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चीन से वार्ता जारी, पर ज़रूरत के अनुसार कार्रवाई की सेना को छूट

चीन के साथ सीमा विवाद पर बातचीत तो जारी है ही, इसके ही साथ ही सेना को ज़रूरत के हिसाब से स्थिति को देखते हुए सीमा पर कार्रवाई करने को कहा गया है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' ने सूत्रों के हवाले से यह ख़बर दी है। लद्दाख क्षेत्र में विवाद शुरू होने के बाद से ही चीन भी ऐसा ही आक्रमक रुख़ अख़्तियार किए हुए लगता है। एक तरफ़ तो चीन के सैनिक पहले की स्थिति के विपरीत भारत की सीमा में घुस आए व चीन ने बड़ी तादाद में सीमा पर सैनिक तैनात कर दिए हैं वहीं दूसरी तरफ़ राजनैतिक नेतृत्व बातचीत से इस मुद्दे को सुलझाने की बात करता रहा है। 

पिछले महीने जब से लद्दाख क्षेत्र में सीमा विवाद का मुद्दा उठा है तब से दोनों देशों की ओर से कहा जा रहा है कि सैन्य और राजनयिक वार्ता से इस मुद्दे का हल निकाला जाएगा। सैन्य स्तर पर कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है और रिपोर्टें ऐसी आई हैं कि दोनों पक्षों के बीच कई मुद्दों पर सहमति बन गई है। लेकिन इन वार्ताओं के बीच ही ये ख़बरें आती रही हैं कि चीन ने भारत की सीमा से लगते क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सैनिक तैनात कर दिए हैं। 

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हाल ही में ऐसी रिपोर्ट आई है कि बातचीत के दौर के बीच ही हलचल सिर्फ़ लद्दाख में ही नहीं थी, बल्कि चीन से लगती हुई सीमा के सभी तीनों सेक्टरों में भारत और चीन के सैनिकों में मई महीने में हलचल थी। इसका मतलब साफ़ है कि दोनों देशों ने उन क्षेत्रों में सैनिक बड़ी संख्या में सैनिक तैनात करने शुरू कर दिए थे। हालाँकि इन क्षेत्रों में सैनिकों की तैनाती उस तरह की नहीं थी जैसी कि पूर्वी लद्दाख में रही। न ही उस तरह की आक्रामकता थी। दोनों देशों के बीच जो तनाव की घटना हुई वह पूरी तरह पूर्वी लद्दाख में हुई है जो पश्चिमी सेक्टर में है।

इसी बीच अब यह ताज़ा रिपोर्ट आई है कि भारतीय सेना को भी स्थिति के अनुसार क़दम उठाने को कहा गया है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' के अनुसार, सेना के सूत्रों ने कहा है, 'सेना को ज़रूरत और नई परिस्थितियों के अनुसार वहाँ तैनाती के लिए आपातकालीन अधिकार दिए गए हैं। इसके लिए दिल्ली की ओर देखने की ज़रूरत नहीं होगी।' उन्होंने यह भी कहा, 'हमें अपनी ताक़त का प्रदर्शन मौक़े पर करना है। इसके बाद ही वे बातचीत की मेज पर आएँगे।' 

रिपोर्ट के अनुसार, सूत्र ने कहा, 'वे (चीनी) वरिष्ठ सैन्य स्तर (लेफ्टिनेंट जनरल) की एक और दौर की बैठक के लिए तैयार दिखाई देते हैं। हम वरिष्ठ सैन्य स्तर पर वार्ता के एक और दौर पर जाने से पहले पैट्रोलिंग पॉइंट्स 14, 15 और 17 पर डिसइंगेजमेंट का इंतज़ार कर रहे हैं।'

बता दें कि दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में तनाव के बाद 6 जून को बैठक हुई थी। उस बैठक में 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और दक्षिण शिनजियांग सैन्य ज़िला कमांडर मेजर जनरल लियू लिन शामिल थे। उस बातचीत के बाद दोनों देशों ने तय किया है कि वे मौजूदा समस्या का समाधान पहले हुए समझौतों के आधार पर करेंगे। सिक्किम में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैनिक व साजो सामान के जमावड़े के बाद उपजे तनाव को दूर करने के लिए यह फ़ार्मूला निकाला गया है। 

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इधर राजनीतिक स्तर पर भी दोनों देशों के नेता बातचीत की वकालत कर रहे हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को एक वर्चुअल रैली को संबोधित करते हुए कहा: 'जबकि चीन ने वार्ता के माध्यम से (एलएसी) मुद्दे को हल करने की इच्छा व्यक्त की है, हमारा प्रयास भी चीन और भारत के बीच सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत के माध्यम से समस्या का समाधान खोजना है।'

चीन की तरफ़ से भी वार्ता का ऐसा ही बयान आता रहा है। चीन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के सीमा विवाद को लेकर भारत के साथ मध्यस्थता करने के ऑफ़र को ठुकरा दिया था। तब चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों देश आपसी बातचीत के ज़रिये इस मुद्दे को सुलझाने में सक्षम हैं।

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क़मर वहीद नक़वी
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