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बिलकीस बानो: रिहा होने से पहले 1000 से ज्यादा दिन जेल से बाहर रहे थे दोषी

बिलकीस बानो के साथ हुए बलात्कार के मामले में जेल से रिहा किए गए 11 दोषियों में से 10 रिहा होने से पहले 1000 से ज्यादा दिन जेल से बाहर रहे थे जबकि 11वां दोषी 998 दिन बाहर रहा था। ये सभी पैरोल, फरलो या अस्थाई जमानत के नाम पर जेल से बाहर रहे थे। 

बिलकीस बानो के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे इन 11 दोषियों को इस साल 15 अगस्त को रिहा कर दिया गया था। 

दोषियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं। अदालत इन याचिकाओं पर 29 नवंबर को सुनवाई करेगी। 

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द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, गुजरात सरकार के द्वारा सुप्रीम कोर्ट को दिए गए हलफनामे में बताया गया है कि इनमें से एक दोषी जिसका नाम रमेश चांदना है, वह 1576 तक दिन से जेल से बाहर रहा था। इसमें से 1198 दिन वह पैरोल पर जबकि 378 दिन फरलो पर बाहर रहा था। 

जिन 11 लोगों को गुजरात सरकार द्वारा रिहा किया गया था, उनके नाम- जसवंत नाई, गोविंद नाई, शैलेश भट्ट, राधेश्याम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहानिया, प्रदीप मोरढिया, बाकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चांदना हैं। 

गुजरात सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि राज्य सरकार ने सभी दोषियों को उनके अच्छे व्यवहार की वजह से रिहा किया है।

Bilkis Bano case convicts out of jail before release - Satya Hindi

क्या है पैरोल और फरलो?

पैरोल और फरलो के तहत किसी कैदी को हिरासत के दौरान अस्थायी तौर पर रिहा किया जाता है। कैद की कम अवधि के मामलों में अधिकतम एक महीने की पैरोल दी जा सकती है और इसके लिए कैदी को कोई खास वजह (क्यों पैरोल चाहिए) बतानी होती है। जबकि लंबी अवधि की सजा के मामलों में अधिकतम 14 दिनों के लिए फरलो दी जाती है। कैदी को फरलो मांगने के लिए किसी विशेष वजह बताने की जरूरत नहीं होती है। 

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, गुजरात सरकार के हलफनामे से पता चलता है कि हर एक दोषी को औसतन 1176 दिन की छुट्टी पैरोल, फरलो और अस्थाई जमानत के रूप में जेल से मिली।

बिलकीस बानो के साथ 3 मार्च, 2002 को भीड़ द्वारा सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। दुष्कर्म की यह घटना दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका में हुई थी। उस समय बिलकीस बानो गर्भवती थीं। बिलकीस की उम्र उस समय 21 साल थी। 

दोषियों को रिहा करने के गुजरात सरकार के फैसले का जमकर विरोध हुआ था। इस मामले में 6000 से ज्यादा लोगों ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर कहा था कि बिलकीस बानो के दोषियों की रिहाई को रद्द कर दिया जाए।

कौन कितने वक्त तक जेल से रहा बाहर

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, राज्य सरकार के द्वारा सुप्रीम कोर्ट को दिए गए हलफनामे से यह जानकारी सामने आई है कि 11 अभियुक्तों में से कौन सा अभियुक्त कितने वक्त तक जेल से बाहर रहा। 

Bilkis Bano case convicts out of jail before release - Satya Hindi
अखबार के मुताबिक, राधेश्याम शाह नाम के दोषी की रिहाई के लिए पीड़ित और उनके रिश्तेदारों ने मना किया था। इसके अलावा दाहोद के एसपी भी राधेश्याम शाह की रिहाई के पक्ष में नहीं थे। सीबीआई और मुंबई में सीबीआई की एक विशेष अदालत के अलावा एडिशनल डीजीपी (जेल), गोधरा के प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज ने भी राधेश्याम शाह की रिहाई पर आपत्ति की थी। 

गवाहों को धमकियां 

द इंडियन एक्सप्रेस ने अगस्त के महीने में एक रिपोर्ट के जरिये बताया था कि इस मामले के 11 दोषी जेल में रहने के दौरान जब लगातार पैरोल और फरलो पर बाहर रहे थे तो उस दौरान कई गवाहों ने उन्हें धमकियां मिलने की शिकायत पुलिस से की थी।

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राहुल ने बोला था हमला 

गुजरात सरकार ने हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि बिलकीस बानो के साथ हुए बलात्कार के मामले में दोषी पाए गए 11 लोगों को रिहा किए जाने को केंद्र सरकार ने जुलाई में स्वीकृति दे दी थी। हलफनामे में बताया गया था कि राज्य सरकार द्वारा इस साल 28 जून को केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखा गया था जिसे 11 जुलाई यानी दो हफ्ते के भीतर मंत्रालय ने मंजूरी दे दी थी। जबकि सीबीआई और एक विशेष अदालत ने मंजूरी देने का विरोध किया था।

इसे लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला किया है। राहुल ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं के साथ सिर्फ छल किया है। हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि पीड़ित अगर मुसलिम है तो बीजेपी के लिए कोई भी अपराध गंभीर नहीं है। 

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क़मर वहीद नक़वी
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