असम कांग्रेस ने गायक जुबीन गर्ग की मौत को लेकर बड़ा बयान दिया, कहा– यह महज़ हादसा नहीं बल्कि सिस्टेमेटिक प्लानिंग का संकेत हो सकता है। इसने राष्ट्रपति को ख़त क्यों लिखा?
असम कांग्रेस ने जुबीन गर्ग की अचानक मृत्यु पर सनसनीखेज दावा किया है। विपक्ष के नेता देबब्रत साइकिया ने अपने पत्र में दावा किया है कि जुबीन गर्ग की मृत्यु संदिग्ध परिस्थितियों में हुई है और इसमें एक षड्यंत्र की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि घटनक्रमों से 'सिस्टेमेटिक प्लानिंग' का संकेत मिलता है। साइकिया ने इस जाँच को गुवाहाटी उच्च न्यायालय के किसी सेवारत या सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में कराने की मांग की है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर केंद्रीय जाँच ब्यूरो से जाँच कराने की मांग की है।
जुबीन गर्ग की मृत्यु 19 सितंबर को सिंगापुर में हुई। वह नॉर्थ ईस्ट इंडिया फेस्टिवल में हिस्सा लेने के लिए सिंगापुर गए थे। आधिकारिक जानकारी के अनुसार, उनकी मृत्यु समुद्र में तैराकी के दौरान डूबने से हुई। सिंगापुर के अधिकारियों द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण पत्र में भी डूबने को मृत्यु का कारण बताया गया है। हालांकि, इस मामले में कई सवाल अनुत्तरित हैं, जिसके चलते असम में जनता और राजनीतिक दलों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
जुबीन गर्ग की मृत्यु के बाद असम सरकार ने तीन दिनों के राजकीय शोक की घोषणा की थी। उनके पार्थिव शरीर को सिंगापुर से दिल्ली और फिर गुवाहाटी लाया गया, जहां 23 सितंबर को सोनापुर के कमरकुची में पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान लाखों प्रशंसकों ने अपने प्रिय गायक को अंतिम विदाई दी।
असम कांग्रेस का सनसनीखेज दावा
कांग्रेस नेता देबब्रत साइकिया ने अपने पत्र में कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने पत्र में दावा किया कि जुबीन गर्ग न केवल एक गायक थे, बल्कि एक क्रांतिकारी आवाज भी थे और उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीएए और पर्यावरण विनाश के खिलाफ खुलकर अपनी बात रखी थी। साइकिया ने कहा कि जुबीन ने सीएए के खिलाफ आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी और उनकी यह टिप्पणी 'मैं मर जाऊंगा, लेकिन असम में सीएए लागू नहीं होने दूंगा' से कुछ राजनीतिक ताकतों के निशाने पर आ गए थे।
साइकिया ने बताईं संदिग्ध परिस्थितियाँ
राष्ट्रपति को लिखे पत्र में साइकिया ने दावा किया कि जुबीन ने अपने क़रीबी लोगों को बताया था कि उन्हें सिंगापुर यात्रा के लिए काफी दबाव डाला गया था। आमतौर पर वह अपने परिवार या बड़े दल के साथ यात्रा करते थे, लेकिन इस बार उनके साथ सीमित लोग थे, जो सामान्य नहीं था।
साइकिया ने दावा किया कि नॉर्थ ईस्ट इंडिया फेस्टिवल के आयोजक श्यामकानु महंत ने पहले प्रचार किया था कि जुबीन इस आयोजन में हिस्सा लेंगे, लेकिन बाद में दावा किया कि वह केवल आराम करने के लिए सिंगापुर गए थे। साइकिया ने इसे 'जानबूझकर भ्रामक' या 'आपराधिक लापरवाही' करार दिया।
साइकिया ने कहा कि जुबीन को मिर्गी (सीजर डिसऑर्डर) की समस्या थी, जिसके कारण उन्हें पानी में गतिविधियों से बचने की सलाह दी गई थी। इसके बावजूद उन्हें बिना लाइफ जैकेट के तैराकी के लिए प्रोत्साहित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप उनकी मृत्यु हो गई।
साइकिया ने आगे कहा, 'घटनाओं का यह क्रम एक व्यवस्थित योजना को दिखाता है: यात्रा से पहले दबाव, साथ में यात्रा करने पर पाबंदी, उनकी बीमारी के कारण परिवार के बिना अकेला रहना, आयोजक द्वारा विरोधाभासी बयान, अज्ञात कारण से नौका यात्रा, खतरनाक जल गतिविधियों के लिए बढ़ावा और अंत में जानलेवा दौरा। कई सालों तक बेखौफ राजनीतिक विरोध के बाद यह कदम उठाया गया, जिससे लगता है कि असम की सबसे मज़बूत प्रतिरोध की आवाज़ को जानबूझकर खत्म करने की कोशिश की गई।'
सीबीआई जांच की मांग
साइकिया ने अपने पत्र में कहा कि असम सीआईडी को इस मामले की जांच सौंपी गई है, लेकिन सिंगापुर में हुई इस घटना के कारण राज्य पुलिस के सामने 'क्षेत्रीय सीमाएं' हैं। सिंगापुर में गवाहों से पूछताछ करने या वहां के मेडिकल रिकॉर्ड तक पहुंचने में असम पुलिस को कठिनाई हो रही है। इसलिए, उन्होंने राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि सीबीआई को इस जांच में शामिल किया जाए और इसे गुवाहाटी उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश की निगरानी में किया जाए। साइकिया ने कहा कि केवल एक स्वतंत्र और पारदर्शी जांच ही असम के लोगों में विश्वास बहाल कर सकती है।
असम सरकार की प्रतिक्रिया
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एक विशेष जांच दल यानी एसआईटी का गठन किया है, जिसकी अगुवाई विशेष डीजीपी एम.पी. गुप्ता कर रहे हैं। सरमा ने आश्वासन दिया है कि इस जांच में पूरी पारदर्शिता बरती जाएगी और कोई भी दोषी बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि जुबीन के विसरा नमूनों को दिल्ली के सेंट्रल फॉरेंसिक लैबोरेटरी यानी सीएफएल में विस्तृत जाँच के लिए भेजा जाएगा।
इसके अलावा असम पुलिस ने गुवाहाटी में जुबीन के मैनेजर सिद्धार्थ शर्मा और आयोजक श्यामकानु महंत के घरों पर छापेमारी की। हालाँकि, दोनों के परिवारवाले छापेमारी के समय मौजूद नहीं थे।
जुबीन गर्ग: असम की सांस्कृतिक धरोहर
52 वर्षीय जुबीन गर्ग असम के सबसे लोकप्रिय गायकों में से एक थे। उनकी आवाज ने असमिया, हिंदी और बंगाली संगीत को एक नई ऊँचाई दी। 'या अली' जैसे गीतों ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि दिलाई। इसके अलावा वे सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपनी बेबाक राय के लिए जाने जाते थे। उनकी मृत्यु ने असम में एक शून्य पैदा कर दिया है, जिसे भरना मुश्किल है।