चुनाव की घोषणा में चंद दिन बचे हैं और बिहार में राजनीतिक घटनाक्रम तेज हो गए हैं। विपक्षी महागठबंधन को वोटर अधिकार यात्रा के बाद लगातार मजबूती मिल रही है। इस यात्रा ने गठबंधन की एकजुटता को प्रदर्शित किया। अब इस गठबंधन में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) और लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के पशुपति पारस गुट के शामिल होने से यह और मजबूत हो गया है। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने एक रणनीति के तहत ही वोटर अधिकार यात्रा के दौरान विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के मुकेश सहनी और सीपीआई-एमएल के दीपंकर भट्टाचार्य को करीब रखा। 
अब इस गठबंधन में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) और लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के पशुपति पारस गुट के शामिल होने से यह और सशक्त हो गया है, जो आगामी बिहार विधानसभा चुनावों के लिए रणनीतिक लाभ प्रदान कर सकता है। महागठबंधन, जिसमें पहले से ही राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), कांग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) (सीपीएम), विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) और सीपीआई-एमएल शामिल हैं, अब आठ दलों का समूह बन चुका है।
जेएमएम के अध्यक्ष हेमंत सोरेन के नेतृत्व में इस पार्टी की एंट्री से झारखंड से सटे क्षेत्रों जैसे बांका, मुंगेर और भागलपुर में सीटें मिलने की संभावना है, क्योंकि आरजेडी और कांग्रेस की झारखंड सरकार में हिस्सेदारी है। वहीं, एलजेपी (पारस) के शामिल होने से पशुपति पारस और उनके बेटे खागड़िया तथा हाजीपुर जैसे क्षेत्रों में पासवान वोटों का विभाजन हो सकता है, जो गठबंधन को दलित और पिछड़े वर्गों में मजबूती देगा।
हालांकि, इस विस्तार से महागठबंधन के लिए सीट बंटवारा थोड़ा मुश्किल वाला हो गया है। 243 विधानसभा सीटों पर आठ दलों की दावेदारी ने चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी 50 सीटों और उपमुख्यमंत्री पद की मांग कर रहे हैं, लेकिन स्रोतों के अनुसार उन्हें 20-25 सीटें मिल सकती हैं।
विपक्षी दलों का कहना है कि वीआईपी ने पिछली बार 11 में से केवल 4 सीटें जीती थीं। कांग्रेस को 2020 की 70 सीटों के बजाय 60 पर संतुष्ट होना पड़ सकता है, बशर्ते वे जीतने लायक हों। सीपीआई-एमएल, जिसका स्ट्राइक रेट मजबूत रहा (पिछली बार 19 में से 12 सीटें जीतीं), अधिक सीटें मांग सकती है।
कांग्रेस के राज्य अध्यक्ष राजेश राम ने पटना में हुई बैठक के बाद कहा, "सभी दलों को कुछ सीटें छोड़नी होंगी और अन्य पार्टियों के लिए एडजस्ट करना होगा।" 2020 के चुनाव में महागठबंधन के प्रदर्शन के आंकड़े इसकी ताकत दिखाते हैं: आरजेडी ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें 75 जीतीं, कांग्रेस ने 70 सीटों पर लड़ा था, जिसमें उसे 19 मिली, सीपीआई-एमएल ने 19 में 12, सीपीएम ने 4 में 2 और सीपीआई ने 6 में 2 सीटें हासिल कीं।
वोटर अधिकार यात्रा ने गठबंधन की एकता को मजबूत किया है, और इन दो क्षेत्रीय दलों के जुड़ने से बिहार चुनावों में महागठबंधन का आधार विस्तृत हो गया है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह कदम एनडीए के लिए चुनौती पेश करेगा, लेकिन सीट बंटवारे पर सहमति बनाना ही अगली बड़ी परीक्षा होगी।