बीएसएफ जवानों को खराब ट्रेन देने का आरोप
सोशल मीडिया पर राजदीप सरदेसाई के अलावा असंख्य लोगों ने इस मुद्दे को उठाया। एक्स पर यूजर धर्मेश दीक्षित ने लिखा- हमारे सैनिकों के लिए वंदे भारत ट्रेन क्यों नहीं! यह ट्रेन नहीं, बल्कि हमारे सशस्त्र बलों का अपमान है। राजनेता सशस्त्र बलों की वर्दी पहनते हैं, तस्वीरें खींचते हैं और होर्डिंग लगाते हैं! सशस्त्र बलों के नाम पर चुनाव जीतते हैं, उनका श्रेय लेते हैं। लेकिन देखिए कि वे बहादुर जवानों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं... यह अगले स्तर का पाखंड है!
एक्स यूजर राजेंद्र कौशिक एसी ने लिखा- आखिर सैनिक सवाल कर रहे हैं, जनता कब सवाल करेगी! क्या किसी को 2014-15 में मीडिया की वो कहानियां याद हैं, हमारे सैनिकों को सही खाना नहीं दिया जाता, बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं दी जाती आदि! और मोदी को अब अग्निवीर चाहिए! शासन के 11 साल। इसी तरह की प्रतिक्रियाएं बहुत सारे लोगों ने दी है।
बीएसएफ की आपत्ति के बाद भारतीय रेलवे ने चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। आरोप है कि बीएसएफ जवानों को अमरनाथ यात्रा पर ड्यूटी के लिए जाते समय गंदी और जर्जर ट्रेन दी गई। ट्रेन भी 72 घंटे देर से दी गई। इस सिलसिले में एक वीडियो वायरल हुआ और उसके बाद सारा विवाद बढ़ता गया। सोशल मीडिया पर लोगों ने इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया। हालांकि रेलवे ने पहले तो सफाई देकर मामले को रफा-दफा करना चाहा लेकिन सोशल मीडिया पर काफी बदनामी होने को सरकार ने उच्चस्तर पर इस पर कार्रवाई का निर्देश दिया।
सोशल मीडिया पर गुस्सा बढ़ने के बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने फौरन कार्रवाई की और चार रेलवे अधिकारियों को निलंबित करने की घोषणा की। उन्होंने आश्वासन दिया है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए कदम उठाए जाएंगे, ताकि सुरक्षा बलों को सम्मानजनक और सुरक्षित यात्रा सुविधाएं प्रदान की जा सकें। बीएसएफ ने स्पष्ट किया कि जवानों ने कोई हंगामा नहीं किया, बल्कि मुद्दे को आधिकारिक संवाद के जरिए हल किया गया।
बीएसएफ के एक कमांडेंट-स्तर के अधिकारी ने मंगलवार को अगरतला स्टेशन मैनेजर को लिखे पत्र में इस देरी को "अक्षम्य" बताया। इसके अलावा, उन्होंने लिखा कि ट्रेन के कोचों की स्थिति इतनी खराब थी कि उन्हें लंबे समय तक इस्तेमाल न किए जाने का संदेह हुआ। निरीक्षण के दौरान कोचों में कॉकरोच, कीड़े, और गंदगी पाई गई, साथ ही शौचालयों में मानव मल तैर रहे थे और पानी की कमी थी। बीएसएफ ने इस मुद्दे को तुरंत रेलवे अधिकारियों के सामने उठाया। किसी ने इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर भी डाल दिया।
टाइम्स नाउ की एक रिपोर्ट में बीएसएफ सूत्रों के हवाले से बताया गया कि अमरनाथ यात्रा ड्यूटी के लिए एक विशेष ट्रेन की व्यवस्था पहले से की गई थी। इस ट्रेन को त्रिपुरा के उदयपुर रेलवे स्टेशन पर 6 जून 2025 को उपलब्ध कराया जाना था। हालांकि, पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) की ओर से "देरी" के कारण यह ट्रेन 9 जून को शाम 6:30 बजे ही उपलब्ध हो सकी। इस देरी ने त्रिपुरा, गुवाहाटी, मिजोरम और असम से लगभग 1,300 जवानों की 13 कंपनियों की तैनाती को प्रभावित किया। जबकि इन जवानों को 12 जून तक जम्मू-कश्मीर में तैनात किया जाना था।
सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में जर्जर कोचों की स्थिति को दिखाया गया, जिसमें टूटी खिड़कियां और अनुपयोगी बर्थ शामिल थे। इस वीडियो ने सुरक्षा बलों के साथ व्यवहार को लेकर ऑनलाइन बहस छेड़ दी। जाने-माने पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने एक्स पर लिखा, "1,200 बीएसएफ जवान, जो अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा के लिए तैनात किए गए थे, को उदयपुर से जम्मू के लिए 26 घंटे की यात्रा के लिए इतनी खराब स्थिति वाली ट्रेन दी गई थी कि जवानों ने इसमें यात्रा करने से इनकार कर दिया।"
रेलवे ने सफाई देते हुए कहा कि वायरल वीडियो में दिखाए गए कोच रखरखाव के लिए थे और गलती से बीएसएफ की विशेष ट्रेन में जोड़ दिए गए थे। एनएफआर के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी केके शर्मा ने बताया कि ये कोच यात्रियों के उपयोग के लिए नहीं थे और इन्हें अगरतला में ट्रेन से हटा दिया गया। इसके बाद बीएसएफ के लिए बेहतर स्थिति वाली नई ट्रेन की व्यवस्था की गई।
हालांकि एबीपी न्यूज के मुताबिक एक्स पर एक पोस्ट में, पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने कहा था: "यह आरोप कि बीएसएफ को यात्रा के लिए इस प्रकार का कोच उपलब्ध कराया गया था, गलत है। कोच आवश्यक रखरखाव, मरम्मत और सफाई के बाद ही यात्रा के लिए उपलब्ध कराए जाते हैं। यह वीडियो एक बिना जांचे गए कोच का है जिसे मरम्मत के लिए भेजा जा रहा था और यह बीएसएफ बलों की यात्रा के लिए नहीं था।" हालांकि नॉर्थईस्ट फ्रंटियर रेलवे के एक्स हैंडल पर अब यह बयान उपलब्ध नहीं है यानी उसे हटा लिया गया है।