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अब जदयू ने उठाया ‘मिनी पाकिस्तान’ का मुद्दा, क्या वह भी चलेगा बीजेपी के रास्ते?

क्या जनता दल यूनाइटेड भी भारतीय जनता पार्टी की लाइन पर चलने की सोच रहा है? क्या उसे भी ध्रुवीकरण की राजनीति करनी है और एक संप्रदाय के लोगों को निशाने पर लेकर ख़ुद को दूसरे संप्रदाय का  हितैषी दिखने की कोशिश करनी है? इन सवालों का जवाब तो वह पार्टी ही दे सकती है, पर हाल के उसके बयान से लोगों का चौंकना स्वाभाविक है।
जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता अजय आलोक ने ‘मिनी पाकिस्तान’ का जुमला उछाला है और कहा है कि ‘पश्चिम बंगाल के मुसलमान वहाँ से बिहारियों को खदेड़ रहे हैं।’

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ममता बनर्जी के नेतृत्व में पश्चिम बंगाल तेज़ी से मिनी पाकिस्तान बनता जा रहा है, जहां रोहिंग्या मुसलमान बिहारियों को खदेड़ रहे हैं।


अजय आलोक, प्रवक्ता, जनता दल यूनाइटेड

ममता पर हमला

उन्होंने कहा, ‘पश्चिम बंगाल में जो कुछ हो रहा है, वह गंभीर चिंता का विषय है। मैं यह बात लंबे समय से कहता आ रहा हूँ। मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि वह क्यों हमारे मुख्यमंत्री की तारीफ़ कर रही हैं, वह शायद इस बात से खुश हैं कि जनता दल यूनाइटेड चार विधानसभा चुनावों में एनडीए से बाहर अकेले लड़ेगी।’
उन्होंने आगे कहा, ‘पर इससे उन्हें उनकी ग़लतियों की माफ़ी नहीं मिल सकती है। उन्हें जल्द ही अपने राज्य को मिनी पाकिस्तान में तब्दील होने से रोकने के लिए कदम उठाना चाहिए।’
यह दिलचस्प बात है कि अजय आलोक के इस बयान के कुछ दिन पहले ही ममता बनर्जी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जम कर तारीफ़ की थी।

मुझे नीतीश जी के उस बयान के बारे में पता चला है, जिसमें उन्होंने कहा है कि वह बिहार के बाहर एनडीए में शामिल नहीं होंगे। मैं उन्हें बधाई देना चाहूँगी। इसके लिए उन्हें धन्यवाद!


ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल

लेकिन अजय आलोक ने इतनी सदाशयता भी नहीं दिखाई कि अपनी पार्टी के नेता की तारीफ़ के बाद ममता बनर्जी को बख़्श देते। उन्होंने ममता बनर्जी पर ज़ोरदार हमला करते हुए कहा, ‘उनके धन्यवाद कहने से हम यह नहीं भूल सकते कि पश्चिम बंगाल में बिहारियों पर हमले हो रहे हैं और उन्हें वहाँ से खदेड़ा जा रहा है।’

रोहिंग्या का बहाना

उन्होंने इसके लिए रोहिंग्या समुदाय के लोगों को निशाने पर लेते हुए कहा, ‘दीदी को यह नहीं भूलना चाहिए कि उनके राज्य से बिहारियों को खदेड़ा जा रहा है और यह काम मुसलमान नहीं, रोहिंग्या कर रहे हैं।’

बता दें कि रोहिंग्या जनजाति के लोग म्यांमार में रहते हैं, वह मुसलमान हैं जो सदियों पहले मौजूदा बांग्लादेश से जा कर वहाँ बस गए। वहाँ हुए नस्लीय हमले में म्यांमार के बौद्ध आतंकवादियों और म्यांमार सेना के लोगों ने उन पर हमले किए, जिस वजह से वहाँ से उन्हें भागना पड़ा, जिनमें से कुछ लोगों ने भारत में भी शरण ली है।

कोलकाता से पटना जा रहे कुछ यात्रियों को बर्द्वमान ज़िले में एक होटल के मालिक और कर्मचारियों ने पीटा था। यह कहा गया था कि खाने के पैसे को लेकर विवाद हुआ था।

जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता का यह बयान इसलिए चौंकाने वाला है कि पार्टी एनडीए में रहते हुए और बीजेपी के साथ सरकार चलाते हुए भी अल्पसंख्यकों के मामले में अलग राय रखती है।
उसने तीन तलाक़ के मुद्दे पर भी कहा था कि राज्यसभा में विधेयक के ख़िलाफ़ वोट करेगी। वंदे मातरम के मुद्दे पर भी इसकी नीति बीजेपी की नीति से अलग है। कुछ दिन पहले बिहार में हुए कार्यक्रम में जब वंदे मातरम का गायन हुआ तो नीतीश कुमार बड़े ही बेमन से खड़े तो हो गए, पर राष्ट्रगीत गाया नहीं था।

मामला प्रशांत किशोर का

इसे जनता दल यूनाइटेड की अंदरूनी  राजनीति से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। कुछ दिन पहले  पार्टी के उपाध्यक्ष और चुनाव विशेषज्ञ प्रशांत किशोर ने कोलकाता में मुख्यमंत्री से मुलाक़ात की थी। यह समझा जाता है कि उनकी संस्था इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमिटी अगले विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के लिए काम करेगी, उनकी चुनाव रणनीति तैयार करेगी और उसे लागू करवाएगी।

इस पर प्रतिक्रिया जताते हुए नीतीश कुमार ने सफ़ाई दी थी कि किशोर ख़ुद ममता बनर्जी का प्रचार नहीं करेंगे, उनकी पार्टी तृणमूल के लिए काम कर सकती है। प्रशांत किशोर बीते कुछ समय से पार्टी में उपेक्षित पड़े हुए हैं, उनके पास बहुत काम भी नहीं है। पार्टी का एक धड़ा उन्हें नापसंद करता है। ऐसे में यह मुमकिन है कि वह पार्टी छोड़ दें। समझा जाता है कि ममता के ख़िलाफ यह तीखा बयान इस वजह से भी है।

यह भी माना जाता है कि संसदीय चुनाव के नतीजों को देखते हुए जनता दल यूनाइटेड में कुछ लोग पार्टी की रणनीति पर फिर से सोच रहे हों। बिहार के नतीजे यह बताते हैं कि बीजेपी को तमाम जातियों के लोगों ने वोट दिए हैं, वहाँ एक तरह से हिन्दू एकीकरण हो गया है। इस वजह से बीजेपी के साथ चुनाव लड़ने वाले सभी सहयोगियों को वोट मिले हैं। वहीं, उसका विरोध करने वाले राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस का बुरा हाल हुआ है। राजद का एक भी उम्मीदवार नहीं जीत पाया, कांग्रेस के सिर्फ एक उम्मीदवार को जीत मिली। मुमकिन है, इसके बाद जनता दल यूनाइटेड ने बीजेपी के रास्ते ही चलने का मन बनाया हो या इस पर विचार कर रही हो। अजय आलोक के बयान को इस परिप्रेक्ष्य में भी देखा जा रहा है।
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क़मर वहीद नक़वी
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