राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक विनोद कापड़ी की फिल्म पायर ने अमेरिका में धूम मचा दी है। यूरोप में शानदार प्रदर्शन के बाद अब पायर ने अमेरिका में मात्र तीन हफ्तों में चार प्रतिष्ठित पुरस्कार अपने नाम किए हैं। यह उपलब्धि भारतीय सिनेमा के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण है। ताजा सम्मान शिकागो साउथ एशियन फिल्म फेस्टिवल यानी CSAFF में मिला, जहां पायर को बेस्ट फिल्म ऑडियंस अवॉर्ड से नवाजा गया। इस ऐतिहासिक पल को और खास बनाया दिग्गज अभिनेत्री शबाना आजमी ने। शबाना ने मंच पर विनोद कापड़ी को यह पुरस्कार सौंपा। उनके साथ मशहूर अभिनेता प्रतीक गांधी भी मौजूद थे।

अमेरिका में पायर को मिले अवार्ड

  • बेस्ट फीचर फिल्म – 14वां डीसी साउथ एशियन फिल्म फेस्टिवल (वॉशिंगटन डीसी)
  • बेस्ट फीचर फिल्म – 8वां इंडिया इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ बोस्टन
  • बेस्ट डायरेक्टर – 8वां इंडिया इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ बोस्टन (विनोद कापड़ी)
  • बेस्ट फिल्म ऑडियंस अवॉर्ड – 16वां शिकागो साउथ एशियन फिल्म फेस्टिवल
यह पायर का अमेरिका में तीन हफ्तों में चौथा पुरस्कार है, जो भारतीय सिनेमा के लिए एक अभूतपूर्व उपलब्धि है।

वैश्विक मंच पर पायर की यात्रा

अमेरिका में मिले इन अवार्डों से पहले पायर ने यूरोप और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अपनी छाप छोड़ी थी। जुलाई 2025 में फिल्म ने जर्मनी के इंडियन फिल्म फेस्टिवल ऑफ स्टटगार्ट में ग्रैंड ज्यूरी बेस्ट फीचर फिल्म अवॉर्ड ('जर्मन स्टार ऑफ इंडिया अवॉर्ड') जीता। एक महीने के भीतर, पायर ने जर्मनी, स्पेन और यूनाइटेड किंगडम में पांच अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार हासिल किए, जिनमें तीन ऑडियंस चॉइस अवॉर्ड शामिल थे।

फिल्म का वैश्विक प्रीमियर नवंबर 2024 में एस्टोनिया के 28वें टालिन ब्लैक नाइट्स इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में हुआ, जहाँ यह मुख्य प्रतियोगिता में चुनी गई एकमात्र भारतीय फिल्म थी और इसे बेस्ट फिल्म ऑडियंस अवॉर्ड (PÖFF) मिला। इसके बाद, पायर का बेंगलुरु इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल में उद्घाटन फिल्म के रूप में प्रदर्शन हुआ और एशियन सिनेमा प्रतियोगिता खंड में ज्यूरी स्पेशल मेंशन अवॉर्ड जीता। बेल्जियम के 12वें MOOOV फिल्म फेस्टिवल और न्यूयॉर्क के 25वें इंडियन फिल्म फेस्टिवल में भी फिल्म को खूब सराहना मिली, जहां इसके मुख्य कलाकारों को बेस्ट एक्टर और बेस्ट एक्ट्रेस के लिए नामांकन मिला।

पायर: प्रेम, अकेलेपन और उम्मीद की कहानी

पायर उत्तराखंड के एक सुदूर हिमालयी गांव में बसे बुजुर्ग दंपति, पदम सिंह और तुलसी की मार्मिक कहानी है। यह फिल्म एक मेलांकॉलिक प्रेम गाथा है, जो पलायन से प्रभावित एक गांव में अकेलेपन, उम्मीद और अनकही पीड़ा को दिखाती है। जब पूरा गांव शहरों की ओर पलायन कर चुका है, तब यह दंपति अपनी नाजुक जिंदगी को संभालने की जद्दोजहद में लगा है। उन्हें अपने बेटे का एक पत्र मिलता है, जो 30 साल बाद उनकी जिंदगी में उम्मीद की किरण लाता है, लेकिन यह मुलाकात उनकी उम्मीदों को चकनाचूर कर देती है।
फिल्म के मुख्य किरदार 80 वर्षीय पदम सिंह (सेवानिवृत्त सैनिक) और 70 वर्षीय हीरा देवी (किसान), गैर-पेशेवर अभिनेता हैं और हिमालयी क्षेत्र के मूल निवासी हैं। उनकी सहज और सच्ची अदाकारी ने दर्शकों और समीक्षकों को गहरे तक प्रभावित किया है। न्यूयॉर्क इंडियन फिल्म फेस्टिवल में दोनों को बेस्ट एक्टर और बेस्ट एक्ट्रेस के लिए नामांकन मिला, जहां फिल्म को स्टैंडिंग ओवेशन प्राप्त हुआ।

विनोद कापड़ी ने 2017 में उत्तराखंड के मुनस्यारी गांव में एक बुजुर्ग दंपति से मुलाकात की थी, जिनकी कहानी ने उन्हें गहरे तक प्रभावित किया। इस मुलाकात ने पायर की नींव रखी, जो पलायन, प्रेम और अकेलेपन की एक सच्ची कहानी है। कापड़ी ने गैर-पेशेवर अभिनेताओं को चुनकर कहानी में प्रामाणिकता लाने का फैसला किया। 

भारतीय सिनेमा का गौरव

पायर की यह वैश्विक सफलता भारतीय सिनेमा के लिए एक मील का पत्थर है। टालिन से न्यूयॉर्क, स्टटगार्ट से शिकागो तक, फिल्म ने दर्शकों और ज्यूरी के दिलों में जगह बनाई है। विनोद कापड़ी ने कहा, 'यह एक सपने जैसा है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक गांव के दो बुजुर्ग गैर-अभिनेताओं के साथ बनी फिल्म इतने बड़े मंचों पर पुरस्कार जीतेगी। यह भारतीय सिनेमा के लिए बड़ा दिन है।'