गुजरात के अहमदाबाद के सिविल हॉस्पिटल में धर्म के आधार पर कोरोना वार्ड बनाने की ख़बर आने के बाद लगता है कि अब इस मामले में लीपापोती शुरू हो गयी है। गुजरात सरकार ने तो उस रिपोर्ट को खारिज कर ही दिया है, उस हॉस्पिटल के मेडिकल सुप्रींटेंडेंट डॉ. गुणवंत एच राठौड़ ने भी अब कहा है कि धर्म के आधार पर अलग कोरोना वार्ड नहीं बनाया गया है और उनके बयान को ग़लत तरीक़े से पेश किया गया है। यानी वह पिछले बयान से पूरी तरह पलट गए। एक दिन पहले ही 'द इंडियन एक्सप्रेस' ने लिखा था कि राठौड़ ने कहा था कि 'यहाँ हमने हिंदू और मुसलिम मरीजों के लिए अलग-अलग वार्ड बनाए हैं।' इस पर सवाल उठता है कि क्या यह बयान लीपापोती की कोशिश है?