बिहार में अंतिम चरण में भारी मतदान की झलक। ये फोटो चुनाव आयोग ने जारी किया है।
बिहार में मंगलवार को "बंपर वोटिंग" हुई है। शाम 5 बजे तक 67.14 फीसदी मतदान हो चुका था। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल का कहना है कि यह आंकड़ा 70 फीसदी तक जाएगा। वहीं आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने वीडियो बयान जारी कर कहा कि बंपर मतदान का मतलब है बंपर जीत। पहले चरण के मुकाबले इस अंतिम चरण में तेज वोटिंग के कई मायने हैं। खास तौर पर सीमांचल क्षेत्र में वोटिंग प्रतिशत पिछले विधानसभा चुनावों से काफी ऊपर है। इस संकेत को समझना जरूरी है।
सीमांचल के किशनगंज में दोपहर 5 बजे तक 76.26% मतदान हुआ, जो पूरे बिहार में सबसे ज्यादा है। यहां सुबह 11 बजे तक 34.74% और सुबह 9 बजे 15.81% तीन बजे तक 66 फीसदी वोटिंग हुई थी। मुस्लिम बहुल सीमांचल के जिलों में महिलाओं की लंबी कतारें देखी गईं, जिससे आंकड़ा तेज़ी से बढ़ा।
ये संकेत क्या बताते हैं?
सीमांचल (किशनगंज, अररिया, कटिहार, पूर्णिया) बिहार की राजनीति का "महत्वपूर्ण" क्षेत्र है, जहाँ कम से कम 20 सीटें प्रभावित होती हैं। यहाँ मुस्लिम आबादी 40-70% तक है।
पिछले चुनावों में यहाँ मतदान 58-64% तक रहता था, लेकिन इस बार संकेत 2020 से भी ऊपर जा रहे हैं।
कुछ जिलों के आंकड़े देखिए
5 बजे तक किशनगंज 76.26% मतदान के साथ शीर्ष पर रहा। इसके अलावा गया (67.50%), जमुई (67.81%) और बांका (68.91%) का स्थान रहा। कैमूर (भभुआ) 67.22%, पूर्णिया 73.79%, औरंगाबाद 64.48%, पश्चिम चम्पारण 69.02%, कटिहार 75.23% शिवहर 67.81%, सुपौल 70.69%, पूर्वी चंपारण 69.31%, अरवल 63.06%, अररिया 67.79%, जहानाबाद 64.36%, सीतामढ़ी 65.29%, रोहतास 60.69%, भागलपुर 66.03%, नवादा 57.11% और मधुबनी में 61.79% मतदान हो चुका था।
- विपक्ष के लिए अच्छा संकेत: भारी मतदान आम तौर पर RJD-कांग्रेस गठबंधन को फायदा देता दिखाई दे रहा है। मुस्लिम और दलित वोटरों की भारी भागीदारी NDA के लिए चुनौती है।
- NDA का दावा: एनडीए नेता "विकास का आशीर्वाद" बता रहे हैं, लेकिन इतिहास बताता है कि बिहार में बंपर वोटिंग अक्सर सत्ता-विरोधी लहर दिखाती है (जैसे 2015 और 2020 में)।
- पप्पू यादव ने कहा था कि "सीमांचल-कोसी ही सरकार बनाएगा या गिराएगा।"
- बिहार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने अनुमान लगाया है कि अंतिम चरण का मतदान 70 फीसदी तक जाएगा।
- आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने वीडियो बयान जारी करके कहा है कि बंपर मतदान का मतलब है बिहार में महागठबंधन की बंपर सरकार आ रही है।
2020 के चुनाव में सीमांचल का वोटिंग पैटर्न और नतीजा क्या था
सीमांचल के किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया जिले बिहार की राजनीति में हमेशा निर्णायक रहे हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र की 24 सीटों पर मतदान प्रतिशत काफी ऊंचा रहा, जहां कई विधानसभाओं में 67% से अधिक वोटिंग हुई, जैसे कटिहार की कोढ़ा सीट पर लगातार तीन चुनावों से 67% से ज्यादा टर्नआउट दर्ज किया गया था। जिलेवार औसत में कटिहार का 64.3% मतदान सबसे अधिक था, हालांकि सीमांचल में 58-64% के बीच रहा था। लेकिन इस बार किशनगंज में ही 1 बजे तक 51 फीसदी से ज्यादा मतदान हो गया।
2020 में भारी मतदान के बावजूद NDA (BJP-JDU) ने यहां 12 सीटें जीतीं (BJP 8, JDU 4), जबकि महागठबंधन को 7 सीटें (कांग्रेस 5, RJD 1, CPI(ML) 1) मिलीं। AIMIM ने पहली बार 5 सीटें जीतकर सबको चौंकाया, जो मुस्लिम वोटों के बंटवारे का बड़ा कारण बना।
तुलनात्मक रूप से, 2020 में AIMIM की वजह से मुस्लिम वोट बंटने से NDA को फायदा हुआ और वह सत्ता में बनी रही, लेकिन बाद में AIMIM के 4 विधायक RJD में शामिल हो गए। अब 2025 में AIMIM फिर मैदान में है, लेकिन रिकॉर्ड मतदान से महागठबंधन को उम्मीद है कि एकजुट मुस्लिम-दलित वोट NDA को चुनौती देगा। यदि मतदान प्रतिशत 65-70% पार करता है, तो सीमांचल फिर 'सरकार बनाने या गिराने' वाला क्षेत्र साबित हो सकता है। नतीजे 14 नवंबर को स्पष्ट करेंगे कि यह बंपर वोटिंग नीतीश-मोदी के लिए आशीर्वाद बनेगी या तेजस्वी की वापसी का रास्ता।