loader

इंदिरा जयसिंह के एनजीओ के ख़िलाफ़ केस दर्ज, कहा - चुप कराने की साज़िश

सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील और पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल इंदिरा जयसिंह और एनजीओ के संस्थापक आनंद ग्रोवर के एनजीओ लॉयर्स कलेक्टिव के ख़िलाफ़ फ़ॉरेन कंट्रीब्यूशन रेग्युलेशन एक्ट (एफ़सीआरए) के उल्लंघन का आरोप लगाकर केस दर्ज किया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एनजीओ के ख़िलाफ़ शिकायत की थी। हालाँकि लॉयर्स कलेक्टिव ने इन आरोपों को पूरी तरह निराधार बताया है। बता दें कि आंनद ग्रोवर इंदिरा जयसिंह के पति हैं।
एनजीओ और उसके ट्रस्टियों ने सरकार के इस क़दम पर आश्चर्य जाहिर करते हुए इसका जोरदार विरोध किया है। उन्होंने सरकार की इस कार्रवाई को उन्हें चुप कराने की साज़िश करार दिया है। एनजीओ का कहना है कि 2016 से ऐसा करने की कोशिश की जा रही है लेकिन ऐसे लोग अपने मंसूबों में सफल नहीं होंगे।
ताज़ा ख़बरें
बता दें कि 2016 में गृह मंत्रालय ने ‘राजनीतिक उद्देश्यों’ के लिए विदेशी योगदान का उपयोग करने के आरोपों में एनजीओ के एफ़सीआरए के लाइसेंस को रद्द कर दिया था। जून में भी एक बार फिर मंत्रालय ने एनजीओ के एफ़सीआरए खाते को छह महीने के लिए बंद कर दिया था। मंत्रालय ने तब एनजीओ से यह भी पूछा था कि आख़िर क्यों न उसका खाता रद्द कर दिया जाए।
एनजीओ को इस साल मई में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नोटिस जारी किया गया था। यह नोटिस एफ़सीआरए का उल्लंघन करने के आरोपों में ‘लॉयर्स वॉयस’ नामक संगठन की ओर से दायर याचिका पर जारी किया गया था।
इसे लेकर एनजीओ ने कहा है कि सीबीआई की ओर से यह केस ‘लॉयर्स वॉयस’ की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के बाद दर्ज कराया गया है। एनजीओ ने कहा है कि ‘लॉयर्स वॉयस’ बीजेपी से जुड़ा एक संगठन है। एनजीओ ने यह भी कहा है कि इसमें नीरज नाम का एक शख़्स शामिल है जो दिल्ली बीजेपी की लीगल सेल का हेड है।
गृह मंत्रालय के आदेश के मुताबिक़, इंदिरा जयसिंह जब यूपीए की सरकार में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल थीं तो उन्होंने एफ़सीआरए के नियमों का उल्लंघन करते हुए विदेशों से धन प्राप्त किया था।
गृह मंत्रालय की जाँच के मुताबिक़, विदेशों से मिले धन के बड़े हिस्से को हवाई यात्राओं, ठहरने और स्थानीय यात्राओं में ख़र्च किया गया। इसके अलावा देश के कई इलाक़ों से संविदा कर्मचारियों को विधेयक का मसौदा बनाने के लिए होने वाली बैठकों, धरने देने और सांसदों के समर्थन में ख़र्च किया गया। मंत्रालय के मुताबिक़, यह बैठकें एचआईवी, एड्स विधेयक के बनाने के संबंध में की गईं। इसके अलावा विदेशों से मिले धन में से 13 लाख रुपये सांसदों या मीडिया के समर्थन में रैलियों, धरनों के आयोजन में, विधेयक का मसौदा बनाने वाली बैठकों में 2009, 2011 और 2014 में ख़र्च किया गया।
देश से और ख़बरें
गृह मंत्रालय को जाँच में यह भी पता चला है कि ग्रोवर ने 2008 में संयुक्त राष्ट्र में स्वास्थ्य मामलों का विशेष दूत नियुक्त किए जाने के बाद विदेशों से मिले धन का यात्राओं में इस्तेमाल किया। यह भी कहा गया है कि 2013 में न्यूयॉर्क में एनजीओ की ओर से डिनर का आयोजन किया गया और इसमें ग्रोवर भी शामिल हुए। मंत्रालय ने कहा कि यह सब कुछ एफ़सीआरए के नियमों के ख़िलाफ़ था।
यह आशंका जताई जा रही है कि क्योंकि इंदिरा जयसिंह कई मुद्दों को लेकर लगातार मुखर रही हैं और सरकार के ख़िलाफ़ खुलकर बोलती रही हैं, इसलिए उनके एनजीओ के ख़िलाफ़ यह कार्रवाई की गई है।
एनजीओ का कहना है कि चूँकि उसके वरिष्ठ वकील मानवाधिकारों, सेकुलरिज़्म और न्यायपालिका की स्वतंत्रता के मुद्दे पर खुलकर बोलते रहे हैं इसलिए उसे निशाना बनाया जा रहा है। इसके अलावा उसने भीमा कोरेगाँव और पश्चिम बंगाल के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के मामले को उठाया था और यह राजनीतिक तौर पर बेहद ही संवेदनशील मामले थे। अब इन मामलों को लेकर ही उसे निशाना बनाया जा रहा है।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें