इलेक्टोरल बॉन्ड से चंदा देने के अजीबोगरीब मामले सामने आ रहे हैं। कोविड लॉकडाउन में पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था कराह रही थी तब नयी खुली कंपनियाँ करोड़ों रुपये चंदा दे रही थीं। 2019 में खुली कंपनियाँ भी जब उनकी लाभ-हानि की रिपोर्ट भी नहीं आई होगी, साल भर में ही चंदा देना शुरू कर दिया था। तीन साल से कम समय से अस्तित्व में आई कंपनियों को राजनीतिक चंदा देने की अनुमति नहीं होने के बावजूद वे ऐसा कर रही थीं।
पोल बॉन्ड: कंपनियों ने गठन के 3 साल से पहले ही दे दिया 100 करोड़ चंदा
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- 10 Apr, 2024
इलेक्टोरल बॉन्ड से चंदे दिए जाने को लेकर हर रोज़ एक से बढ़कर एक खुलासे हो रहे हैं। अब तो उन नयी कंपनियों के द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड से चंदा दिए जाने का मामला सामने आया है जिनके गठन के तीन साल भी नहीं हुए थे।

इस तरह का चंदा चुनावी बॉन्ड के माध्यम से भी दिया जा रहा था। द हिंदू ने इलेक्टोरल बॉन्ड के आँकड़ों का विश्लेषण कर यह ख़बर दी है। इसके विश्लेषण से पता चलता है कि कम से कम 20 ऐसी नई बनी कंपनियों ने लगभग 103 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे थे।