दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह के एक विवादास्पद भाषण ने शैक्षणिक जगत में हंगामा मचा दिया है। उन्होंने ‘अर्बन नक्सलवाद’ को शहरी क्षेत्रों और विश्वविद्यालयों में फैलने वाली एक गहरी समस्या बताते हुए प्रोफेसरों पर छात्रों के दिमाग ‘प्रदूषित’ करने का आरोप लगाया। उन्होंने पिंजरा तोड़ जैसे छात्र आंदोलनों को नक्सलवाद का एक रूप करार दिया। इस बयान पर फैकल्टी सदस्यों, छात्रों और बुद्धिजीवियों ने कड़ी निंदा की है और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है।