गुजरात के 2002 सांप्रदायिक दंगों से जुड़े एक पुराने मामले में अहमदाबाद की एक अदालत ने तीन आरोपियों को बरी कर दिया। 'हार्ड वीडियोग्राफिक सबूत' यानी वीडियो टेप का अदालत में कभी पेश न होना और वीडियोग्राफर का अपना बयान वापस लेना इस फैसले की मुख्य वजह बनी। आरोपियों में से एक पर एके-47 राइफल लहराने का गंभीर आरोप था, लेकिन 23 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सबूतों की कमी के चलते अदालत ने उन्हें क्लीन चिट दे दी।