पायर उत्तराखंड के एक सुदूर हिमालयी गांव में बसे बुजुर्ग दंपति, पदम सिंह और तुलसी की मार्मिक कहानी है। यह फिल्म एक मेलांकॉलिक प्रेम गाथा है, जो पलायन से प्रभावित एक गांव में अकेलेपन, उम्मीद और अनकही पीड़ा को दिखाती है। जब पूरा गांव शहरों की ओर पलायन कर चुका है, तब यह दंपति अपनी नाजुक जिंदगी को संभालने की जद्दोजहद में लगा है। उन्हें अपने बेटे का एक पत्र मिलता है, जो 30 साल बाद उनकी जिंदगी में उम्मीद की किरण लाता है, लेकिन यह मुलाकात उनकी उम्मीदों को चकनाचूर कर देती है।
फिल्म के मुख्य किरदार 80 वर्षीय पदम सिंह (सेवानिवृत्त सैनिक) और 70 वर्षीय हीरा देवी (किसान), गैर-पेशेवर अभिनेता हैं और हिमालयी क्षेत्र के मूल निवासी हैं। उनकी सहज और सच्ची अदाकारी ने दर्शकों और समीक्षकों को गहरे तक प्रभावित किया है। न्यूयॉर्क इंडियन फिल्म फेस्टिवल में दोनों को बेस्ट एक्टर और बेस्ट एक्ट्रेस के लिए नामांकन मिला, जहां फिल्म को स्टैंडिंग ओवेशन प्राप्त हुआ।
विनोद कापड़ी ने 2017 में उत्तराखंड के मुनस्यारी गांव में एक बुजुर्ग दंपति से मुलाकात की थी, जिनकी कहानी ने उन्हें गहरे तक प्रभावित किया। इस मुलाकात ने पायर की नींव रखी, जो पलायन, प्रेम और अकेलेपन की एक सच्ची कहानी है। कापड़ी ने गैर-पेशेवर अभिनेताओं को चुनकर कहानी में प्रामाणिकता लाने का फैसला किया।