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फिल्म समीक्षा : बड़े मियां छोटे मियां

'सुल्तान' और 'टाइगर जिन्दा है' जैसी एक्शन फ़िल्में बनानेवाले अली अब्बास जफ़र की इस ईद पर आई फिल्म 'बड़े मियां, छोटे मियां' एक एक्शन-कॉमेडी फिल्म है। देशप्रेम की चाशनी और थ्री डी तकनीक वाली इस फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसका अंदाज दर्शक नहीं लगा सकें। अक्षय कुमार और टाइगर श्रॉफ देशप्रेम वाली कई एक्शन फ़िल्में कर चुके हैं। यह भी वैसी ही है।

फिल्मों में जैसे कमांडो दिखाए जाते हैं, वैसे ही इस फिल्म में भी हैं। फ़िल्मी कमांडो बहादुर, जांबाज़, एक्शन में माहिर, दिलफेंक और अफसरों के आदेश नहीं मानने वाले होते हैं। उन पर कोर्ट मार्शल की कार्यवाही होती है, लेकिन उनके बिना सेना का काम नहीं चल पाता, इसलिए उन्हें वापस बुला लिया जाता है। वे असंभव काम करते हैं, चाहे वह किसी भी तरह का हो। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्लोनिंग और कई अडवांस सुरक्षा तकनीक का ज्ञान उन्हें जन्मजात होता है। वे डांस में माहिर और गाने-बजाने में उस्ताद होते हैं। उन्हें गुस्सा जल्दी आता है। वे अक्सर अपने बॉस की बेटी से इश्क करते पाए जाते हैं।  

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बड़े मियां, छोटे मियां में तकनीक हीरो है। मानुषी छिल्लर, सोनाक्षी सिन्हा और अलाया एफ. पार्ट टाइम हीरोइन हैं। मलयालम फिल्मों का सितारा पृथ्वीराज सुकुमारन खलनायक और अक्षय कुमार, टाइगर श्रॉफ, रोनित रॉय आदि फिलर्स हैं। निर्देशक का मन नहीं भरा तो उसने अक्षय, टाइगर और रोनित के डबल रोल कर दिये और खलनायक के ट्रिपल रोल! फिल्मों में आतंकवादी जितने मूर्ख और विलासी दिखाने का रिवाज है, उतने ही मूर्ख आतंकी इसमें भी हैं। केवल एक आतंकी इतना ख़तरनाक है कि पूरी भारतीय सेनाएं कमजोर पड़ने लगती हैं।

फिल्म का गीत-संगीत भड़भड़कूटा है। बहुत सारे टर्न और ट्विस्ट हैं। दर्शकों को पता होता है कि जीतेगा तो हीरो ही। इसमें भी वही होता है। अमृत चख चुके हीरो, हीरोइन बच जाते हैं। दुश्मन खाक में मिल जाता है।  और देश बच जाता है।

एक्शन में रुचि हो तो थ्री डी में देख सकते हैं।

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डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी
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