इतिहास को बदलने की बात बीजेपी ने फिर से दोहराई है। इस बार यह बात ख़ुद गृह मंत्री अमित शाह ने कही है। उन्होंने कहा कि इतिहास को भारत के दृष्टिकोण से लिखे जाने की ज़रूरत है। इसी दौरान उन्होंने कहा कि यदि वीर सावरकर नहीं होते तो 1857 में आज़ादी की पहली लड़ाई को सिर्फ़ एक विद्रोह माना गया होता।
इतिहास बदलेगा! अमित शाह ने क्यों की इसे दोबारा लिखने की बात?
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- 18 Oct, 2019
गृह मंत्री अमित शाह ने क्यों कहा कि इतिहास को फिर से लिखे जाने की ज़रूरत है? क्या इसकी तैयारी चल रही है? और यदि इसे फिर से लिखा जाता है तो इसमें क्या बदलाव होंगे?

फ़ाइल फ़ोटो
बीजेपी लंबे समय से इतिहास के पन्नों को बदलना चाहती है। पार्टी को लगता है कि कुछ ऐसे लोग रहे हैं जिनको सही परिप्रेक्ष्य में पेश नहीं किया गया। सावरकर का ही नाम लें। उनका नाम एक ऐसे व्यक्ति के रूप में दर्ज है जिन्होंने पहले तो आज़ादी के आंदोलन में हिस्सा लिया लेकिन काला पानी की सज़ा होने के बाद अंग्रेज़ों से माफ़ी माँगी और फिर वह आज़ादी की लड़ाई से पूरी तरह अलग हो गए। इतिहास के पन्नों में यह भी दर्ज है कि उन्होंने हिंदू-मुसलिम के बीच विभाजन का काम किया। जबकि बीजेपी का मानना रहा है कि सावरकर शुरू से लेकर आख़िर तक आज़ादी की लड़ाई में जुटे रहे। यही बात बीजेपी को सालती रही है।