भारतीय वायुसेना के प्रमुख, एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने रक्षा उपकरणों की आपूर्ति में हो रही देरी पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि कई बार सौदों पर हस्ताक्षर करते समय ही यह पता चल जाता है कि संबंधित सिस्टम समय पर उपलब्ध नहीं होंगे। वायुसेना प्रमुख का यह बयान गुरुवार (29 मई) को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सामने आया। जिसमें उन्होंने स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस एमके-1, तेजस एमके-2, और उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) के प्रोटोटाइप में देरी का मुद्दा उठाया। एयर चीफ मार्शल ने ये बातें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में कहीं।


एयर चीफ मार्शल सिंह ने कहा, "कई बार जब हम अनुबंध पर हस्ताक्षर करते हैं, हमें पहले से ही पता होता है कि वे सिस्टम समय पर नहीं आएंगे।" उन्होंने विशेष रूप से तेजस एमके-1 की डिलीवरी में देरी का जिक्र किया और बताया कि तेजस एमके-2 का प्रोटोटाइप अभी तक तैयार नहीं हुआ है। इसके अलावा, स्टील्थ तकनीक पर आधारित एएमसीए लड़ाकू विमान का प्रोटोटाइप भी अभी तक सामने नहीं आया है। यह देरी भारतीय वायुसेना की आधुनिकीकरण योजनाओं के लिए एक बड़ा झटका मानी जा रही है।

तेजस एमके-1 और एमके-2 स्वदेशी रूप से विकसित हल्के लड़ाकू विमान हैं, जो भारत की आत्मनिर्भरता और रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। वहीं, एएमसीए भारत का महत्वाकांक्षी पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ लड़ाकू विमान है, जिसे भविष्य की युद्धक रणनीतियों के लिए तैयार किया जा रहा है। इन परियोजनाओं में देरी से वायुसेना के ऑपरेशन पर असर पड़ सकता है।

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उन्होंने कहा, "हम सिर्फ भारत में रक्षा उत्पादन के बारे में बात नहीं कर सकते, हमें डिजाइनिंग के बारे में भी बात करनी चाहिए। हमें सेना और उद्योग के बीच विश्वास की जरूरत है। हमें बहुत ओपन होना चाहिए। एक बार जब हम किसी चीज के लिए प्रतिबद्ध हो जाते हैं, तो हमें उसे पूरा करना चाहिए। वायुसेना भारत में निर्माण के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रही है।" उन्होंने कहा, "हमें भविष्य के लिए तैयार होने के लिए अभी से तैयार होना होगा। 10 साल में, हमें उद्योग से अधिक उत्पादन मिलेगा, लेकिन हमें आज जो चाहिए, वह हमें आज चाहिए। हमें जल्दी से जल्दी अपने काम को एक साथ करने की जरूरत है।"

भारतीय वायुसेना लंबे समय से अपने पुराने विमान बेड़े, जैसे कि मिग-21, को बदलने के लिए आधुनिक विमानों की जरूरत पर जोर दे रही है। तेजस और एएमसीए जैसी परियोजनाएं इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं, लेकिन उत्पादन और विकास में देरी ने इन योजनाओं को प्रभावित किया है। रक्षा मंत्रालय और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) इन परियोजनाओं को तेज करने के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन आपूर्ति श्रृंखला और तकनीकी चुनौतियों ने प्रगति को धीमा कर दिया है।

वायुसेना प्रमुख के इस बयान ने रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण और समयबद्ध डिलीवरी की आवश्यकता पर बहस को फिर से शुरू कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन देरी को कम करने के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी और उत्पादन प्रक्रिया में सुधार की जरूरत है। सरकार ने हाल के वर्षों में 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान के तहत स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन इन परियोजनाओं को समय पर पूरा करना एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।

एयर चीफ मार्शल सिंह का बयान रक्षा क्षेत्र में जवाबदेही की आवश्यकता को रेखांकित करता है। तेजस और एएमसीए जैसी परियोजनाओं में देरी न केवल वायुसेना की युद्धक क्षमता को प्रभावित करती है, बल्कि भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को भी चुनौती देती है। सरकार और रक्षा उद्योग को मिलकर इन समस्याओं का समाधान करने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी देरी से बचा जा सके।