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आनंद मोहन मामले में राजनीति न होः चीफ सेक्रेटरी, बिहार

बिहार के चीफ सेक्रेटरी आमिर सुबहानी ने बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई हो गई है, लेकिन इस मसले पर बिहार सरकार को सफाई देना पड़ रही है। बिहार सरकार के चीफ सेक्रेटरी आमिर सुबहानी ने गुरुवार को कहा कि इस मामले में राजनीति नहीं की जाए।  
चीफ सेक्रेटरी सुबहानी ने पत्रकारों को बताया कि आनंद मोहन की रिहाई नियम पूर्वक ही की गई है। इसमें किसी भी तरह से नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया है। पूर्व सांसद सजायाफ्ता आनंद मोहन को किसी प्रकार की कोई रियायत नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि आनंद मोहन अपनी सजा पूरी कर चुके हैं। जिसके बाद उन्हें जेल से रिहा किया गया है। उन्होंने कहा कि आजीवन कारावास की सजा पाए कैदियों को 20 साल जेल में रहने के बाद रिहा कर दिया जाता है।
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नियमों के तहत ऐसी कार्रवाई के लिए एक समिति का गठन किया गया था, जिसने पिछले छह साल में 22 बैठकें कीं। बिहार सरकार का जेल मैन्युअल 2012 में बनाया गया था। जिसमें साफ कहा गया है कि अगर कोई कैदी 20 साल आजीवन कारावास की सजा पूरी कर ले तो उसे छोड़ा जा सकता है।   
चीफ सेक्रेटरी सुबहानी ने पत्रकारों को यह भी बताया कि कानून में किसी आईएएस या डीएम की हत्या के लिए अलग से प्रावधान नहीं किया गया है। इसमें केवल लोक सेवक का जिक्र किया है, और लोक सेवक चौकीदार भी हो सकता है और जिले का डीएम भी। कानून में जो संशोधन किया गया है वह पूरी न्यायिक प्रक्रिया को ध्यान में रखकर किया गया है। इसमें किसी के लिए भी कोई विशेष प्रावधान नहीं किया गया है। आम लोगों और लोक सेवक के लिए एक ही प्रावधान किया गया है।
पूर्व सांसद के खिलाफ याचिका दायर                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                  इसके अलावा आनंद मोहन की रिहाई और बिहार जेल नियमों किये गये बदलावों के विरोध में एक याचिका भी दायर की गई है। याचिका दायर करने वाली एडवोकेट जनहित याचिका याचिकाकर्ता ने याचिका दायर करते हुए सरकार से पूछा कि ऐसे किसी संशोधन का उद्देश्य क्या है, जो जनहित में नहीं हैं। इस मसले पर लोक सेवकों से परामर्श तक नहीं किया गया, इससे जो प्रभावित हुए उनसे परामर्श नहीं किया गया। इन सब वजहों से जेल मेन्युअल में किया गया यह बदलाव जनहित में नहीं है। यह संशोधन मनमाना तरीके से किया गया है जो कि अनुचित है।
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बिहार के पूर्व आईपीएस अमिताभ दास पटना हाईकोर्ट में आनंद मोहन की रिहाई के विरोध में जनहित याचिका दाखिल करने जा रहे हैं। मृत डीएम जी कृष्णैय्या की पत्नी भी पीएम से लेकर राष्ट्रपति तक से मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगा चुकी हैं। उधर, आईएएस एसोसिएशन ने भी आनंद मोहन की रिहाई का विरोध करते हुए सरकार से फैसला वापस लेने की मांग की है।
गुरुवार की सुबह चार बजे आनंद मोहन को जेल से रिहा कर दिया गया है। ज्ञात हो कि आनंद मोहन आरजेडी से सांसद थे। उनका बेटा अभी भी आरजेडी से ही विधायक है। पत्नी को भी इसी पार्टी से ही टिकट दिया गया था, लेकिन वे चुनाव नहीं जीत पाई।
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क़मर वहीद नक़वी
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