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प्रतीकात्मक तसवीर।

सूरत में फिर सड़क पर उतरे प्रवासी मजदूर, घर भेजने की मांग

घर भेजे जाने की मांग को लेकर शनिवार को गुजरात के सूरत में प्रवासी मजदूरों ने एक बार फिर जोरदार प्रदर्शन किया। सैकड़ों की संख्या में आक्रोशित मजदूर सूरत जिले के मोरा गांव में सड़कों पर उतर आए। न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, प्रदर्शन कर रहे मजदूरों में से 40 से ज़्यादा को हिरासत में ले लिया गया है। 

मजदूरों की पुलिस के साथ झड़प भी हुई और उन्होंने पुलिस पर और पुलिस के वाहनों पर पत्थर भी फेंके। मोरा गांव हाज़िरा इंडस्ट्रियल टाउन के नजदीक है। 

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पीटीआई के मुताबिक़, प्रदर्शनकारी मजदूर मांग कर रहे थे कि जिला प्रशासन उनके राज्यों में जाने का इंतजाम करे। प्रदर्शन में उत्तर प्रदेश, बिहार, ओड़िशा सहित दूसरे राज्यों के मजदूर शामिल थे। इनमें से अधिकांश मजदूर हाज़िरा में लगी औद्योगिक इकाइयों में काम करते हैं। 

बीते कुछ दिनों में कई बार मजदूर घर भेजे जाने की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं। इनमें से कई बार वे सूरत में ही जोरदार प्रदर्शन कर चुके हैं। कुछ दिन पहले सूरत के कडोदारा इलाक़े में प्रवासी मजदूरों ने पुलिस पर पथराव किया था और घर भेजे जाने की मांग की थी। मजदूरों के हंगामे का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। 

सूरत में इसी मांग को लेकर 28 अप्रैल को मजदूरों ने डायमंड बोर्स कंपनी के दफ़्तर पर पत्थर फेंके थे। उससे पहले सूरत के ही लस्काना में स्थित डायमंड नगर इंडस्ट्रियल एरिया की फ़ैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूरों ने लॉकडाउन का उल्लंघन करते हुए सड़कों को जाम कर दिया था और आगजनी की थी।

लॉकडाउन के चलते बड़ी संख्या में मजदूर महानगरों में फंस गए हैं। क्योंकि लॉकडाउन के बाद काम-धंधा चौपट हो चुका है और मजदूरों के लिए गुजर-बसर करना बेहद मुश्किल हो गया है।

सूरत के अलावा मुंबई के बांद्रा स्टेशन पर भी कुछ दिन पहले हज़ारों की संख्या में मजदूर इकट्ठा हो गये थे और उनकी भी यही मांग थी कि उन्हें उनके घर भेजने की व्यवस्था की जाए। इन प्रवासी मजदूरों के पास न पैसे हैं और न ही राशन, ऐसे में इनकी मांग है कि इन्हें इनके घर भेज दिया जाए। प्रवासी मजदूर लगातार सोशल मीडिया के माध्यम से भी आवाज़ उठा रहे हैं। 

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मजदूरों के लगातार प्रदर्शन के बाद केंद्र व राज्य सरकारें दबाव में आई हैं और कई राज्यों से मजदूरों, छात्रों को उनके राज्य में ले जाया जा रहा है। लेकिन इसमें हो रही देरी की वजह से मजदूरों का आक्रोश चरम पर है। 

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क़मर वहीद नक़वी
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