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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सोमवार को संसदीय समिति की बैठक में जाते हुए

अग्निपथः योजना के खिलाफ विपक्ष एकजुट, मनीष तिवारी का अजीब रवैया

अग्निपथ योजना को लेकर बुलाई गई रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की बैठक में विपक्षी दलों के नेताओं ने साफ-साफ कहा कि स्कीम वापस होना चाहिए। इस संबंध में विपक्ष ने राजनाथ को एक ज्ञापन भी सौंपा। इस बैठक में कांग्रेस के मनीष तिवारी भी थे। उन्होंने पहले अग्निपथ योजना का विरोध किया था लेकिन सोमवार को विपक्षी दलों के पत्र पर हस्ताक्षर से मना कर दिया। इस घटनाक्रम से कांग्रेस की काफी किरकिरी भी हो रही है। कहां तो अग्निपथ योजना समेत तमाम मुद्दों पर विपक्षी एकता के दावे किए जा रहे थे।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी पार्टी को अक्सर अपने बयानों से मुश्किल में डालते रहे हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को संसदीय समिति को अग्निपथ के बारे में जानकारी दे रहे थे।

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तिवारी ने जुबानी अग्निपथ योजना के विरोध का समर्थन किया था। लेकिन बैठक में उन्होंने सोमवार को कहा कि वह आधुनिकीकरण के पक्ष में हैं लेकिन अग्निपथ के क्रियान्वयन के खिलाफ हैं। सूत्रों के बावजूद इसके बावजूद, उन्होंने विपक्ष के ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। तिवारी ग्रुप 23 के नेताओं में से एक हैं, जो कई मौकों पर पार्टी की आलोचना कर चुके हैं। तिवारी ने अपनी नई पुस्तक में 26/11 के आतंकवादी हमलों को लेकर यूपीए सरकार की आलोचना की थी।

Agnipath: Opposition united against scheme, demands withdrawal  - Satya Hindi
विपक्ष के इस ज्ञापन पर कांग्रेस के शक्ति सिंह गोहिल, तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंद्योपाध्याय और सौगत रॉय, एनसीपी की सुप्रिया सुले और राष्ट्रीय जनता दल के एडी सिंह सहित छह विपक्षी सांसदों ने हस्ताक्षर किए।

राजनाथ की अध्यक्षता वाली रक्षा समिति में 20 सदस्य हैं - 13 लोकसभा से और लगभग 7 राज्यसभा से।

पिछले महीने अग्निपथ योजना के लॉन्च होने के बाद बिहार सहित कई उत्तरी राज्यों में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे। एक सप्ताह तक चले इस विरोध को कई विपक्षी दलों ने समर्थन दिया, जिन्होंने इसे वापस लेने की मांग की।

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इस सप्ताह की शुरुआत में, भारतीय वायु सेना ने कहा कि उसे इस योजना के तहत लगभग 7.5 लाख आवेदन प्राप्त हुए हैं। 

क्या है अग्निपथ स्कीम

केंद्र सरकार ने 14 जून को आर्म्ड फोर्सेस में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना का एलान किया था। इस योजना के तहत 17.5 साल से 23 साल के 45000 से 50000 युवाओं को 4 साल के लिए सेना में भर्ती किया जाएगा। केंद्र सरकार ने बताया कि अगले 90 दिनों के भीतर भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी और जुलाई 2023 तक पहला बैच तैयार हो जाएगा। इस योजना के तहत जिन युवाओं का चयन सेनाओं में होगा उन्हें अग्निवीर के नाम से जाना जाएगा और इसमें चयन ऑनलाइन केंद्रीय सिस्टम के जरिए होगा।

अग्निपथ योजना के तहत चयन होने के बाद युवाओं को 6 महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी और फिर उन्हें 3.5 साल के लिए अलग-अलग जगहों पर तैनात किया जाएगा। इस दौरान उनकी तनख्वाह 30000 से शुरू होगी और यह 40000 रुपए तक जाएगी। 

योजना में पीएफ नहीं

इस दौरान उनकी तनख्वाह का 30 फीसद पैसा सेवा निधि प्रोग्राम के तहत रखा जाएगा और सरकार भी इतनी ही राशि का योगदान हर महीने करेगी। हालांकि ये पीएफ नहीं है। इसके अलावा उन्हें भत्ते भी दिए जाएंगे। उन्हें मेडिकल और इंश्योरेंस सेवाओं का भी फायदा मिलेगा। 4 साल की नौकरी पूरी होने के बाद हर जवान के पास ब्याज मिलाकर एक 11.71 लाख रुपए की धनराशि होगी और यह पूरी तरह कर मुक्त होगी। इसके अलावा 48 लाख रुपए का लाइफ इंश्योरेंस कवर भी अग्निपथ योजना के तहत शामिल होने वाले जवानों को 4 साल तक की अवधि के दौरान मिलेगा। 

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क्यों हो रही आलोचना?

इस योजना के आलोचकों का कहना है कि 4 साल नौकरी करने के बाद जब युवक और युवतियां आर्म्ड फोर्सेस से बाहर निकलेंगे तो वह क्या करेंगे, इस बारे में सरकार ने कुछ नहीं कहा है। आलोचकों का कहना है कि 6 महीने की ट्रेनिंग बेहद कम है और आर्म्ड फोर्सेस में ट्रेनिंग के लिए काफी ज्यादा वक्त चाहिए। 

सरकार को क्या फ़ायदा?

बीते कई सालों से पेंशन में दिए जाने वाला पैसा सरकारों के लिए बड़ी चिंता का विषय रहा है। सरकार को इस योजना से एक बड़ा फायदा यह भी है कि पूर्व सैनिकों को दी जाने वाली पेंशन का पैसा भी वह बचा सकेगी। इस योजना के सफल होने पर वार्षिक राजस्व और पेंशन बिल में कटौती होगी और यह कटौती हर साल के रक्षा बजट यानी कि 5.2 लाख करोड़ का आधा होगी।

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