाहारी यानी नॉन वेजिटेरियन हैं। ये अलग बात है कि सारे मांसाहारी अलग-अलग तरह का मीट (मांस) खाना पसंद करते हैं। कश्मीर, उत्तराखंड में तो ब्राह्मण भी मांसाहारी हैं।