Smrat Chaudhary Serious Charges: प्रशांत किशोर ने दावा किया है कि बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने 1995 में हत्या के मामले में मुकदमे से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट से झूठ बोला था। बिहार चुनाव से पहले सम्राट चौधरी तमाम आरोपों से घिरते जा रहे हैं।
जनसुराज पार्टी के अध्यक्ष प्रशांत किशोर और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी
बिहार विधानसभा चुनावों की घोषणा से पहले राजनीतिक तापमान और तेज हो गया है। जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने रविवार को बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने 1995 के एक हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के सामने झूठ बोला ताकि मुकदमे से बच सकें। किशोर ने चौधरी पर लगभग तीन दशक पुराने इस मामले में छह लोगों की हत्या के आरोप में फंसने का भी दावा किया है। प्रशांत किशोर लगातार सम्राट चौधरी को घेर रहे हैं।
प्रशांत किशोर ने सोमवार को पटना में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, "डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट में झूठ बोला ताकि हत्या केस में ट्रायल से बच सकें।" उन्होंने आरोप लगाया कि चौधरी पर उनके पैतृक तारापुर, मुंगेर जिले में 1995 में छह लोगों की हत्या का मुकदमा चला था। किशोर ने दावा किया कि चौधरी ने कोर्ट में गलत बयान देकर खुद को निर्दोष साबित करने की कोशिश की, जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।
क्या झूठ बोला था सम्राट चौधरी ने
प्रशांत किशोर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि 1995 में तारापुर में सात निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या हुई थी और ये सभी कुशवाहा समाज से थे। इस मामले में सम्राट चौधरी न केवल आरोपी थे, बल्कि अभियुक्त भी थे। 24 अप्रैल 1995 को अदालत में उनके नाबालिग होने के दस्तावेज़ पेश किए गए, जिनमें जन्मतिथि 1981 दर्ज थी। इसका मतलब था कि उस समय उनकी उम्र केवल 15 साल थी, यानी वे नाबालिग थे। इसी कारण उन्हें रिहा कर दिया गया। लेकिन 2020 में जब उन्होंने चुनावी हलफनामा भरा, तो उन्होंने अपनी उम्र 51 साल बताई। इसका मतलब हुआ कि 1995 में उनकी उम्र 26 साल थी और वे नाबालिग कतई नहीं थे। यह विरोधाभास एक गहरी साजिश की ओर इशारा करता है। प्रशांत किशोर ने सवाल किया, क्या अदालत में जमा किए गए दस्तावेज़ फर्जी थे।
इस आरोप ने राजनीतिक हलकों में हंगामा मचा दिया है। नीतीश कुमार सरकार में भाजपा के प्रमुख नेता सम्राट चौधरी पर विपक्षी दलों की ओर से पहले भी कई हमले हो चुके हैं, लेकिन यह आरोप सुप्रीम कोर्ट से जुड़े होने के कारण और संवेदनशील हो गया है। किशोर, जो खुद बिहार की राजनीति में नया धुरी बनकर उभर रहे हैं, ने कहा कि वे इस मामले को लेकर जल्द ही कानूनी कदम उठाएंगे और जनता के सामने सच्चाई लाएंगे।
उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की ओर से अभी तक इस आरोप पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। भाजपा नेताओं ने इसे 'राजनीतिक साजिश' करार दिया है, लेकिन विस्तृत बयान का इंतजार किया जा रहा है। बिहार चुनावों में अपराध और भ्रष्टाचार के मुद्दे प्रमुख हैं, और यह विवाद एनडीए और महागठबंधन के बीच जंग को और भड़का सकता है।
प्रशांत किशोर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में चौधरी के अलावा बिहार की राजनीति पर भी कई तीखे सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार में कई नेता ऐसे हैं जो कानून से ऊपर समझते हैं, और जन सुराज ऐसी व्यवस्था लाएगा जहां न्याय सबके लिए समान होगा।
यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है, जहां चौधरी ने कथित तौर पर झूठे हलफनामे पर हस्ताक्षर किए थे। 1995 के तारापुर हत्याकांड में ग्रामीण इलाकों में जातीय हिंसा का मामला था, जिसमें छह निर्दोष लोगों की जान गई थी। प्रशांत किशोर के अनुसार, चौधरी आरोपी थे लेकिन कोर्ट में गलत जानकारी देकर बरी हो गए।
प्रशांत किशोर 10 दिनों पहले भी सम्राट चौधरी और नीतीश कुमार कैबिनेट के अन्य मंत्रियों पर करप्शन के आरोप लगा चुके हैं। किशोर ने कहा था कि उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी नाम बदलने के विशेषज्ञ हैं। वह बताएं कि उन्होंने मैट्रिक कब पास किया। क्या सम्राट चौधरी ने बिना मैट्रिक पास किया डीलिट. की डिग्री ले ली है। पीके यह भी कह चुके हैं कि सम्राट चौधरी पर 1998 में कांग्रेस नेता सदानंद सिंह की बम मारकर हत्या करने का आरोप लगा लेकिन नाबालिग बताकर छह महीने में जेल से निकल गए।
भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने अपनी पार्टी के नेताओं और मंत्रियों पर लगाए गए आरोपों पर कहा कि जिन पर भी आरोप लगे हैं उन्हें सामने आकर जवाब देना चाहिए क्योंकि ऐसा नहीं करने से पार्टी की छवि धूमिल हो रही है। उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की डिग्री पर सवाल उठने के बारे में उन्होंने कहा कि उनके पास जो डिग्री है उन्हें दिखा देना चाहिए। इसी तरह नाम बदलने के मामले में भी उन्होंने स्थिति साफ करने के लिए कहा। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल पर लगे आरोप के बारे में उनका कहना था कि उन्हें यह बताना चाहिए की मेडिकल कॉलेज हड़पने के उन पर लगे आरोप सही है या नहीं। आरके सिंह यही नहीं रुके बल्कि उन्होंने यह भी कहा कि अगर आरोप गलत हैं तो उन्हें मानहानि का मुकदमा करना चाहिए।