loader

छत्तीसगढ़: बंधक बनाए गए कमांडो को माओवादियों ने छोड़ा

छत्तीसगढ़ के बस्तर में बीते शनिवार को माओवादियों और केंद्रीय सुरक्षा बलों के बीच हुई मुठभेड़ के दौरान माओवादियों ने जिस कमांडो का अपहरण कर लिया था, उसे गुरूवार शाम को छोड़ दिया है। इस कमांडो का नाम राकेश्वर सिंह मन्हास है। इस ख़ूनी मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हो गए थे और 31 जवान घायल हो गए थे।   

मन्हास की रिहाई के लिए माओवादियों ने वार्ताकारों के नाम तय करने को कहा था और इस बारे में प्रतिबंधित भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की दंडकारण्य स्पेशल ज़ोनल कमेटी यानी डीएसजेडसी ने प्रेस नोट जारी किया था। 

ताज़ा ख़बरें

डीएसजेडसी के प्रवक्ता ने कहा था कि सरकार को वार्ताकारों के नामों की घोषणा करनी चाहिए। उसके बाद हम जवान को छोड़ देंगे लेकिन तब तक वह हमारी सुरक्षा में रहेगा। 

मन्हास के ग़ायब होने के बाद सीआरपीएफ़ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जम्मू में मन्हास के परिवार से मुलाक़ात की थी और उनके रिश्तेदारों को भरोसा दिलाया था कि सरकार पूरी तरह से उनके साथ खड़ी है और उन्हें वापस लाने की पूरी कोशिश कर रही है।

छत्तीसगढ़ से और ख़बरें

यह ख़ूनी मुठभेड़ तब हुई थी जब सुरक्षा बलों के जवान बीजापुर जिले के माओवादी नेता की तलाश में छापेमारी कर रहे थे। माओवादियों ने शहीद हुए जवानों से हथियार, गोले, बारूद, सेना की वर्दी आदि लूट ली थी। 

सुरक्षा बलों की कई यूनिटों की साझा टीम माओवादियों के तलाशी अभियान पर निकली थीं। इस संयुक्त अभियान में सीआरपीएफ की कोबरा कमांडो टीम, डिस्ट्रिक्ट रिज़र्व गार्ड, और स्पेशल टास्क फोर्स के जवान व अफसर शामिल थे। नक्सल विरोधी अभियान के महानिदेशक अशोक जुनेजा ने 'एनडीटीवी' से कहा था कि इस मुठभेड़ में नक्सलियों को भी भारी जानमाल का नुक़सान पहुंचा है। 

इस घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत तमाम नेताओं ने दुख जताया था। गृह मंत्री शाह ने कहा था कि भारत शांति और तरक्की के इन दुश्मनों के ख़िलाफ़ लड़ाई जारी रखेगा। 

यह मुठभेड़ 2017 के बाद हुई सबसे ख़ूनी मुठभेड़ थी। 2017 में हुई मुठभेड़ में 25 जवान शहीद हो गए थे। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

छत्तीसगढ़ से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें