राहुल गांधी की बिहार यात्रा को कांग्रेस ने जनक्रांति बताया, लेकिन क्या इसका राजनीतिक असर दिख रहा है? क्या इसका असर दिल्ली तक महसूस हो रही है? खास रिपोर्ट।
बिहार मतदाता अधिकार यात्रा में शामिल हुईं प्रियंका गांधी
सत्रह अगस्त से शुरू हुई राहुल गांधी की
वोटर अधिकार यात्रा बिहार में ‘क्रांति’ से लेकर दिल्ली के दरवाजे तक पहुंचने की चर्चा के साथ पूरी हो रही है। एक सितंबर को पटना में इस यात्रा के समापन के अवसर पर एक बड़ा मार्च निकालने की तैयारी है और इस समय बिहार में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि कांग्रेस के नए उभार से 20 साल की नीतीश सरकार डावांडोल हो रही है।
महागठबंधन पटना में यात्रा के समापन के अवसर पर एक बड़ी रैली करना चाहता था लेकिन ऐतिहासिक गांधी मैदान में स्थानीय प्रशासन ने इसके लिए इजाजत नहीं दी तो मार्च निकालने का फैसला किया गया। यही नहीं, यह भी कहा गया कि राहुल गांधी गांधी मैदान में कार्यकर्ताओं के साथ रात्रि विश्राम करना चाहते थे तो सुरक्षा कारण बताकर इसके लिए भी मना कर दिया गया। हालांकि स्थानीय प्रशासन ने इस बात को गलत करार दिया है।
वैसे तो वोट चोरी के आरोप को उजागर करने के मकसद से शुरू की गई महागठबंधन की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के पहले ही दिन राहुल गांधी मजबूत संदेश देने में कामयाब रहे लेकिन यात्रा के 14वें दिन आरा में अपने संक्षिप्त संबोधन में उन्होंने एक निर्णायक बात कही। राहुल ने कहा कि बिहार से ही क्रांति शुरू होती है और अब वोट अधिकार की लड़ाई भी यहीं से शुरू की गई है जो पूरे देश में फैलने जा रही है। राहुल ने कहा कि उनकी यात्रा आंबेडकर और गांधी जी के संविधान को बचाने की लड़ाई है।
'वोट चोरी' के ख़िलाफ़ अभियान
राहुल गांधी ने इस यात्रा के दौरान आम लोगों से जुड़कर एक तरफ़ कांग्रेस में जान फूँकने में काफ़ी हद तक कामयाबी हासिल की तो दूसरी तरफ आम लोगों को यह समझाने की भी भरपूर कोशिश की कि उनकी यात्रा का मक़सद यह है कि बिहार में एक भी वोट की चोरी नहीं हो। उन्होंने इस दौरान लाइव डेमोंस्ट्रेशन से भी यह बताया कि चुनाव आयोग कैसे जिंदा लोगों को मृत घोषित कर दे रहा है और उन्होंने इसे वोट चोरी का नाम दिया। वोट चोरी की यह बात आम लोगों की जबान पर चढ़ गई है।
हालाँकि कुछ लोग यह भी कहते सुने गए कि इससे पहले राहुल गांधी ने चौकीदार चोर का नारा दिया था जो कामयाब नहीं हुआ था लेकिन यह बात लगभग हर आदमी मान रहा है कि इस बार राहुल गांधी ने लगातार बिहार में यात्रा कर अपनी बात को समझाने में काफी हद तक कामयाबी हासिल की है। शायद यही वजह है कि चुनाव आयोग को बार-बार राहुल गांधी के आरोपों के जवाब में वक्तव्य जारी करना पड़ा और भारतीय जनता पार्टी भी चुनाव आयोग के बचाव में लगातार बयान जारी करती रही। इस दौरान प्रधानमंत्री को कथित तौर पर गाली देने के मामले को मुद्दा बनाकर भारतीय जनता पार्टी ने इस यात्रा के महत्व को कम करने की भी कोशिश की। यहाँ तक कि कांग्रेस के राज्य मुख्यालय सदाकत आश्रम पर भाजपा के मंत्री, विधायक और कार्यकर्ताओं ने चढ़ाई भी की।
राहुल गांधी कि इस यात्रा के बारे में यह कहा जा रहा है कि जिस तरह उन्होंने गांव में रात्रि विश्राम किया, दलित टोलों में चाय पी, वहां बिल्कुल अनजान लोगों से घुले मिले और मोटरसाइकिल से यात्रा की उससे आम लोगों में राहुल गांधी से खुद को जुड़ाव का एहसास हुआ। एक दिन राहुल गांधी की बाइक पर उनकी बहन सांसद प्रियंका गांधी भी सवार हुईं और यह तस्वीर काफी वायरल हुई। हालांकि प्रियंका गांधी थोड़े समय के लिए इस यात्रा में शामिल हुई लेकिन यह माना जा रहा है कि मिथिलांचल में उनकी उपस्थिति से महिलाओं पर अच्छा असर पड़ा है।
जाति जनगणना, आरक्षण का मुद्दा
वोट चोरी के अलावा राहुल गांधी ने दूसरे मुद्दों पर भी अपनी बात रखी। यात्रा के दौरान उन्होंने जाति जनगणना और आरक्षण का मुद्दा भी उठाया। राहुल ने यह संदेश देने की कोशिश की कि उनके दबाव में मोदी सरकार ने जाति जनगणना करने का एलान तो कर दिया है लेकिन वह सही से इसे नहीं करेगी। उन्होंने वादा किया कि इंडिया गठबंधन की सरकार बनने पर जाति जनगणना कर आरक्षण की पचास फ़ीसद की दीवार को गिरा देंगे। राहुल गांधी ने यह संदेश भी दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अरबपतियों के साथ मिलकर सरकार चलाते हैं और पांच-छह अरबपतियों को देश का पूरा धन दे दिया जाता है। उन्होंने अग्निवीर का मुद्दा उठाकर युवाओं से भी जुड़ने की कोशिश की और पर्यवेक्षक कहते हैं कि उनकी सभाओं में युवाओं की काफी अच्छी संख्या शामिल हुई।
राहुल की वोट यात्रा के दौरान ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 अगस्त को बोधगया में एक सभा की तो वहां भी अच्छी भीड़ जुटी लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि राहुल की भीड़ जहां स्वतः स्फूर्त थी और कांग्रेस कमजोर संगठन के बावजूद थी, वहीं प्रधानमंत्री मोदी की सभा में लोगों की भीड़ भाजपा की संगठन शक्ति और सरकार की मदद से जमा हुई थी।
इस वोटर अधिकार यात्रा के पहले दिन महागठबंधन के सभी घटक दलों के नेताओं का एक मंच पर होना और उसमें लालू प्रसाद का छोटा लेकिन प्रभावी संबोधन चर्चा का विषय रहा। राहुल गांधी ने हालाँकि तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाए जाने के मुद्दे पर कोई साफ जवाब नहीं दिया लेकिन इस यात्रा में तेजस्वी की लोकप्रियता भी बढ़ती नजर आई। इस यात्रा के दौरान सीपीआई-एमएल के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने भी काफी महत्वपूर्ण बातें कीं और उनकी पार्टी के काडर की मौजूदगी ने इस यात्रा को प्रभावशाली बनाया। इसके अलावा वीआईपी के प्रमुख मुकेश सहनी भी लगातार इस यात्रा में बने जिनके बारे में यह कहा जा रहा था कि वह पाला बदलकर एनडीए में शामिल हो सकते हैं। राज्य के नेताओं के अलावा उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इस यात्रा में लोगों को काफी आकर्षित किया।
ममता बनर्जी नहीं जुड़ीं
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन भी इस यात्रा में शामिल हुए हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने उन पर बिहार और सनातन विरोधी होने का आरोप लगाते हुए राहुल गांधी को निशाना बनाया। कुछ राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि अगर इस यात्रा में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी शामिल होतीं तो उनके लिए भी और बिहार में महागठबंधन के लिए भी बेहतर साबित होता। बताया जा रहा है कि चुनाव आयोग अगले चरण में पश्चिम बंगाल में विशेष गहन पुरीक्षण (एसआईआर) कराने जा रहा है और वहां ममता बनर्जी को विपक्षी दलों के समर्थन की जरूरत पड़ेगी।
यात्रा के पहले दिन 60 किलोमीटर की यात्रा में राहुल गांधी ने बिहार में यह संदेश देने में काफी हद तक कामयाबी पाई कि चुनाव आयोग गरीबों और कमजोरों के ‘वोट की चोरी’ करने में लगा हुआ है लेकिन वह ऐसा करने नहीं देंगे। इस बात से राहुल गांधी ने यात्रा का टोन सेट कर दिया और अगले दो हफ्तों तक उनकी यह बात मीडिया और आम लोगों के बीच भरपूर चर्चा में रही।
राहुल ने कहा था कि बिहार में एसआईआर (विशेष गहन पुनरीक्षण) के जरिए वोटरों का नाम हटाकर और जोड़कर वोट चुराने की साजिश चल रही है। उन्होंने यात्रा के अंतिम दिन भी यह संदेश दिया कि गरीबों और कमजोर वर्ग के लोगों के पास वोट ही असली ताकत है और चुनाव आयोग भाजपा से मिलकर यह ताकत छीनने की कोशिश कर रहा है।
राहुल गांधी ने अपनी यात्रा के दौरान यह बात बार-बार दोहराई कि पहले देश को मालूम नहीं था कि वोट की चोरी कैसे की जाती है लेकिन अब पूरे देश को पता चल गया है। उन्होंने लोगों को यह भरोसा दिलाने की कोशिश की कि महाराष्ट्र, बंगाल, असम और बिहार में वोट की चोरी पकड़ कर वह जनता को दिखाएंगे।
राहुल गांधी ने कई जगहों पर चुनाव आयोग की उस बात का जवाब भी दिया जिसमें उसने राहुल गांधी से शपथ पत्र की मांग की थी। राहुल ने कहा कि उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वोट चोरी के सबूत दिए तो चुनाव आयोग ने उनसे शपथ पत्र मांगा लेकिन जब भारतीय जनता पार्टी के लोग ऐसी बातें करते हैं तो उनसे शपथ पत्र नहीं मांगा जाता है।
राहुल गांधी की इस अधिकार यात्रा की सफलता को अभी इस निगाह से देखा जा रहा है कि आगे उनकी पार्टी कांग्रेस और महागठबंधन के दूसरे दल कैसे वोट चोरी के मुद्दे को लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। इसके बाद भी लोग यह कह रहे हैं कि यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि राहुल गांधी वोट चोरी को रोकने में किस हद तक कामयाब होते हैं क्योंकि चुनाव आयोग पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता। इसके अलावा बिहार में भ्रष्टाचार और अपराध जैसे बड़े मुद्दों पर विपक्ष का हमला अभी कमजोर नजर आता है। अगर राहुल गांधी अपने इस मोमेंटम को बनाए रखने में कामयाब होते हैं तो बिहार देश के लिए एक बड़ा संदेश दे सकता है।