272 नागरिकों के एक खुले ख़त में राहुल गांधी पर चुनाव आयोग को बदनाम करने का आरोप लगाया गया। कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि ये लोग सरकार से सवाल पूछने की हिम्मत नहीं रखते।
राहुल गांधी ने हरियाणा वोट चोरी का खुलासा करते हुए इस ब्राजीलियन मॉडल का जिक्र किया
पूर्व जजों, नौकरशाहों, राजनयिकों, खुफिया प्रमुखों और सेना के रिटायर्ड अधिकारियों सहित 272 से अधिक प्रतिष्ठित नागरिकों ने बुधवार को एक खुला पत्र जारी कर राहुल गांधी और कई अन्य विपक्षी नेताओं पर संवैधानिक संस्थाओं को बदनाम करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। पत्र में कहा गया है कि अब चुनाव आयोग को भी 'सुनियोजित और षड्यंत्रपूर्ण' तरीक़े से निशाना बनाया जा रहा है। हालाँकि, उन्होंने ख़त में इस तरह का कुछ ज़िक्र नहीं किया है कि राहुल ने जो आरोप लगाए और सबूत दिए हैं उसकी जाँच होनी चाहिए या नहीं। कांग्रेस ने पूछा है कि इन लोगों में से कितनों के अंदर हिम्मत है कि फ़र्ज़ी पते, फेक आईडी, फ़र्ज़ी फोटो, एक छोटे से घर में सैकड़ों लोगों के रजिस्टर होने पर सवाल उठायें?
बहरहाल, इन नागरिकों ने पत्र में लिखा है, 'कुछ राजनीतिक नेता नीतिगत विकल्प देने की बजाय भड़काऊ और आधारहीन आरोप लगा रहे हैं। पहले सेना, न्यायपालिका और संसद पर ऐसे हमले हो चुके हैं। अब चुनाव आयोग की विश्वसनीयता को नुकसान पहुँचाने की व्यवस्थित साजिश चल रही है।'
राहुल गांधी पर सीधा हमला
पत्र में कहा गया है कि राहुल गांधी बार-बार चुनाव आयोग पर 'वोट चोरी' का आरोप लगा रहे हैं। वे दावा करते हैं कि उनके पास 100% सबूत हैं, लेकिन आज तक न तो कोई औपचारिक शिकायत की, न कोई हलफनामा दाखिल किया।
पत्र में यह भी कहा गया है कि साथ ही कुछ विपक्षी नेताओं ने यह तक कहा कि चुनाव आयोग के अधिकारी रिटायरमेंट के बाद 'खुद को बचाने के लिए भागेंगे'– इसे हस्ताक्षरकर्ताओं ने 'अशोभनीय और धमकी भरा बयान' क़रार दिया।
विपक्ष और एनजीओ पर भी निशाना
पत्र में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं, 'वामपंथी एनजीओ', कुछ पक्षपाती बुद्धिजीवियों और 'अटेंशन सीकर्स' पर भी तीखा हमला किया गया है। पत्र में कहा गया है कि इन सबने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी एसआईआर को लेकर आयोग को बीजेपी की बी-टीम तक बता दिया। इसमें बेशर्मी की सारी हदें पार करने का आरोप लगाया गया।पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों ने लिखा है कि जब कुछ राज्यों में विपक्षी दलों की सरकारें बनती हैं तो चुनाव आयोग की आलोचना एकदम गायब हो जाती है। इसने कहा है कि यह ‘चुनिंदा अवसरवादिता’ साफ दिखती है।
'SIR प्रक्रिया पर आयोग का समर्थन'
पत्र में दावा किया गया है कि चुनाव आयोग ने एसआईआर की पूरी कार्यप्रणाली सार्वजनिक कर दी है-
- कोर्ट द्वारा मान्य तरीक़े से सत्यापन करवाया गया
- अयोग्य नाम हटाए गए
- नए पात्र मतदाताओं को जोड़ा गया
- सभी डेटा पारदर्शी तरीके से उपलब्ध है
- यह कोई छिपी प्रक्रिया नहीं, फिर भी आधारहीन आरोपों का सिलसिला जारी है
अंतरराष्ट्रीय उदाहरण दिया
पत्र में अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे लोकतंत्रों का हवाला देते हुए कहा गया कि दुनिया में कहीं भी फर्जी मतदाता, गैर-नागरिक या अवैध प्रवासियों को वोटिंग का अधिकार नहीं दिया जाता। इसमें कहा गया है, 'हमारी मतदाता सूची की पवित्रता कोई दलगत मुद्दा नहीं, यह राष्ट्रीय अनिवार्यता है। फर्जी और बोगस वोटरों को भारत के भविष्य का फैसला करने का कोई हक नहीं है।'
प्रमुख हस्ताक्षरकर्ता
- सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और एनजीटी के पूर्व अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल
- दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एस.एन. धींगरा
- रॉ के पूर्व प्रमुख संजीव त्रिपाठी
- एनआईए के पूर्व डीजी वाई.सी. मोदी
- केंद्र सरकार के पूर्व सचिव समीरेंद्र चटर्जी
- पूर्व राजदूत भास्वती मुखर्जी, लक्ष्मी पुरी
- कई राज्यों के पूर्व पुलिस महानिदेशक
चुनाव आयोग से अपील
इन नागरिकों ने चुनाव आयोग से कहा-
- पारदर्शिता और सख्ती का रास्ता जारी रखें
- पूरा डेटा सार्वजनिक करें
- जरूरत पड़े तो कानूनी तरीके से अपना बचाव करें
- 'पीड़ित बनने की राजनीति' को सिरे से खारिज करें
पत्र में कहा गया है, “हम देश की जनता और सिविल सोसाइटी से अपील करते हैं कि वह चुनाव आयोग के साथ मजबूती से खड़ी हो और राजनीतिक दलों से मांग करे कि वे बेबुनियाद आरोपों और नाटकीय निंदा से इस महत्वपूर्ण संस्था को कमजोर करना बंद करें।”
यह खुला पत्र ऐसे समय में आया है जब कई राज्यों में विपक्ष लगातार चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहा है।
'चुनाव चोरी' के कैसे-कैसे आरोप लगे?
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने 2024 के लोकसभा चुनावों और उसके बाद हुए राज्य विधानसभा चुनावों में चुनाव आयोग पर 'चुनाव चोरी' के गंभीर आरोप लगाए हैं। गांधी ने दावा किया है कि उनके पास '100% सबूत' हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने इन आरोपों को खारिज कर दिया।राहुल गांधी के आरोप मुख्य रूप से फर्जी मतदाताओं की जोड़तोड़, वोटर लिस्ट में अनियमितताएं, सीसीटीवी फुटेज की हेराफेरी और ईसीआई की भाजपा से सांठगांठ पर केंद्रित हैं।
2024 लोकसभा चुनाव में आरोप
राहुल ने अगस्त 2025 में पहली बार खुलासा किया कि 2024 लोकसभा चुनावों में 'चुनाव चोरी' हुई। उन्होंने कहा कि ईसीआई ने भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए फर्जी वोट डाले। कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में 1,00,250 फर्जी वोट जोड़े गए, जिससे भाजपा की जीत सुनिश्चित हुई।
सबूत का दावा: एक ही पते पर 80 लोगों के नाम दर्ज, डुप्लिकेट एंट्रीज और फर्जी पते। राहुल ने कहा, 'ईसीआई ने क्रिमिनल फ्रॉड किया और भाजपा के साथ मिलकर चुनाव चुराए।'
ईसीआई का जवाब: आयोग ने कहा कि कांग्रेस ने मतदाता सूची संशोधन के दौरान कोई आपत्ति नहीं दर्ज कराई। राहुल को सबूत पेश करने को कहा गया।
हरियाणा चुनावों में '25 लाख वोट चोरी'
5 नवंबर 2025 को बिहार चुनावों से ठीक पहले गांधी ने 'H-फाइल्स' जारी कर हरियाणा चुनावों में '25 लाख वोट चोरी' का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हरियाणा की 2 करोड़ मतदाता सूची में 12.5% (एक में आठवां) फर्जी वोटर थे। इससे कांग्रेस की बड़ी जीत को हार में बदल दिया गया।
सबूत का दावा
- एक महिला के नाम दो बूथों पर 223 बार दर्ज।
- एक ब्राजीलियन मॉडल की फोटो 22 अलग-अलग नामों से इस्तेमाल।
- उत्तर प्रदेश के भाजपा सरपंच का नाम हरियाणा में दर्ज, जो हजारों वोटरों में डुप्लिकेट था।
- एक परिवार ने कहा कि लोकसभा में वोट डाला लेकिन विधानसभा में नाम गायब।
ईसीआई का जवाब: आयोग ने आरोपों को खारिज किया, कहा कि यह 'सेंट्रलाइज्ड ऑपरेशन' नहीं बल्कि सामान्य प्रक्रिया है।
महाराष्ट्र चुनावों में 'रिगिंग का ब्लूप्रिंट'
इसी साल राहुल ने महाराष्ट्र चुनावों को 'चुनाव चोरी का ब्लूप्रिंट' बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि ईसीआई ने 5 महीनों में 5 सालों से ज्यादा वोटर जोड़े, जिससे भाजपा को फायदा हुआ।
सबूत का दावा
- कामठी विधानसभा में बीजेपी की जीत का मार्जिन नए वोटरों की संख्या के बराबर।
- कुल वोटरों की संख्या महाराष्ट्र की वयस्क आबादी से ज़्यादा।
- वोटर टर्नआउट बढ़ाना, फर्जी वोट जहां बीजेपी को ज़रूरत थी।
ईसीआई पर सवाल: आयोग को 5 सवाल पूछे– नए वोटर क्यों जोड़े? फोटो रोल्स क्यों नहीं जारी? राहुल ने कहा, 'यह मैच-फिक्सिंग जैसा है।'
272 नागरिकों के ख़त पर कांग्रेस ने हमला किया है। पार्टी की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, 'सुना है कि कुछ लोगों ने चुनाव आयोग की धांधली का पर्दाफाश करने पर राहुल गांधी की निंदा की है। कौन हैं ये लोग? 140 करोड़ के देश में ये 272 लोग कितने प्रतिष्ठित हैं यह तो नहीं पता - लेकिन बीजेपी रोज़गार एक्सचेंज में आवेदनकर्ता ज़रूर हैं!'
उन्होंने कहा, 'वरना वोट चोरी के इतने सारे सबूत देखकर भी आँखों पर पट्टी बाँधना और उल्टी बात करने वालों में कोई भी पूर्व चुनाव आयुक्त क्यों नहीं है? पुलिस वाले क़ानून व्यवस्था पर बात नहीं कर रहे, पूर्व उच्चायुक्त फेल्ड विदेश नीति पर नहीं बोल रहे हैं, RAW वाले पहलगाम से लेकर दिल्ली बम ब्लास्ट की विफल intelligence पर नहीं बोल रहे हैं, लेकिन सब के सब चुनाव आयोग की पैरवी कर रहे हैं।'
उन्होंने कहा, 'इनमें से कितनों की हिम्मत है यह पूछने की कि चुनाव के बीचोंबीच सरकार पैसे बांटती रही और चुनाव आयोग मूक दर्शक क्यों बना रहा? इनमें से कितनों की हिम्मत है कि चुनाव आयोग की संदिग्ध भूमिका पर सवाल पूछ सकें? इनमें से कितनों की हिम्मत है कि BJP के नेताओं के अलग अलग जगहों पर एक से ज़्यादा वोट डालने पर सवाल उठायें?'