बिहार चुनाव में एनडीए में सीट बँटवारे पर मचे घमासान के बीच अब लगता है कि जेडीयू ने भी बखेड़ा खड़ा कर दिया है! दरअसल, जेडीयू ने 57 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी की है और इस सूची में कम से कम पाँच ऐसी सीटें शामिल हैं जिन पर चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने दावा किया था। जेडीयू के इस क़दम से साफ़ है कि वह इन निर्वाचन क्षेत्रों में मजबूती से चुनाव लड़ने के लिए तैयार है। जीतन राम मांझी ने भी उन दो सीटों पर अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है जिन पर चिराग की पार्टी नज़र गड़ाए हुए है। तो क्या चिराग पासवान इतनी आसानी से मान जाएँगे? इधर उपेंद्र कुशवाहा भी सीट बँटवारे पर बेहद नाराज़ हैं और इस पर बातचीत के लिए दिल्ली पहुँचे हुए हैं।

एनडीए में ऐसी ही उठापटक के बीच जेडीयू ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। जेडीयू की सूची में कई प्रमुख नाम शामिल हैं। रत्नेश सदा को सोनबरसा, विद्यासागर निषाद को मोरवा, धूमल सिंह को एकमा, और कौशल किशोर को राजगीर से टिकट दिया गया है। इसके अलावा, मंत्री विजय कुमार चौधरी को सराय रंजन से उम्मीदवार बनाया गया है, जो जेडीयू की चुनावी रणनीति में उनकी केंद्रीय भूमिका को दिखाता है। 

टिकटों में बदलाव

जेडीयू ने कुछ सीटों पर उम्मीदवारों में बदलाव भी किया है। कुसेश्वरस्थान से अमन भूषण हजारी का टिकट रद्द कर उनकी जगह अतिरेक कुमार को उम्मीदवार बनाया गया है। इसी तरह, बारबीघा से सुदर्शन का टिकट भी वापस लिया गया है, हालाँकि अभी तक उनके स्थान पर नए उम्मीदवार की घोषणा नहीं की गई है। ये बदलाव जेडीयू की रणनीति का हिस्सा माने जा रहे हैं, जिसके तहत पार्टी अपने मजबूत और विश्वसनीय चेहरों को मैदान में उतारना चाहती है।
ताज़ा ख़बरें

सूची में 5 मंत्री, 3 बाहुबली

जेडीयू की पहली सूची में मौजूदा सरकार के पाँच मंत्रियों ने अपनी सीटें बरकरार रखी हैं। अनंत कुमार सिंह समेत तीन बाहुबली नेताओं के नाम भी जेडीयू की पहली सूची में शामिल हैं। पहली सूची में चार महिला उम्मीदवार भी हैं। पहली सूची में जगह बनाने वाले पाँच मंत्री ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार हैं, जो नालंदा से चुनाव लड़ेंगे, जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी (सरायरंजन), सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री महेश्वर हजारी (कल्याणपुर), समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी (बहादुरपुर) और मद्य निषेध मंत्री रत्नेश सदा सोनबरसा से चुनाव लड़ेंगे।

243 सदस्यीय बिहार विधानसभा के चुनाव में जेडीयू और भाजपा 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं। 29 सीटें चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), छह सीटें जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और छह सीटें उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा को मिली हैं।

एनडीए में बढ़ती तनातनी

जेडीयू की इस घोषणा ने एनडीए गठबंधन में तनाव को और बढ़ा दिया है। बीजेपी ने पहले ही दानापुर, लालगंज, हिसुआ और अरवल जैसी हाई-प्रोफाइल सीटों पर चिराग पासवान के दावों को खारिज कर दिया था। अब जेडीयू ने भी सीट-बँटवारे के समझौते को चुनौती देते हुए पाँच सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि 2020 के चुनावों में जेडीयू ने जो सीटें जीती थीं, वे पार्टी के पास ही रहनी चाहिए। इन सीटों में मोरवा, सोनबरसा, राजगीर, गायघाट और मटिहानी शामिल हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इन सीटों को जेडीयू ने अपने गढ़ के रूप में देखा और चिराग पासवान की मांगों के बावजूद इन्हें छोड़ने से इनकार कर दिया।

सोशल मीडिया पर तो कहा जा रहा है कि इन घटनाक्रमों के पीछे बीजेपी की बिसात है। 
बिहार से और खबरें

जेडीयू की रणनीति

जेडीयू की इस सूची से साफ है कि पार्टी अपनी पारंपरिक सीटों पर कोई समझौता करने के मूड में नहीं है। बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जेडीयू ने हमेशा से अपने कोर वोट बैंक, खासकर अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) और महादलित समुदायों, पर ध्यान केंद्रित किया है। इन 57 सीटों के उम्मीदवारों का चयन भी इसी रणनीति को दिखाता है। हालाँकि, एनडीए में सहयोगियों के बीच बढ़ती खींचतान और सीट-बंटवारे को लेकर असहमति जेडीयू के लिए चुनौतियाँ भी खड़ी कर सकती है।