बिहार विधानसभा चुनाव के बीच समस्तीपुर में सड़क किनारे वीवीपैट पर्चियां मिलने से हड़कंप मच गया। चुनाव आयोग को संबंधित अधिकारियों को क्यों निलंबित करना और FIR दर्ज करना पड़ा?
बिहार के समस्तीपुर में वीवीपैट स्लिप का विवाद
बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान समस्तीपुर जिले में तब एक बड़ा विवाद हो गया जब सड़क किनारे बड़ी संख्या में वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी वीवीपैट की पर्चियां बिखरी हुई पाई गईं। इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें स्थानीय लोग इन पर्चियों को उठाते हुए दिखाई दे रहे हैं। पर्चियों पर विभिन्न दलों के चुनाव चिह्न छपे हुए थे। काफी विवाद बढ़ने और चौतरफा सवाल उठने पर कार्रवाई हुई और जिला प्रशासन ने सफाई दी कि ये पर्चियां गुरुवार को मतदान से पहले आयोजित मॉक पोल की हैं और वास्तविक मतदान से कोई लेना-देना नहीं है।
अधिकारियों की इस सफाई के बाद भी सवाल उठने कम नहीं हुए। राष्ट्रीय जनता दल यानी आरजेडी ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए आरोप लगाया कि ये पर्चियां इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों यानी ईवीएम से निकली हुई हैं और वास्तविक मतदान से संबंधित हैं। पार्टी ने इसे चुनावी धांधली का प्रयास बताते हुए तत्काल जांच की मांग की। इसने चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल खड़े किए और 'वोट चोरी' का आरोप लगाया। पार्टी ने पूछा, 'कब, कैसे, क्यों, किसके इशारे पर इन पर्चियों को फेंका गया? क्या चोर आयोग इसका जवाब देगा? क्या यह सब बाहर से आकर बिहार में डेरा डाले लोकतंत्र के डकैत के निर्देश पर हो रहा है।'
ये वोट चोरी कर रहे हैं: सहनी
मुकेश सहनी ने कहा, 'चुनाव आयोग को जवाब देना चाहिए। सरायरंजन का क्षेत्र नीतीश कुमार जी के सबसे क़रीबी विजय चौधरी का क्षेत्र है। वह सरकार में ताक़तवर व्यक्ति हैं। इस तरह की गड़बड़ी और भी जगह हो सकती है। इस पर चुनाव आयोग को जवाब देना चाहिए।' उन्होंने कहा, 'हम पहले से कहते रहे हैं और वोटर अधिकार यात्रा में हमने पूरे बिहार में घूम घूम कर यही बात कही कि ये वोट चोरी कर रहे हैं।'
कांग्रेस ने पूछा है, 'चुनाव आयोग को बताना चाहिए कि किसके कहने पर वीवीपैट पर्चियों को फेंका गया?' समाजवादी पार्टी ने कहा कि समस्तीपुर में कूड़े के ढेर पर वीवीपैट की पर्चियां मिलना भाजपा नियंत्रित चुनाव आयोग की नियत पर सवाल खड़े कर रहा है।
रिपोर्टों के अनुसार समस्तीपुर के जिला मजिस्ट्रेट रोशन कुशवाहा ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा, 'हमने मौके पर जाकर जांच की और पाया कि ये पर्चियां मॉक पोल से निकली हुई हैं। मॉक पोल के बाद अतिरिक्त पर्चियां काटी गई थीं, लेकिन कुछ पर्चियां ठीक से नष्ट नहीं की गईं। ईवीएम के नंबरों से हम संबंधित पोलिंग स्टाफ की पहचान कर लेंगे और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।' डीएम ने आगे बताया कि सभी उम्मीदवारों को इस घटना की जानकारी दे दी गई है और कोई अनियमितता नहीं हुई है।
वायरल वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि सड़क किनारे बिखरी पर्चियों पर विभिन्न राजनीतिक दलों के चिह्न छपे हैं। स्थानीय लोगों ने इन पर्चियों को उठाकर वीडियो बनाया, जो तेजी से वायरल हो गया। इस घटना ने चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर बहस छेड़ दी है, खासकर जब बिहार में विधानसभा चुनाव जोरों पर हैं।
वीडियो वायरल होने के बाद चुनाव आयोग ने पुष्टि की कि लापरवाही बरतने के लिए संबंधित सहायक रिटर्निंग ऑफिसर यानी एआरओ को निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा, उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कर ली गई है।
डीएम को मौके पर जाकर विस्तृत जांच करने और रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं। चुनाव आयोग के अधिकारियों ने जोर देकर कहा कि यह घटना मतदान प्रक्रिया पर कोई प्रभाव नहीं डालती और चुनाव की निष्पक्षता पूरी तरह बरकरार है।
मॉक पोल की प्रक्रिया क्या है?
चुनाव आयोग के अनुसार, सभी निर्वाचन क्षेत्रों में वास्तविक मतदान शुरू होने से पहले ईवीएम और वीवीपैट की कार्यप्रणाली जांचने के लिए मॉक पोल आयोजित किया जाता है। यह परीक्षण सभी दलों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में होता है। मॉक पोल के दौरान निकली पर्चियां और डेटा को मतदान शुरू होने से पहले पूरी तरह मिटा दिया जाता है, ताकि वास्तविक मतदान प्रभावित न हो। रिपोर्टों में अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि समस्तीपुर की यह घटना केवल लापरवाही का मामला है और इससे चुनावी परिणामों पर कोई असर नहीं पड़ा।
यह घटना बिहार चुनाव में ईवीएम और वीवीपैट की विश्वसनीयता पर फिर से बहस छेड़ने वाली है। विपक्षी दल इसे चुनाव आयोग की कमजोरी बताते हुए कड़ी निंदा कर रहे हैं, जबकि सत्तारूढ़ दल ने इसे मामूली प्रशासनिक चूक करार दिया है। जांच पूरी होने के बाद आगे की कार्रवाई का इंतजार है।
आरजेडी ने कई जगहों पर स्ट्राॉन्गरूम में गड़बड़ियों की शिकायत की है। खासकर वैशाली और समस्तीपुर में ऐसी गड़बड़ियों की शिकायत की गई है। आरजेडी ने देर रात को ट्वीट कर कहा, 'अब समस्तीपुर की मोहिउद्दीन नगर विधानसभा के स्ट्रॉन्गरूम में घुसते कुछ संदिग्ध दिखे। चुनाव आयोग और बिहार चुनाव आयुक्त स्थिति स्पष्ट करे कि ब्रजगृह के अंदर ये संदिग्ध लोग कौन थे और क्या कर रहे थे? जागते रहो, सतर्क रहो। एक बाहरी वोट डकैत बीते कई दिनों से बिहार में बैठकर बिहार विरोधी कुछ लोगों के साथ मिलकर लोकतंत्र की जननी बिहार से वोट चोरी करना चाहता है।'
इससे पहले महनार विधानसभा क्षेत्र में स्ट्रॉन्ग रूम का कैमरा कथित रूप से बंद होने से जुड़ा एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस पर वैशाली की ज़िलाधिकारी वर्षा सिंह ने किसी भी तरह की अनियमितता से इनकार किया है। बीबीसी के अनुसार उन्होंने पत्रकारों से कहा, 'आरएन कॉलेज में पांच विधानसभा क्षेत्रों के लिए स्ट्रॉन्ग रूम बनाया गया है। वहां उम्मीदवारों या उनके एजेंटों की निगरानी के लिए डिस्प्ले यूनिट लगाए गए हैं। वीडियो में जो घटना दिखाई दे रही है, वह रात 11:52 बजे की है। उस समय केवल महनार विधानसभा का डिस्प्ले ब्लैंक हुआ था, जबकि बाकी चार क्षेत्रों के डिस्प्ले सामान्य रूप से चलते रहे। वीडियो में एक पिकअप वैन को बाहर निकलते हुए भी देखा जा सकता है।'
डीएम ने बताया, 'जांच में पता चला कि रात 11:52 बजे टीवी का ऑटो टाइमर लॉक सक्रिय हो गया था, जिससे डिस्प्ले अचानक बंद हो गया। हालांकि, वीडियो रिकॉर्डिंग जारी रही और प्रशासनिक कंट्रोल रूम में सभी पांचों विधानसभा क्षेत्रों के डिस्प्ले सही ढंग से काम कर रहे थे।'