एंटी करप्शन ब्यूरो दिल्ली ने स्कूल क्लासरूम निर्माण में कथित ₹2000 करोड़ के घोटाले के आरोप में आम आदमी पार्टी के नेताओं मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
ये फाइल फोटो उस समय का है, जब सिसोदिया मंत्री थे।
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में क्लासरूम निर्माण में कथित भ्रष्टाचार को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेताओं मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के खिलाफ दिल्ली की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) ने एफआईआर दर्ज की है। इस घोटाले की राशि लगभग 2,000 करोड़ रुपये आंकी गई है, जिसमें 12,748 कक्षाओं के निर्माण में अत्यधिक लागत और अनियमितताओं का आरोप है। यह कार्रवाई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और गृह मंत्रालय (MHA) से भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) के तहत जांच की मंजूरी मिलने के बाद की गई है।
दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग और लोक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा संचालित इस परियोजना में 12,748 क्लासरूम का निर्माण शामिल था, जिसकी कुल लागत 2,892.65 करोड़ रुपये बताई गई। ACB की रिपोर्ट के अनुसार, हर क्लासरूम का निर्माण 24.86 लाख रुपये की लागत से किया गया, जबकि सामान्य तौर पर दिल्ली में ऐसी कक्षा का निर्माण लगभग 5 लाख रुपये में हो सकता है। यह लागत लगभग पांच गुना अधिक थी, जिसे "बहुत ज्यादा बढ़ाया गया" करार दिया गया।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि परियोजना में कई अनियमितताएँ थीं। किसी भी काम को तय समय सीमा में पूरा नहीं किया गया। सलाहकारों व आर्किटेक्ट्स की नियुक्ति में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। इसके अलावा, शिक्षा और वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया और PWD मंत्री सत्येंद्र जैन की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं। ACB के अनुसार, इतने बड़े पैमाने पर घोटाला बिना मंत्रियों की संलिप्तता या जानकारी के संभव नहीं हो सकता।
यह मामला पहली बार 2019 में तब सामने आया जब बीजेपी नेताओं हरीश खुराना, कपिल मिश्रा (तब AAP के बागी विधायक, अब दिल्ली सरकार में मंत्री) और नीलकंठ बख्शी ने दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि क्लासरूम निर्माण में 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला हुआ है। इसके बाद, 2020 में केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने 2,405 क्लासरूम निर्माण में "स्पष्ट अनियमितताओं" की ओर इशारा किया था।
2022 में, दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय (DoV) ने इस मामले की जांच की सिफारिश की और मुख्य सचिव को एक रिपोर्ट सौंपी। निदेशालय ने कहा कि प्रशासनिक विभाग कुछ पहलुओं की जाँच करने में विफल रहा, और इस मामले में गहन जांच की आवश्यकता है ताकि छिपे तथ्यों और सबूतों का पता लगाया जा सके।
ACB ने नवंबर 2021 में जांच का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन कुछ "खामियों" के कारण इसे DoV ने वापस कर दिया। फरवरी 2023 में एक नया प्रस्ताव भेजा गया, जिसे DoV ने उपराज्यपाल (LG) के माध्यम से गृह मंत्रालय को भेजा। राष्ट्रपति ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17A के तहत जांच की मंजूरी दी, जो सार्वजनिक सेवक द्वारा आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन में लिए गए निर्णयों या सिफारिशों से संबंधित अपराधों की जांच से संबंधित है।
मनीष सिसोदिया ने इस कार्रवाई पर कहा, "मुझे पता चला है कि केंद्र सरकार ने मेरे और सत्येंद्र जैन के खिलाफ स्कूल भवनों और कक्षाओं के निर्माण को लेकर FIR दर्ज कराई है। मैं बीजेपी और केंद्र सरकार को कहना चाहता हूँ—जितने चाहें मामले दर्ज करें। चाहे मेरे खिलाफ, सत्येंद्र जैन, आतिशी, अरविंद केजरीवाल या किसी अन्य AAP नेता के खिलाफ, हम बीजेपी के सामने नहीं झुकेंगे।" उन्होंने बीजेपी से दिल्ली की जनता के लिए किए गए वादों, जैसे मुफ्त सिलेंडर और महिलाओं को अभी तक 2,500 रुपये प्रतिमाह न देने पर भी सवाल उठाया।
आप नेता सौरभ भारद्वाज ने इस कार्रवाई को बीजेपी की "राजनीतिक बदले की कार्रवाई" करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी का दिल्ली की जनता के लिए किए गए वादों को पूरा करने में कोई इरादा नहीं है और वह AAP नेताओं के खिलाफ "झूठे मामले" बनाकर बदनाम करने की कोशिश कर रही है। AAP ने पहले भी इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि बीजेपी के दावे "निराधार और बदनाम करने की मंशा से प्रेरित" हैं। पार्टी ने दिल्ली के शिक्षा मॉडल को विश्व स्तर पर सराहा गया बताते हुए कहा कि ये आरोप उनकी छवि को धूमिल करने की साजिश हैं।
मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन पहले भी विभिन्न मामलों में कानूनी कार्रवाइयों का सामना कर चुके हैं। सिसोदिया को 2021-22 की दिल्ली शराब नीति में कथित अनियमितताओं के लिए गिरफ्तार किया गया था, जबकि जैन को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में गिरफ्तारी का सामना करना पड़ा था। दोनों नेता फिलहाल ज़मानत पर हैं।
2023 में, दोनों नेताओं ने दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था, जब सिसोदिया को शराब नीति मामले में CBI ने गिरफ्तार किया था। AAP ने तब कहा था कि यह निर्णय इसलिए लिया गया ताकि जनता को होने वाली असुविधा से बचा जा सके और सरकारी कामकाज प्रभावित न हो।
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में क्लासरूम निर्माण में कथित 2,000 करोड़ रुपये के घोटाले ने AAP और बीजेपी के बीच राजनीतिक जंग को और तेज कर दिया है। जहाँ AAP इसे राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा बता रही है, वहीं बीजेपी इसे AAP सरकार की कथित भ्रष्टाचार की नीति का सबूत मान रही है। इस मामले का परिणाम न केवल दिल्ली की राजनीति बल्कि देश में AAP की छवि पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है।