आम आदमी पार्टी ने आदेश को "असंवैधानिक और अवैध" कहा है। आप ने कहा कि सिर्फ चुनी हुई सरकार के पास बिजली कंपनियों के बोर्डों पर आदेश जारी करने की पावर है। एलजी ने सुप्रीम कोर्ट के सभी आदेशों और संविधान का पूरी तरह मजाक उड़ाया है। वह खुले तौर पर कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश उन पर बाध्यकारी नहीं हैं।
वीके सक्सेना ने मुख्य सचिव की एक रिपोर्ट के आधार पर आप से जुड़े दोनों लोगों को हटाया। मुख्य सचिव की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि दिल्ली सरकार द्वारा नामित दोनों सदस्यों ने सरकारी खजाने की कीमत पर निजी डिस्कॉम को वित्तीय लाभ प्रदान किए।
आप ने पहले इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि कैबिनेट के फैसलों के अनुसार डिस्कॉम का नियमित ऑडिट किया जाता है।
एलजी के आदेश में कहा गया है, दोनों सदस्यों ने अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली डिस्कॉम के बोर्डों पर निजी प्रतिनिधियों के साथ सहयोग किया और सरकारी खजाने की कीमत पर उन्हें 8,000 करोड़ रुपये का लाभ पहुंचाया।
उपराज्यपाल ने कहा कि इन बोर्डों में वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों की नियुक्ति का नियम था। लेकिन इनकी जगह आप के दो मनोनीत लोगों को नियुक्त किया गया। एलजी वीके सक्सेना ने संविधान के अनुच्छेद 239AA के तहत कार्रवाई करते हुए तब कार्रवाई पर मजबूर हुए जब अरविंद केजरीवाल सरकार ने इन बोर्डों पर अपनी निरंतरता कायम रखी। यह सरासर कदाचार और दुर्भावना को बताता है।
एलजी सक्सेना ने पहले इस मामले को निर्णय के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा था। राष्ट्रपति को बताया गया कि निजी डिस्कॉम में 49% हिस्सेदारी रखने वाली दिल्ली सरकार वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को मनोनीत करती थी ताकि डिस्कॉम बोर्डों द्वारा लिए गए निर्णयों में सरकार और दिल्ली के लोगों के हितों का ध्यान रखा जा सके।