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सर्वाइकल कैंसर की देसी वैक्सीन गेम चेंजर हो सकती है

भारत ने गुरुवार को सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए अपना पहला स्वदेशी रूप से विकसित वैक्सीन पेश की। इसे क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (qHPV) वैक्सीन नाम दिया गया है। इसे पुरुषों और महिलाओं दोनों में सर्वाइकल कैंसर जैसी घातक बीमारी को रोकने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इस वैक्सीन को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत सरकार के बॉयोटेक्नॉलजी विभाग ने संयुक्त रूप से तैयार किया है। ट्रायल के दौरान इस वैक्सीन की सफलता और इसका कम रेट भारत में सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ गेमचेंजर साबित हो सकता है। 
भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) द्वारा सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) को इसे मार्केट के लिए बनाने की अनुमति दिए जाने के बाद वैक्सीन लॉन्च की गई। हालांकि भारत में यह इस साल के अंत तक उपलब्ध होगी।
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सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अदार पूनावाला ने कहा, हमने पारंपरिक रूप से बच्चों के लिए टीके बनाए हैं क्योंकि हमारी कंपनी मेरे पिता साइरस पूनावाला द्वारा शुरू की गई थी। अब हम अपने प्रयासों को महिलाओं की भलाई पर केंद्रित किया है। उन्हें स्वस्थ रहने की सबसे ज्यादा आवश्यकता है और मुझे आशा है कि इसमें और सहयोग मिलेगा।
सर्वाइकल कैंसर क्या हैः सर्वाइकल कैंसर स्त्री रोग संबंधी कैंसर का एक रूप है जो एक महिला के प्रजनन अंगों को प्रभावित करता है। यह गर्भाशय ग्रीवा में शुरू होता है। सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) के कारण होता है, जो 200 से अधिक संबंधित वायरस का एक समूह है, जिनमें से कुछ योनि, गुदा या ओरल सेक्स के जरिए फैलते हैं। वायरस पुरुषों और महिलाओं दोनों को संक्रमित कर सकता है, अगर संक्रमण लंबे समय तक बना रहे तो कैंसर हो सकता है।

पीएसआरआई अस्पताल के ऑन्कोलॉजी और हेमेटो-ऑन्कोलॉजी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ अमित उपाध्याय ने इंडिया टुडे को बताया कि सर्वाइकल कैंसर देश में महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर है और यह ज्यादातर खराब जननांग स्वच्छता से एचपीवी संक्रमण के कारण होता है। असुरक्षित यौन संबंध और कई पार्टनर के साथ सेक्स करने के कारण होता है। एचपीवी कैंसर में एक प्रमुख भूमिका निभाता है और लगभग 90 प्रतिशत सर्वाइकल कैंसर इसके कारण होता है।

भारत की पहली qHPV वैक्सीन क्या हैः क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (qHPV) वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ भारत का पहला घरेलू टीका है और ट्रायल के दौरान इसने एक मजबूत एंटीबॉडी प्रतिक्रिया दिखाई है। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, सभी टारगेटेड एचपीवी प्रकारों और सभी खुराक और आयु समूहों के मुकाबले बेसलाइन की तुलना में इसकी एंटीबॉडी प्रतिक्रिया लगभग 1,000 गुना अधिक है।
टीका उम्र के आधार पर दो या तीन खुराक में दिया जाएगा। एचपीवी वैक्सीन की सिफारिश आमतौर पर 11-12 साल की लड़कियों और लड़कों के लिए की जाती है। जबकि 15 साल की उम्र से पहले खुराक लेने वाले बच्चों को दो बार की जरूरत होती है, जबकि अन्य को तीन की जरूरत होती है। वैक्सीन की सिफारिश 26 साल की उम्र तक की जाती है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने अभी तक इस बारे में अधिक विवरण जारी नहीं किया है कि उन्होंने वैक्सीन कैसे विकसित किया।

डॉ. अमित उपाध्याय ने उल्लेख किया कि कंपनी का अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड रहा है और शुरुआती आंकड़ों ने वैक्सीन का अच्छा प्रभाव दिखाया था।

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वैक्सीन की कीमत क्या होगी?

वैक्सीन की कीमत 200-400 रुपये प्रति खुराक के बीच होने की संभावना है, जो कि अन्य विदेशी टीकों की तुलना में काफी कम है। यह रेट अदार पूनावाला ने गुरुवार 1 सितंबर की प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताए थे। जहां मर्क द्वारा एचपीवी वैक्सीन की कीमत 3000 रुपये प्रति खुराक है, वहीं गार्डासिल 9 की भारत में कीमत लगभग 10,000 रुपये है।

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क़मर वहीद नक़वी
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