एग्ज़िट पोल्स में बिहार चुनाव में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी को ज़्यादा वोट शेयर के बावजूद कोई सीट नहीं मिलने का अनुमान है। इससे किसको ज्यादा नुकसान होगा- एनडीए या महागठबंधन को। चुनाव के दौरान जन सुराज को बहुत बड़ा फैक्टर बताया जा रहा था।
"अर्श पर या फर्श पर" (या तो आसमान छू लेंगे या जमीन पर आ जाएंगे), यह वाक्य बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर बहुत दोहराते थे। उनका साफ कहना था कि पार्टी या तो बहुत बेहतर करेगी या बहुत बुरा। एग्जिट पोल ने आखिर चुनाव रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर की पार्टी को लेकर क्या कहा, इसे गहराई से जानना ज़रूरी है।
राज्य में दूसरे चरण के मतदान के बाद आए एग्जिट पोल ने जनसुराज को सीटों के मामले में स्पष्ट रूप से फर्श पर पटक दिया है। लेकिन याद रहे- एग्जिट पोल अक्सर गलत साबित होते हैं।
अब तक आए सभी नौ एग्जिट पोल दैनिक भास्कर, मैट्रिज़, पीपुल्स इनसाइट, पीपुल्स पल्स, जेवीसी, पी-मार्क, चाणक्य स्ट्रैटेजीज, डीवी रिसर्च और टीआईएफ रिसर्च ने सत्तारूढ़ एनडीए की स्पष्ट जीत बताई है। विपक्षी महागठबंधन की हार और प्रशांत किशोर के तीसरे विकल्प को खाक में मिला दिया है।
एग्जिट पोल करने वालों ने सभी रेंज दी हैं यानी हर छोटी-बड़ी पार्टी ने कहीं न कहीं कुछ बेहतर किया है। लेकिन जन सुराज पार्टी को सबसे ज्यादा चोट पहुंचाने वाली बात यह है कि सात पोल में उसकी रेंज शून्य से शुरू हो रही है, यानी बिहार की 243 सीटों में से लगभग सभी पर चुनाव लड़ने के बावजूद पार्टी खाता भी नहीं खोल पाएगी। बता दें कि जन सुराज ने किसी भी पार्टी के मुकाबले सबसे ज्यादा प्रत्याशी खड़े किए थे।
पीपुल्स पल्स ने 0-5 की रेंज दी है, जो सात में सबसे ऊपरी सीमा है, दैनिक भास्कर 0-3, पीपुल्स इनसाइट 0-2, मैट्रिज़ 0-2 और जेवीसी 0-1। अपवाद हैं पी-मार्क, जिसने न्यूनतम एक और अधिकतम चार सीटें जीतने की बात कही है, डीवी रिसर्च ने न्यूनतम दो और अधिकतम चार, तथा चाणक्य स्ट्रैटेजीज और टीआईएफ रिसर्च दोनों ने शून्य सीटें बताई हैं।
एनडीटीवी का पोल ऑफ एग्जिट पोल्स, जो सभी पूर्वानुमानों का सार है, कहता है कि भाजपा-जेडीयू वाली एनडीए 147 सीटें जीतेगी - बहुमत के 122 के आंकड़े से काफी ऊपर। राजद-कांग्रेस वाला महागठबंधन सिर्फ 90 पर सिमट जाएगा यानी 2020 के अपने 110 के आंकड़े से 20 कम। जन सुराज पार्टी को महज 1 सीट मिल सकती है।
बिहार में दोनों चरणों में रिकॉर्ड मतदान प्रतिशत 64.67 और 66.91 रहा, और महागठबंधन तथा जन सुराज पार्टी को उम्मीद थी कि यह सत्ता-विरोधी लहर का संकेत है। लेकिन एग्जिट पोल और विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसा हुआ नहीं।
जनसुराज ने किसके वोट काटे
एग्जिट पोल बताते हैं कि जन सुराज पार्टी सीटें जीतने के मामले में प्रभाव नहीं डालेगी, लेकिन वोटों का एक उल्लेखनीय प्रतिशत जरूर हासिल करेगी। महागठबंधन के लिए बुरी खबर यह है कि यह वोट शेयर ज्यादातर उसके अपने घटकों से आएगा, एनडीए से लगभग कुछ भी नहीं।
विशेषज्ञों का कहना है कि बिहार में जो थोड़ी बहुत सत्ता-विरोधी लहर थी, वह महागठबंधन और प्रशांत किशोर की पार्टी के बीच बंट गई, जिससे विपक्ष को नुकसान हुआ।
कुछ विशेषज्ञों ने यह भी जोर दिया कि पार्टी महज एक साल पुरानी है और बिहार जैसे राज्य में नई संस्था को पैर जमाना मुश्किल है। जहां क्षेत्रीय दल भी सभी 243 सीटों पर नहीं लड़ते और सरकार बनाने के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं। लेकिन इस तथ्य को फिर दोहराना पड़ेगा कि यह सारी बातें एग्जिट पोल पर आधारित हैं जो अक्सर गलत साबित होते हैं। इसलिए 14 नवंबर का इंतजार करना होगा।