संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से ठीक पहले विपक्षी इंडिया गठबंधन ने शनिवार को एक अहम वर्चुअल बैठक की। इस बैठक में गठबंधन के 24 दलों के प्रमुख नेताओं ने हिस्सा लिया और आगामी संसद सत्र में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को घेरने की रणनीति पर चर्चा की। यह बैठक लंबे समय बाद इंडिया गठबंधन की पहली साझा रणनीतिक बैठक थी, जिसका उद्देश्य विपक्षी एकजुटता का संदेश देना और संसद में प्रमुख मुद्दों को जोरदार तरीके से उठाना है।

बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी, राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव, समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के तिरुचि शिवा, शिवसेना यूबीटी के उद्धव ठाकरे, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के शरद पवार, झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन, और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) के दीपंकर भट्टाचार्य सहित कई प्रमुख नेता शामिल हुए।
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कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि यह बैठक डिजिटल माध्यम से इसलिए आयोजित की गई क्योंकि कई नेताओं की व्यस्तताओं के कारण वे दिल्ली नहीं पहुंच पाए। हालांकि, उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही दिल्ली में एक फ़िजिकल बैठक भी होगी।

प्रमुख 8 मुद्दों पर सहमति

बैठक में विपक्षी दलों ने 21 जुलाई से 21 अगस्त तक चलने वाले संसद के मानसून सत्र के दौरान उठाए जाने वाले आठ प्रमुख मुद्दों पर सहमति बनाई। इन मुद्दों पर सरकार से जवाब मांगने और संसद में चर्चा कराने की रणनीति तैयार की गई। 

पहलगाम आतंकी हमला मुद्दा

बैठक में पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले पर गहरी चिंता व्यक्त की गई। कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि 140 करोड़ भारतीयों के मान-सम्मान से जुड़ा यह मुद्दा है। हमले के दोषी आतंकी कहाँ गायब हो गए? सरकार ने उन्हें अब तक न्याय के कठघरे में क्यों नहीं लाया? विपक्ष इस मुद्दे पर संसद में जवाब मांगेगा।

ऑपरेशन सिंदूर का मुद्दा

ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सरकार से पारदर्शिता की मांग की जाएगी। प्रमोद तिवारी ने सवाल उठाया कि भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के दौरान अचानक युद्धविराम क्यों किया गया। साथ ही, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत-पाक युद्ध रोकने के दावों पर भी सरकार से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा

बिहार में SIR का मुद्दा

बिहार में चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर प्रक्रिया पर विपक्ष ने सवाल उठाए। तिवारी ने इसे वोटबंदी करार देते हुए कहा कि यह जनता के मताधिकार को खतरे में डालने वाला कदम है। विपक्ष इस प्रक्रिया को रद्द करने की मांग करेगा।

विदेश नीति का मुद्दा

भारत की विदेश नीति पर भी विपक्ष सरकार को घेरेगा। इसमें टैरिफ़ को लेकर अमेरिका से बातचीत, चीन द्वारा अहम खनिजों पर निर्यात पर प्रतिबंध, गजा में नरसंहार का मुद्दा, पाकिस्तान और चीन के साथ संबंध जैसे मुद्दे शामिल हैं।
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कई और मुद्दे

कुछ नेताओं ने परिसीमन प्रक्रिया को लेकर भी सवाल उठाने की बात कही। कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग को प्रमुखता से उठाने का फैसला किया। विपक्ष देश में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध और बेरोजगारी जैसे सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर भी सरकार से जवाब मांगेगा। हालिया अहमदाबाद विमान दुर्घटना को लेकर भी सरकार से जवाब तलब किया जाएगा। बेरोजगारी और महिलाओं की सुरक्षा जैसे मुद्दों को भी प्राथमिकता दी गई है।

विपक्ष की रणनीति

कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह बैठक सौहार्दपूर्ण और एकजुटता वाली थी। इसमें सभी दलों ने एक स्वर में इन मुद्दों को उठाने पर सहमति जताई। उन्होंने जोर देकर कहा कि विपक्ष चाहता है कि संसद सुचारू रूप से चले और सरकार इन मुद्दों पर जवाब दे। साथ ही, विपक्ष ने मांग की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में मौजूद रहें और इन सवालों का जवाब दें।

जयराम रमेश ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर, पहलगाम हमले और ट्रंप के दावों जैसे मुद्दों पर कम से कम दो दिन की चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि संसद में गतिरोध से बचने की जिम्मेदारी सरकार की है।
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आम आदमी पार्टी की अनुपस्थिति

बैठक में आम आदमी पार्टी शामिल नहीं हुई। आप ने पहले ही इंडिया गठबंधन से दूरी बना ली थी और औपचारिक रूप से गठबंधन से अलग होने की घोषणा कर दी। आप सांसद संजय सिंह ने कहा, 'हमारी पार्टी और अरविंद केजरीवाल ने साफ कर दिया है कि हम इंडिया गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं।' हालांकि, आप ने टीएमसी और डीएमके जैसे अन्य विपक्षी दलों के साथ समन्वय बनाए रखने की बात कही। आप के इस कदम से विपक्षी एकजुटता पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।

टीएमसी की भागीदारी

तृणमूल कांग्रेस की भागीदारी ने इस बैठक में विशेष महत्व रखा। टीएमसी नेता की मौजूदगी ने गठबंधन में उनकी पार्टी की अहमियत को फिर से रेखांकित किया। हालांकि, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि टीएमसी का रुख संसद सत्र के दौरान हमेशा गठबंधन के साथ एकजुट रहेगा।

इंडिया गठबंधन की यह बैठक विपक्षी एकता को मजबूत करने और संसद में एकजुट रुख अपनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। यह सत्र हंगामेदार होने की संभावना है, क्योंकि विपक्ष ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए ठोस रणनीति तैयार की है। जयराम रमेश ने कहा कि गठबंधन पूरी तरह एकजुट है और जल्द ही दिल्ली में एक फिजिकल बैठक होगी, जिसमें और विस्तार से रणनीति बनाई जाएगी।