Assembly Election Bypoll results: क्या आप ने बीजेपी के लिए इसके ही गढ़ गुजरात में बड़ी चुनौती पेश कर दी है? गुजरात की विसावदर, पंजाब की लुधियाना, केरल की नीलांबुर सहित 5 सीटों के नतीजे आए। जानिए इन चुनावी नतीजों के राजनीतिक मायने।
आम आदमी पार्टी ने बीजेपी के गढ़ गुजरात के विसावदर में बड़ी जीत हासिल की है। इसके साथ ही इसने पंजाब के लुधियाना वेस्ट विधानसभा उपचुनाव में भी शानदार जीत हासिल की है, जबकि कांग्रेस ने केरल के नीलांबुर सीट पर कब्जा जमाया है। इन उपचुनावों के नतीजों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, खासकर आप की गुजरात में बढ़ती ताक़त ने बीजेपी के लिए चुनौती खड़ी कर दी है।
पूरे देश में उपचुनाव कुल पाँच सीटों पर हुए थे, जिनमें से आप ने दो, जबकि कांग्रेस, बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस ने एक-एक सीट पर जीत दर्ज की। गुजरात की कडी सीट पर बीजेपी ने अपनी पकड़ बरकरार रखी और पश्चिम बंगाल की कालीगंज सीट पर टीएमसी ने जीत हासिल की।
विसावदर में आप की जीत
गुजरात के विसावदर विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार गोपाल इटालिया ने बीजेपी के प्रत्याशी को करारी शिकस्त दी। यह सीट पहले कांग्रेस के पास थी, लेकिन आप ने इस बार 51.3% वोट शेयर हासिल कर न केवल बीजेपी को पीछे छोड़ा, बल्कि कांग्रेस को भी तीसरे स्थान पर धकेल दिया। पहले पाटीदार आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक रहे गोपाल इटालिया ने इस जीत को गुजरात की जनता की जीत क़रार दिया।
विसावदर में आप की जीत को इसलिए भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि यह गुजरात में बीजेपी का गढ़ रहा है। आप ने इस सीट पर शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे के मुद्दों को केंद्र में रखकर प्रचार किया, जिसका स्थानीय मतदाताओं पर गहरा असर पड़ा। आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस जीत को गुजरात में बदलाव की शुरुआत बताया और कहा, 'यह नतीजा दिखाता है कि गुजरात की जनता अब नए विकल्प की तलाश में है।'
लुधियाना वेस्ट में आप का दबदबा बरकरार
पंजाब की लुधियाना वेस्ट सीट पर आप के सांसद संजीव अरोड़ा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए जीत हासिल की। यह सीट 2012 और 2017 में कांग्रेस के पास थी, लेकिन 2022 में आप ने इसे अपने नाम किया था। इस बार भी आप ने अपनी पकड़ बरकरार रखी और 48.7% वोट शेयर के साथ बीजेपी और कांग्रेस को पीछे छोड़ दिया।
लुधियाना वेस्ट एक शहरी क्षेत्र है और आप ने यहाँ बिजली, पानी, और रोजगार जैसे मुद्दों पर जोर दिया। संजीव अरोड़ा ने जीत के बाद कहा, 'यह जीत लुधियाना की जनता के विश्वास का प्रतीक है। हम उनके लिए और बेहतर काम करेंगे।' यह जीत आप के लिए इसलिए भी अहम है, क्योंकि हाल ही में दिल्ली में पार्टी को कुछ राजनीतिक झटकों का सामना करना पड़ा था। जानकारों का मानना है कि यह जीत पंजाब में आप की स्थिति को और मज़बूत करेगी।
नीलांबुर में कांग्रेस की शानदार वापसी
केरल के नीलांबुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने अपनी पकड़ बरकरार रखते हुए जीत हासिल की। कांग्रेस उम्मीद्वार वी.के सजिकुमार ने लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट यानी एलडीएफ़ के प्रत्याशी को हराकर 46.2% वोट शेयर हासिल किया। यह सीट पहले भी कांग्रेस के पास थी और इस जीत ने केरल में पार्टी की स्थिति को और मज़बूत किया है।
कांग्रेस ने नीलांबुर में कृषि, बेरोजगारी, और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्वास जैसे स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित प्रचार किया। जीत के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के. सुधाकरन ने कहा, 'यह जीत हमारी पार्टी की एकता और कार्यकर्ताओं की मेहनत का नतीजा है। हम केरल की जनता के लिए और बेहतर काम करेंगे।' यह जीत कांग्रेस के लिए केरल में विपक्ष की भूमिका को और प्रभावी बनाने का अवसर देती है।
कडी में बीजेपी, कालीगंज में टीएमसी जीती
गुजरात की कडी सीट पर बीजेपी ने अपनी पकड़ बरकरार रखी, जहाँ उनके उम्मीदवार ने 53.1% वोट शेयर के साथ जीत हासिल की। वहीं, पश्चिम बंगाल की कालीगंज सीट पर टीएमसी ने 49.8% वोट शेयर के साथ जीत दर्ज की। इससे ममता बनर्जी की पार्टी की स्थिति और मज़बूत हुई।
इन उपचुनाव नतीजों ने कई अहम संदेश दिए हैं। आप की गुजरात में जीत ने बीजेपी के लिए ख़तरे की घंटी बजा दी है, क्योंकि यह पहली बार है जब आप ने गुजरात में इतनी मज़बूत उपस्थिति दर्ज की है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि आप की यह जीत 2027 के गुजरात विधानसभा चुनावों के लिए माहौल बना सकती है। वहीं, पंजाब में आप की जीत ने पार्टी को फिर से संगठित होने का मौक़ा दिया है।
कांग्रेस की नीलांबुर में जीत ने केरल में उसकी स्थिति को मज़बूत किया है, लेकिन गुजरात में उसका तीसरे स्थान पर रहना चिंता का विषय है। बीजेपी और टीएमसी ने अपनी-अपनी सीटों पर कब्जा बरकरार रखा, जिससे उनकी क्षेत्रीय ताक़त बनी हुई है।
उनचुनाव नतीजों के संकेत
ये उपचुनाव नतीजे भारतीय राजनीति में नए समीकरण बनाएंगे। आप की गुजरात और पंजाब में जीत ने विपक्षी खेमे में उत्साह पैदा किया है, जबकि कांग्रेस की केरल में जीत ने उसे दक्षिण भारत में अपनी स्थिति मज़बूत करने का मौक़ा दिया है। बीजेपी और टीएमसी ने अपनी सीटें बचाकर यह दिखाया कि उनकी क्षेत्रीय पकड़ अभी भी मज़बूत है।
जैसे-जैसे देश 2027 के विधानसभा और 2029 के लोकसभा चुनावों की ओर बढ़ रहा है, ये नतीजे सभी दलों के लिए रणनीति बनाने का आधार बनेंगे। आप और कांग्रेस की जीत ने यह साफ़ कर दिया है कि विपक्ष अब और मज़बूती से उभर रहा है, जबकि बीजेपी के सामने क्षेत्रीय चुनौतियाँ बढ़ रही हैं।