loader
रुझान / नतीजे चुनाव 2024

जम्मू-कश्मीर 90 / 90

कांग्रेस-एनसी
49
बीजेपी
29
पीडीपी
3
अन्य
9

हरियाणा 90 / 90

कांग्रेस
37
बीजेपी
48
जेजेपी
0
इनेलो
2
अन्य
3

चुनाव में दिग्गज

उमर अब्दुल्ला
NC - गांदरबल

जीत

तारा चंद
Congress - छंब

हार

शहरी सीवर, सेप्टिक टैंक साफ़ करने वाले 92% कर्मी एससी, एसटी, ओबीसी

ऊपर की तस्वीर देखिए। देखने भर से ही सिहरन पैदा हो गई न! सफ़ाई कर्मी गंदगी में डूब जाते हैं। नीचे उतरते ही साँसें अटक जाती हैं। और कई बार तो जान ही चली जाती है। सीवर लाइन की सफ़ाई करते हुए सफ़ाई कर्मियों की मौत की ख़बरें लगातार आती रही हैं। ऐसी मौतों की गिनती तक के लिए अभी तक कोई ठोस काम नहीं हुआ है। हालाँकि, जब तब कुछ आँकड़े ज़रूर बताए जाते हैं। इसका कारण ढूंढने या बचाव के उपाय के लिए नीति बनाने की तो बात ही दूर है। तो सवाल है कि इतना ख़तरनाक काम आख़िर करता कौन है? आख़िर ये लोग कौन हैं?

इस सवाल को अब ढूंढने की कोशिश की गई है। भारत के शहरों और कस्बों में सीवरों और सेप्टिक टैंकों की ख़तरनाक सफ़ाई में लगे लोगों की गणना करने के अपने तरह के पहले प्रयास में, 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 3,000 से अधिक शहरी स्थानीय निकायों से जुटाए गए सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि अब तक प्रोफाइल किए गए 38,000 श्रमिकों में से 91.9% अनुसूचित जाति यानी एससी, अनुसूचित जनजाति यानी एसटी या अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी समुदायों से हैं। द हिंदू ने यह रिपोर्ट दी है। यदि इनको भी अलग-अलग करके देखा जाए तो श्रमिकों में से 68.9% अनुसूचित जाति, 14.7% अन्य पिछड़ा वर्ग, 8.3% अनुसूचित जनजाति तथा 8% सामान्य वर्ग से थे।

ताज़ा ख़बरें

सेप्टिक टैंक, नाली और मल-जल की सफ़ाई कराने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन जारी है। ऐसा इसलिए कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फ़ैसले में मल जल, सीवेज, सेप्टिक टैंक या नाले की सफ़ाई हाथ से करने पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। इसलिए इस काम में मज़दूरों को लगाना ग़ैर-क़ानूनी है। पर इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की धज्ज़ियां उड़ाई जाती रही हैं। सफ़ाई कर्मचाारी आंदोलन की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साल 2014 में इससे जुड़े आयोग से कहा था कि वह पता लगाए कि इस तरह की कितनी मौतें हुई हैं। तब आयोग ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र प्रशासित क्षेत्रों से रिपोर्ट देने को कहा। सिर्फ़ 13 यानी आधे से भी कम राज्यों ने ही रिपोर्ट दी।

हालाँकि, सरकारी की ओर से अख़बारों की कटिंग और इधर-उधर की सूचनाओं के आधार पर जनवरी, 2017 से लेकर 2018 के आख़िरी के महीनों तक सीवर लाइन में मरने वालों की संख्या 123 बताई गई थी। यह रिपोर्ट नेशनल कमीशन फॉर सफ़ाई कर्मचारी ने तैयार की थी। लेकिन दिक्कत यह है कि इस संख्या का आधार ठोस नहीं है। 29 राज्यों और सात केंद्र शासित प्रदेशों में से सिर्फ़ 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने आँकड़े भेजे थे। तब मैग्सेसे अवार्ड जीतने वाले बेज़वादा विल्सन की संस्था सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन ने सरकार के आँकड़ों को ग़लत बताया था और इसकी संख्या 300 बताई। संस्था ने यह दावा सफ़ाई कर्मचारियों की मौत के आँकड़ों और उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर किया था। 

हालाँकि बाद में संसद में पेश सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2019 और 2023 के बीच देश भर में कम से कम 377 लोगों की मौत सीवर और सेप्टिक टैंकों की खतरनाक सफाई से हुई है।
सीवर और सेप्टिक टैंक कर्मचारियों की प्रोफाइलिंग सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा अपने नमस्ते कार्यक्रम के तहत की जा रही है। यह सीवर के सभी कामों को मशीनीकृत करने और खतरनाक सफाई कार्य के कारण होने वाली मौतों को रोकने की एक योजना है।

2023-24 में इस योजना को मैनुअल स्कैवेंजर्स के पुनर्वास के लिए स्व-रोजगार योजना की जगह लाया गया था।

केंद्र सरकार का तर्क है कि देश भर में मैनुअल स्कैवेंजिंग एक प्रथा के रूप में समाप्त हो गई है और अब जिस चीज को ठीक करने की जरूरत है, वह है सीवर और सेप्टिक टैंकों की खतरनाक सफाई। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार मंत्रालय का कहना है कि नमस्ते कार्यक्रम का लक्ष्य “सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई से सीधे जुड़े कर्मचारी हैं, जिनमें डीस्लजिंग वाहनों के ड्राइवर, हेल्पर, मशीन ऑपरेटर और क्लीनर शामिल हैं'। इसका लक्ष्य राष्ट्रव्यापी गणना अभ्यास में ऐसे कर्मचारियों की पहचान करना, उन्हें सुरक्षा प्रशिक्षण और उपकरण देना और पूंजीगत सब्सिडी देना है, जिससे सीवर और सेप्टिक टैंक के कर्मचारी स्वच्छता उद्यमी बन सकें।

देश से और ख़बरें

रिपोर्ट के अनुसार आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय का अनुमान है कि पाँच लाख की शहरी आबादी के लिए 100 कोर सफाई कर्मचारी हैं।

केरल, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर सहित बारह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने प्रोफाइलिंग प्रक्रिया पूरी कर ली है, जबकि आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सहित 17 राज्यों में यह प्रक्रिया अभी भी जारी है। छत्तीसगढ़, मेघालय और पश्चिम बंगाल उन राज्यों में शामिल हैं, जिन्होंने अभी तक प्रोफाइलिंग प्रक्रिया शुरू नहीं की है। तमिलनाडु और ओडिशा एसएसडब्ल्यू के लिए अपने खुद के कार्यक्रम चला रहे हैं, और इस कार्यक्रम के तहत केंद्र को डेटा रिपोर्ट नहीं कर रहे हैं।

पिछली एसआरएमएस योजना के तहत सरकार ने 2018 तक 58,098 हाथ से मैला ढोने वालों की पहचान की थी। तब से इसने जोर देकर कहा है कि किसी अन्य हाथ से मैला ढोने वाले की पहचान नहीं की गई है। इसने दावा किया है कि हाथ से मैला ढोने की 6,500 से अधिक शिकायतों में से किसी की भी पुष्टि नहीं की जा सकी।

ख़ास ख़बरें

पहचाने गए हाथ से मैला ढोने वालों में से सरकार ने कहा है कि उसके पास 43,797 की सामाजिक श्रेणियों का डेटा है, जो दिखाता है कि उनमें से 97.2% एससी समुदायों से थे। एसटी, ओबीसी और अन्य की हिस्सेदारी लगभग 1% थी।

मंत्रालय के रिकॉर्ड से पता चला है कि 2018 तक हाथ से मैला ढोने वालों के रूप में पहचाने गए सभी 58,098 लोगों को 40,000 रुपये का एकमुश्त नकद हस्तांतरण दिया गया था। जबकि उनमें से 18,880 ने वैकल्पिक व्यवसायों में कौशल प्रशिक्षण का विकल्प चुना था।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें