अरावली में बंधवाड़ी लैंडफिल साइट
एनजीटी को बताया गया कि कूड़ा डंप करने के लिए एक चीनी कंपनी इको-ग्रीन विटैलिटी नॉन-पब्लिक रिस्ट्रिक्टेड को 12 महीने के लिए 2017 में कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था। लेकिन बाद में यह कॉन्ट्रैक्ट बढ़ता गया। इको ग्रीन ने फरीदाबाद, गुड़गांव, मेवात आदि इलाकों में आबादी के पास डंपिंग साइट बनाई या बनाने की कोशिश की।
ट्रिब्यूनल ने कहा कि पर्यावरण और वन क्षेत्रों में विरासत को बनाए रखने में संबंधित नगर निगम या नगरपालिकाएं नाकाम साबित हुई हैं। उन्होंने पर्यावरणीय मानदंडों को बनाए रखने के लिए कुछ भी नहीं किया। जो कदम उठाए गए हैं, वो नाकाफी हैं। इन इलाकों में कचरे को जलाया जा रहा है जिससे भारी वायु प्रदूषण हो रहा है, जिसका असर न सिर्फ आबादी बल्कि 193 प्रजातियों के पक्षियों, ढेर सारी औषधीय फसलों और असोला भाटी बर्ड सेंक्चुरी पर भी पड़ सकता है। तितलियों की 80 से अधिक प्रजातियां, काला हिरन, गोल्डर सियार और तेंदुआ आदि अरावली से गायब हो रहे हैं। पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्र की रक्षा करना राज्य का कर्तव्य है।