सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और पहले से प्रदूषण नियंत्रण के सरकार के तमाम दावों के बावजूद दिल्ली-एनसीआर में हवा बेहद ख़तरनाक स्तर पर पहुँच गई है। GRAP-4 के तहत सबसे सख़्त पाबंदियाँ लागू कर दी गई हैं। जानें इसका क्या मतलब है और क्या असर होगा।
दिल्ली-एनसीआर में हवा जहरीली होने से ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान यानी जीआरएपी के स्टेज-4 के तहत सबसे सख्त प्रतिबंध लागू किए गए हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यानी सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई 'सीवियर' से 'सीवियर प्लस' श्रेणी में पहुंच गया है। यह प्रतिबंध जीआरएपी-3 लागू होने के कुछ घंटों बाद ही लागू किए गए।
शनिवार देर रात तक हवा की गुणवत्ता कुछ ज़्यादा ही खराब हो गई, जब एक्यूआई 460 तक पहुंच गया। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग यानी सीएक्यूएम ने रीयल-टाइम डेटा के आधार पर यह निर्णय लिया, जिसमें शाम से प्रदूषण स्तर में तेज उछाल देखा गया। शनिवार दोपहर 4 बजे ही एक्यूआई 431 था, जो शाम 6 बजे तक 441 हो गया और आधी रात तक 460 पहुंच गया। बता दें कि हवा के ख़राब होने या कहें कि जहरीली होने को एक्यूआई की श्रेणियों में इस तरह देखा जाता है- 201-300 'पुअर', 301-400 'वेरी पुअर', 401 से ऊपर 'सीवियर' और 450 से अधिक 'सीवियर प्लस'। आख़िरी वाला स्तर सबसे ख़तरनाक स्तर है।
सीएक्यूएम ने प्रदूषण के अचानक बढ़ने का कारण धीमी हवा की गति, स्थिर वातावरण और प्रतिकूल मौसम स्थितियाँ को बताया है। इनके कारण प्रदूषक जमीन के पास वातावरण में फंस गए। सड़कों पर इसका असर साफ दिखाई दिया। आनंद विहार में शाम तक घना विषैला धुआं छा गया, जहां एक्यूआई 488 तक पहुंच गया, जो 'सीवियर प्लस' जोन में है। इसी तरह, इंडिया गेट और कर्तव्य पथ पर भी घना धुआं छाया रहा, जहां एक्यूआई 407 दर्ज किया गया। बिगड़ती स्थिति को देखते हुए पूरे एनसीआर में जीआरएपी स्टेज-4 के सभी उपाय तत्काल प्रभाव से लागू कर दिए।
GRAP-4 में क्या प्रतिबंध लगे?
- दिल्ली में निर्माण और विध्वंस गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध।
- पूरे एनसीआर में स्टोन क्रशर, खनन कार्य और संबंधित गतिविधियों का बंद होना।
- कक्षा 5 तक के स्कूलों में हाइब्रिड मोड (ऑनलाइन-ऑफलाइन मिश्रित) शिक्षा, ताकि छोटे बच्चों का खतरनाक हवा से संपर्क कम हो।
- BS-III पेट्रोल और BS-IV डीजल चार पहिया वाहनों की आवाजाही पर सख्त प्रतिबंध। ये प्रतिबंध दिल्ली के अलावा गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर जिलों में भी लागू।
- सरकारी कार्यालयों को 50 प्रतिशत क्षमता से संचालित करने के आदेश, शेष कर्मचारी घर से काम करेंगे। यह निर्देश निजी संस्थानों पर भी लागू।
ये उपाय जीआरएपी के स्टेज-1, 2 और 3 के मौजूदा नियंत्रणों के अतिरिक्त हैं।
सख़्ती से लागू करने के निर्देश
सीएक्यूएम ने एनसीआर के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों, नागरिक एजेंसियों और कार्रवाई करने वाली टीमों को जीआरएपी-4 नियमों का सख्त अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। उल्लंघनों पर तुरंत दंडात्मक कार्रवाई और निगरानी बढ़ाने को कहा गया है। अधिकारियों ने जोर दिया कि स्टेज-4 केवल तब लागू होता है जब प्रदूषण अत्यधिक खतरनाक स्तर पर पहुंच जाए, ताकि जन स्वास्थ्य की रक्षा हो।प्रतिबंध वाले ये उपाय प्रतिकूल मौसम में प्रदूषण उत्सर्जन को कम करने के लिए हैं। लोगों को सलाह दी गई है कि बाहर की गतिविधियां सीमित करें, खासकर सुबह और देर शाम। आने वाले दिनों में प्रदूषण ऊंचा रहने पर आगे और सख़्त कदम उठाए जा सकते हैं।
स्वास्थ्य पर क्या ख़तरा?
लंबे समय तक संपर्क से अस्थमा और सांस से जुड़ी बीमारियाँ गंभीर रूप ले सकते हैं, फेफड़ों की कार्यक्षमता कम हो सकती है, हृदय पर तनाव बढ़ सकता है, आंखें, गला और नाक में जलन हो सकती है। पहले से बीमारियां वाले, बच्चे और बुजुर्ग विशेष रूप से जोखिम में हैं।क्या एक्यूआई 500 पार कर सकता है?
भारत का एक्यूआई स्केल 500 पर सीमित है। इसका मतलब है कि 500 से ज़्यादा एक्यूआई को गंभीर कैटेगरी में रखा जाएगा, जो पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी का संकेत देता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज़ के चेयर प्रोफेसर डॉ. गुफरान बेग ने एनडीटीवी से कहा, '400 से ऊपर एक्यूआई खतरनाक है। ऐसा माना जाता है कि एक्यूआई 500 और एक्यूआई 900 पर स्वास्थ्य पर असर एक जैसा होता है, तो ज़्यादा नंबर दिखाकर लोगों में घबराहट क्यों पैदा करें।'
एनवायरोकैटलिस्ट्स के फाउंडर और लीड एनालिस्ट सुनील दहिया ने कहा, 'हालाँकि यह सच है कि कम कंसंट्रेशन में लंबे समय तक रहने से असर ज़्यादा होता है और बहुत ज़्यादा कंसंट्रेशन में यह थोड़ा बढ़ता है, लेकिन तुरंत खतरे बहुत ज़्यादा होते हैं, जिससे दिल और सांस की बीमारियों वाले मरीज़ों और संवेदनशील लोगों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है और मेडिकल इमरजेंसी होती है, जैसा कि पराली जलाने के चरम समय और दिवाली के आसपास देखा गया है, जब प्रदूषण का स्तर बहुत ज़्यादा हो जाता है।'