गुजरात के मेहसाना जिले में शुक्रवार तड़के एक और बूथ लेवल ऑफिसर यानी बीएलओ की हार्ट अटैक से मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि दिन में सर्वर, इंटरनेट की दिक्कत और तय समय पर काम पूरा नहीं होने के डर से वह रातभर डॉक्यूमेंट अपलोड करने में लगे थे। इससे पहले यूपी के बरेली में एक बीएलओ की मौत की ख़बर आई थी। बरेली के बीएलओ के परिजनों ने भी आरोप लगाया है कि काम का दबाव ज़्यादा था और इससे वे तनाव में थे।

पिछले कुछ दिनों में देश के अलग-अलग हिस्सों में एसआईआर ड्यूटी के दौरान बीएलओ और इससे जुड़े कर्मियों की मौतों का सिलसिला जारी है। यह गुजरात में हार्ट अटैक से चौथी और आत्महत्या सहित पाँचवीं मौत है। गुजरात में इससे पहले तापी में 56 वर्षीया कल्पना पटेल, खेड़ा में 50 वर्षीय रमेश परमार, वडोदरा में 50 वर्षीया उषा सोलंकी की हार्ट अटैक से मौत हो चुकी है। 20 नवंबर को भावनगर के 40 वर्षीय अरविंद वढेर ने एसआईआर के तनाव को जिम्मेदार ठहराते हुए आत्महत्या कर ली थी।
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शुक्रवार तड़के मेहसाना जिले के संतालपुर तालुका के सुदासना गांव में 50 वर्षीय दिनेश रावल को हार्ट अटैक आया। वे स्थानीय प्राथमिक स्कूल में सरकारी शिक्षक थे और एसआईआर के तहत बीएलओ की जिम्मेदारी निभा रहे थे। डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट में परिजनों और सहकर्मियों के हवाले से कहा गया है कि पिछले चार-पांच दिनों से सर्वर और इंटरनेट की समस्या के कारण दिन में काम नहीं हो पा रहा था, इसलिए वे रात भर जागकर दस्तावेज अपलोड करने का काम कर रहे थे। डेडलाइन का भारी दबाव था, जिससे तनाव बढ़ गया था।

गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष दोशी ने एक बयान में कहा, 'हमारे देश में चुनावों को इंडिपेंडेंट और फेयर माना जाता है, लेकिन उन्हें कराने के लिए ज़िम्मेदार लोग लगातार स्ट्रेस में हैं। हर दिन बीएलओ के साथ अजीब घटनाएँ हो रही हैं। यह दिक्कत लोगों से नहीं, बल्कि पॉलिसी से जुड़ी है, और यह सच में बहुत बुरा है।'

यूपी के बरेली में भी बीएलओ की मौत

बरेली जिले के भोजीपुरा ब्लॉक के परधौली प्राथमिक स्कूल में बुधवार को 47 वर्षीय सहायक शिक्षक सर्वेश कुमार गंगवार की ड्यूटी के दौरान ही कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई। सर्वेश की पत्नी प्रभा गंगवार की दो महीने पहले कैंसर से मौत हो गई थी और वे अकेले ही 5 साल के जुड़वा बच्चों की परवरिश कर रहे थे।
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परिजनों के अनुसार अपनी पत्नी की मौत के बाद वे डिप्रेशन में थे। उन्होंने छुट्टी के लिए आवेदन किया था और बीएलओ ड्यूटी से मुक्त करने की गुहार लगाई थी, लेकिन उनकी अर्जी खारिज कर दी गई। टेलीग्राफ़ की रिपोर्ट के अनुसार ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर विवेक शर्मा ने कहा, 'सर्वेश को लोकल हेल्थ सेंटर और फिर हॉस्पिटल ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। उसकी नाक से खून बह रहा था। डॉक्टरों ने उसकी मौत का कारण हार्ट अटैक बताया।'

काम के भारी दबाव का आरोप

पोस्टमॉर्टम हाउस में मौजूद एक अन्य बीएलओ ने टीओआई से बताया, 'हर गांव में 1500 से ज्यादा नामों की जांच, हजारों खराब फॉर्म, ऊपर से लगातार डेडलाइन का दबाव, काम असंभव हो गया है।'

टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में एसआईआर शुरू होने के बाद से यह चौथी मौत है। 50 साल के शिक्षा मित्र विजय कुमार वर्मा की 21 नवंबर को लखनऊ के मलीहाबाद में एसआईआर की कड़ी ड्यूटी के बाद ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई। गोंडा में एसआईआर ड्यूटी पर तैनात असिस्टेंट टीचर विपिन कुमार यादव (40) ने 25 नवंबर को काम के स्ट्रेस की वजह से ज़हर खाकर सुसाइड कर लिया।

फतेहपुर में एसआईआर सुपरवाइजर लेखपाल सुधीर कुमार कोरी ने 25 नवंबर को अपनी शादी से ठीक पहले फांसी लगा ली थी, क्योंकि उन्हें एसआईआर की डेडलाइन पूरी न करने पर सस्पेंड करने की धमकी मिल रही थी।

बंगाल में तकनीकी गड़बड़ियों से हाहाकार

पश्चिम बंगाल में भी बीएलओ भारी परेशानी झेल रहे हैं। बुधवार रात से बीएलओ ऐप में गंभीर तकनीकी ख़राबी आ गई है। कोलकाता उत्तर-दक्षिण, उत्तर-दक्षिण 24 परगना, हावड़ा समेत कई जिलों में फॉर्म अपलोड नहीं हो रहे। बीएलओ की शिकायत है कि 'No records found', 'Try again' जैसे मैसेज आ रहे हैं।
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ईटी की रिपोर्ट के अनुसार सुंदरबन की बीएलओ मिथु धाली ने बताया, 'रात 11 बजे अचानक ऐप बंद हो गया। कहा गया कि अपडेट हो रहा है, 12 बजे तक रुकें। टाइम-बाउंड काम है, डेडलाइन बढ़ाने की मांग की है, लेकिन ऐप ठीक नहीं हो रहा।'

चुनाव आयोग के आँकड़ों के अनुसार गुरुवार दोपहर 3 बजे तक 6.35 करोड़ (82.91%) मतदाता फॉर्म डिजिटाइज हो चुके हैं। कोलकाता उत्तर में सिर्फ़ 58%, दक्षिण में 64% काम पूरा हुआ है। डिजिटाइजेशन की अंतिम तारीख़ 4 दिसंबर है और ड्राफ्ट रोल 9 दिसंबर को प्रकाशित होंगे।

शिक्षक संगठनों और विपक्षी दलों ने मांग की है कि एसआईआर की समय-सीमा बढ़ाई जाए, तकनीकी समस्याओं का तुरंत समाधान हो और बीएलओ पर अनावश्यक दबाव बंद किया जाए। लगातार हो रही मौतों ने पूरे देश में शिक्षक-कर्मचारी वर्ग में आक्रोश पैदा कर दिया है।