सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल प्रदेश के नए मुख्यमंत्री होंगे। शिमला में शनिवार शाम को हुई कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक में इसका एलान किया गया। पिछली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे मुकेश अग्निहोत्री को डिप्टी सीएम बनाया गया है। सुखविंदर सिंह सुक्खू और मुकेश अग्निहोत्री रविवार सुबह 11 बजे शपथ लेंगे।
मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में सुखविंदर सिंह सुक्खू के अलावा मंडी से सांसद और प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के अलावा मुकेश अग्निहोत्री का भी नाम चल रहा था। प्रतिभा सिंह ने कहा है कि उन्हें पार्टी हाईकमान का फैसला स्वीकार्य है।
अपने नाम का ऐलान होने के बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि वह सभी को साथ लेकर चलेंगे और हिमाचल प्रदेश को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।
सुखविंदर सिंह सुक्खू राजपूत जाति से आते हैं और हिमाचल प्रदेश में इस जाति के मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है। यह माना जा रहा था कि कांग्रेस राजपूत जाति के किसी नेता के नाम पर ही दांव लगाएगी।![Sukhwinder Singh Sukhu Himachal Pradesh Chief Minister - Satya Hindi Sukhwinder Singh Sukhu Himachal Pradesh Chief Minister - Satya Hindi](https://satya-hindi.sgp1.cdn.digitaloceanspaces.com/app/uploads/10-12-22/639488e006048.jpg)
कौन हैं सुखविंदर सिंह सुक्खू
सुखविंदर सिंह सुक्खू के पास लॉ की डिग्री है और उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई से की थी। वह 1989 में छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए थे और 1998 से 2008 तक हिमाचल प्रदेश में युवा कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। सुखविंदर सिंह सुक्खू 1992 से 2002 तक दो बार शिमला नगर निगम में पार्षद रहे और साल 2008 में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव बने।
सुक्खू नादौन सीट से विधायक चुने गए हैं। वह अब तक चार बार विधायक बन चुके हैं। वह प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं और इस बार हिमाचल प्रदेश कांग्रेस की प्रचार कमेटी के अध्यक्ष थे।
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प्रतिभा सिंह की दावेदारी
प्रतिभा सिंह ने मुख्यमंत्री के पद पर खुलकर दावेदारी की थी और कहा था कि उनके पति और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के परिवार को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उनके बेटे और शिमला ग्रामीण सीट से विधायक विक्रमादित्य सिंह ने भी कहा था कि उनकी मां मुख्यमंत्री पद की दावेदार हैं और वह उनके लिए अपनी सीट छोड़ने के लिए तैयार हैं।
वीरभद्र सिंह हिमाचल में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता थे और इसलिए पूरे राज्य में प्रतिभा सिंह के समर्थकों की भी अच्छी-खासी संख्या है।
प्रतिभा सिंह को मुख्यमंत्री बनाए जाने की स्थिति में कांग्रेस को मंडी संसदीय सीट खाली करवानी पड़ती और इस सीट पर उपचुनाव होता। शायद कांग्रेस इस तरह का रिस्क नहीं लेना चाहती थी।
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