चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के छात्रों का कुलपति को हटाने, छात्रों से की गई मारपीट की जाँच और आरोपियों के विरुद्ध न्यायसंगत कार्रवाई की मांग का आंदोलन कल 20वें दिन में प्रवेश कर जायेगा। छात्रों के हितों के विपरीत किये गए संशोधनों के विरुद्ध छात्रों ने अपनी 2 मुख्य मांगों के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन से गुहार लगाई थी। इस पर कुलपति बलदेव राज कम्बोज और अन्य उच्च अधिकारियों ने कोई संतोषजनक समाधान नहीं किया।

प्रशासन के रवैये से नाराज छात्रों ने 10 जून को विश्वविद्यालय के कुलपति को मिलने के प्रयास किया लेकिन उन्हें कथित तौर पर जबरदस्ती मुख्य सुरक्षा अधिकारी सुखबीर बिश्नोई के इशारे पर गार्ड्स ने धक्का-मुक्की करके वहां से हटा दिया। छात्र कुलपति से मिलने के प्रयास करते रहे और रात को क़रीब 10 बजे कुलपति निवास पर मिलने पहुंचे तो वहां पहले से मौजूद सुरक्षा कर्मी और अन्य पुलिस बल की तैनाती थी। छात्रों का आरोप है कि बार बार अनुरोध के बावजूद छात्रों को तितरबितर करने के लिए सुरक्षा कर्मियों ने लाठी-डंडों का प्रयोग करते हुए छात्रों की पिटाई कर दी, जबकि स्थानीय पुलिस निष्क्रिय रही। उनका कहना है कि 2 छात्रों के सिर फूट गए और गंभीर चोटें आईं। वहीं से स्थिति बिगड़नी शुरू हुई और छात्र यूनिवर्सिटी के गेट नंबर 4 के बहार न्याय की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए। 
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मामला विद्यार्थियों को निरंतर मिल रही छात्रवृति का है। कृषि विश्वविद्यालय के 70 % और 75 % से ऊपर पाने वाले सभी छात्रों और छात्राओं को प्रतिमाह छात्रवृत्ति मिलती है। लेकिन नए संशोधनों के तहत अब केवल 75 % अंक के आधार पर सूची में अग्रणी 25% छात्रों को ही छात्रवृत्ति मिलेगी। अन्य सभी छात्र इस लाभ से वंचित हो जायेंगे। दूसरा संशोधन एलडीवी श्रेणी यानी लैंड डोनेटेड विलेज, गाँव से आने वाले विद्यार्थियों के लिए सभी पाठ्यक्रमों में निश्चित प्रवेश में आरक्षण कोटे का है जिसे अब केवल एक बार एक ही पाठ्यक्रम तक सीमित कर दिया गया है। इसके कारण इसी विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बावजूद उच्च पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने के लिए छात्रों के हितों पर अंकुश लग गया है।

विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कथित तौर पर मनमाने ढंग से संशोधन करने को लेकर छात्रों में रोष है। आंदोलन कर रहे छात्रों में से कुछ छात्रों ने बताया कि अनिवार्य अनुशासन के नाम पर छात्रों को भिन्न भिन्न तरीकों से प्रशासन द्वारा डराया जा रहा है।
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कृषि विश्वविद्यालय के छात्रों के आंदोलन को हरियाणा के सभी विपक्षी राजनीतिक दलों ने समर्थन किया है। हिसार के पूर्व सांसद बृजेन्द्र सिंह ने धरने पर पहुँच कर कहा कि छात्रों को मिलने वाली छात्रवृति को हटाना न्यायोचित नहीं क्योंकि वह निधि केवल डेढ़ दो करोड़ की है और इससे यूनिवर्सिटी का न बजट बिगड़ता है और न किसी अन्य काम में कोई बाधा आती है। कृषि क्षेत्र को मजबूत करने के लिए अन्य देशों में अनुसंधान पर बड़ी राशि खर्च की जाती है लेकिन यहाँ विपरीत धारा बह रही है। पूर्व गृह मंत्री व वित्त मंत्री रहे प्रो. सम्पत सिंह ने कहा कि ये छात्रवृति को बंद करना भविष्य के कृषि वैज्ञानिकों को ख़त्म करने की दिशा में प्रयास हैं। कांग्रेस पार्टी के रणदीप सिंह सुरजेवाला ने छात्रों को आश्वस्त किया कि उनकी मांगें जायज हैं और छात्रों के साथ किये गए दमन के लिए सरकार की नीति की आलोचना की। रणदीप सिंह ने  कहा कि वो इस मुद्दे से केंद्रीय नेतृत्व को भी अवगत कराएंगे और प्रदेश के मुख्यमंत्री से बात करके इसका समाधान निकलवाने की कोशिश करेंगे। दो दिन बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे ने भी छात्रों से फ़ोन पर बात करके उनको आश्वस्त किया। दीपेंद्र हुड्डा भी अपने गुट के वर्तमान सांसद जयप्रकाश व विधायकों के साथ धरने पर पहुँचे और छात्रों की मांगों का भरपूर समर्थन किया।

ईनेलो राष्ट्रीय अध्यक्ष अभय सिंह चौटाला ने धरणा स्थल पर पहुँच कर सरकार को आड़े हाथों लिया। अभय सिंह ने कहा कि बीजेपी की सरकार ने अगर सबसे से ज़्यादा जिनकी अनदेखी की है, वह युवा और किसान वर्ग है। हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में जिन बच्चों को स्कॉलरशिप मिलता था उनके इस लाभ को बंद कर दिया गया। उन्होंने कहा कि हमारे विधायक अर्जुन चौटाला ने विधानसभा में वीसी की जाँच की मांग राखी थी लेकिन मुख्यमंत्री ने जाँच की बजाय उसकी पीठ थपथपाई। चौटाला ने कहा कि जिन बच्चों की बर्बरतापूर्ण पिटाई से चोटें आई हैं उनको पूरा न्याय मिलना चाहिए और दोषियों को क़ानून अनुसार दंड। वाईस चांसलर सहित आरोपी प्रोफ़ेसर और सिक्योरिटी इंचार्ज को तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए। ईनेलो के नेता आदित्य चौटाला और अर्जुन चौटाला ने धरना स्थल पहुंच कर छात्रों को आश्वस्त किया कि न्याय की लड़ाई में ईनेलो उनके साथ खड़ा है।
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छात्रों के इस आंदोलन को एक जातीय रंग देने की कोशिशें भी लगातार  होने लगीं। अधिकतर छात्र-छात्राएँ ग्रामीण परिवेश से आते हैं, इसलिए इसको जाट का आंदोलन घोषित करने के प्रयास भी समानांतर होने लगे। कुलपति बलदेव राज कम्बोज हरियाणा में अन्य पिछड़ावर्ग श्रेणी से हैं। विश्वविद्यालय के मुख्य सुरक्षा अधिकरी सुखबीर सिंह बिश्नोई समाज से हैं जबकि अन्य गिरफ्तार प्रोफेसर, वे भी बिश्नोई समाज से बताये जाते हैं। निदेशक छात्र कल्याण मदन लाल खिच्चड़ का अपना अतीत दागदार रहा है। 

प्रदेश की सरकर अभी तक इस मसले में कोई ठोस हल करती दिखाई नहीं दे रही। प्रदेश सरकार ने शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा के नेतृत्व में  तीन कैबिनेट मंत्री और एक विधायक की एक कमेटी बना कर छात्रों से बातचीत की, लेकिन वो सफल नहीं हुई। स्थानीय प्रशासन का दृष्टिकोण भी छात्रों के पक्ष में साफ़ नहीं हो पा रहा है। सरकार के ठोस निर्णय लेने के दावे हवा-हवाई होने की छाप में घिरते हुए दिखायी देते हैं।

गुड गवर्नेंस का दावा करने वाली सरकार आखिर क्यों इस मामले को लटकाये रखना चाहती है, ये सवाल भी उठने लगे हैं। छात्रों के भविष्य को सुरक्षित करने के दयित्व को निभाने के लिए शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा की क्या विवशता है, यह भी सवालों में है। प्रदेश के मुख्यमंत्री एक तरफ़ किसानों को उज्ज्वल भविष्य के सपने दिखाते हैं लेकिन छात्रों के भविष्य के प्रति विमुख हैं, ये सवाल भी बना हुआ है। क्या एक अकुशल कुलपति और उसके चंद साथी सरकार के लिए छात्रों से ज़्यादा अहम हो गए हैं। युवा कृषि स्नातक और वैज्ञानिकों के योगदान के बिना किस तरह की प्रगति और उत्थान किसानों और कृषि क्षेत्र का होगा, ये एक पहेली अमृतकाल में विचित्र बन गई है।