साक्षी मलिक
बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक की आंदोलन के दौरान की फाइल फोटो।
साक्षी ने कहा "ऐसा नहीं है कि हमने आंख मूंदकर उनकी बात मानी, लेकिन हम जानते थे कि महासंघ के भीतर यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ जैसे गंभीर मुद्दे थे। हमारा मानना था कि एक महिला को प्रभारी बनाने से, खासकर बबीता फोगाट जैसी किसी खिलाड़ी को बनाने से महिला खिलाड़ियों को फायदा होगा। सकारात्मक बदलाव होगा। हमें भरोसा था कि वह हमारे संघर्षों को समझेगी लेकिन हमने कभी नहीं सोचा था कि वह हमारे साथ इतना बड़ा खेल खेलेंगी।" साक्षी मलिक ने कहा-"हमने सोचा कि वह विरोध प्रदर्शन में हमारे साथ बैठेंगी और एक साथी पहलवान के रूप में गलत काम के खिलाफ आवाज उठाएंगी।"
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में साक्षी की किताब के अंशों पर रोशनी डाली गई है। जिसमें कहा गया कि उन्हें अपने माता-पिता से फोन पर बात करने के बहाने ब्रृजभूषण के होटल के कमरे में भेजा गया था। लेकिन, बाद में जो हुआ वह उनके जीवन की सबसे दर्दनाक घटनाओं में से एक बन गया है।साक्षी कहती हैं- "बृजभूषण ने मुझे मेरे माता-पिता से फोन पर बात कराई। तब तक मुझे सबकुछ सामान्य लग रहा था। जब मैंने उनसे बात की और उन्हें अपने मैच और अपने मेडल के बारे में बताया। लेकिन मेरे कॉल खत्म करने के ठीक बाद, उसने छेड़छाड़ करने की कोशिश की। मैं उसके बिस्तर पर बैठी हुई थी तो मैंने उसे धक्का दे दिया और रोने लगी।
महिला पहलवानों की पुलिस पिटाई की यह तस्वीर अब इतिहास में दर्ज है और इसे कभी मिटाया नहीं जा सकता। फाइल फोटो
साक्षी मलिक ने किताब में लिखा है- "बचपन में मेरे साथ भी छेड़छाड़ हुई थी, लेकिन लंबे समय तक मैं अपने परिवार को इसके बारे में नहीं बता सकी क्योंकि मुझे लगता था कि यह मेरी गलती थी। मेरे ट्यूशन टीचर मुझे परेशान करते थे। वह मुझे क्लास के लिए अपने पास बुलाते थे।" अजीब समय पर और कभी-कभी मुझे छूने की कोशिश की, मैं अपनी ट्यूशन क्लास में जाने से डरती थी लेकिन मैं अपनी माँ को कभी नहीं बता सकी और यह लंबे समय तक जारी रहा और मैं इसके बारे में चुप रही।'' बाद में साक्षी ने इस घटना के बारे में अपनी मां को बताया।