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सुनंदा पुष्कर की मौत मामले में सांसद शशि थरूर को नोटिस

दिल्ली हाई कोर्ट ने कांग्रेस के सांसद शशि थरूर को उनकी पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत मामले में नोटिस जारी किया है। 

याद दिलाना होगा कि सुनंदा पुष्कर की जनवरी 2014 में दिल्ली के होटल लीला पैलेस में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। वह होटल के कमरे में मृत पाई गई थीं। इस मामले में साढ़े सात साल तक जांच चली थी और उसके बाद अगस्त 2021 में दिल्ली की एक अदालत ने शशि थरूर को सारे आरोपों से बरी कर दिया था। 

शशि थरूर पर सुनंदा पुष्कर को आत्महत्या के लिए उकसाने और क्रूरता करने का आरोप था। इस फैसले के बाद शशि थरूर ने कहा था कि बीते साढ़े सात साल उनके लिए भयंकर उत्पीड़न वाले रहे। 

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दिल्ली पुलिस ने निचली अदालत के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी और अब दिल्ली हाई कोर्ट ने शशि थरूर को नोटिस जारी किया है। 

शशि थरूर की ओर से अदालत में पेश हुए सीनियर एडवोकेट विकास पाहवा ने कहा कि इस मामले में 15 महीने बाद पुनर्विचार अपील दायर की गई है। जबकि पुनर्विचार अपील निचली अदालत के आदेश के 90 दिनों के भीतर दायर कर दी जानी चाहिए थी। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में देरी से अर्जी दाखिल करने को माफ करने की अपील अदालत से की है। अदालत ने इस मामले में भी नोटिस जारी किया है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 7 फरवरी, 2023 को होगी। 

क्या है पूरा मामला?

सुनंदा पुष्कर और उनके पति शशि थरूर दिल्ली के लीला होटल में रुके हुए थे क्योंकि इस दौरान उनके बंगले पर मरम्मत का काम चल रहा था। लेकिन 17 जनवरी, 2014 को होटल के कमरे में वह मृत मिली थीं। 

Delhi HC notice to Shashi Tharoor in Sunanda Pushkar death case - Satya Hindi

दिल्ली पुलिस ने इस मामले में जनवरी 2015 में अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी और लंबी पड़ताल के बाद मई, 2018 में शशि थरूर के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। चार्जशीट में शशि थरूर पर आईपीसी की धाराओं के तहत पत्नी पर क्रूरता करने और आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया था।

निचली अदालत ने क्या कहा था?

निचली अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि इस मामले में शशि थरूर के खिलाफ किसी तरह के सुबूत नहीं मिले हैं कि उन्होंने अपनी पत्नी को आत्महत्या करने के लिए उकसाया। अदालत ने अपने आदेश में मेडिकल बोर्ड के ओपिनियन का भी हवाला दिया था जिसमें इस बात की पुष्टि नहीं हुई थी कि सुनंदा पुष्कर की मौत आत्महत्या की वजह से हुई थी। 

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विशेष जज गीतांजलि गोयल ने अपने आदेश में कहा था कि आपराधिक मामलों में सुबूतों की जरूरत होती है। यह बात सही है कि किसी की जान गई है लेकिन सुबूतों के अभाव में अदालत यह नहीं कह सकती कि अभियुक्त ने यह अपराध किया था। अदालत ने कहा था कि अभियुक्त को एक आपराधिक मुकदमे की कठोरता का सामना करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। 

सुनंदा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने संकेत दिया था कि नींद की गोलियों की ओवरडोज उनकी मौत की वजह हो सकती है। हालांकि रिपोर्ट से यह नहीं पता चला था कि उनकी मौत कैसे हुई और यह आत्महत्या थी या नहीं। उनके शरीर पर चोट के कई निशान थे। 

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क़मर वहीद नक़वी
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