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चंद्रयान 3 अगले बुधवार को चांद पर उतर सकता है।

चंद्रमा पर उतरने से पहले चंद्रयान-3 की कामयाब परिक्रमा

चंद्रयान-3 का दूसरा और अंतिम डी-बूस्टिंग ऑपरेशन रविवार 20 अगस्त को सुबह सफलतापूर्वक पूरा हो गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने बुधवार को चंद्रमा की सतह पर अंतरिक्ष यान के उतरने से पहले इस महत्वपूर्ण चरण की बारीकी से निगरानी की।

लैंडर विक्रम ने खुद को एक ऐसी कक्षा में स्थापित कर लिया है जहां से चंद्रमा का निकटतम बिंदु 25 किमी और सबसे दूर 134 किमी है। इसरो ने कहा है कि इसी कक्षा से यह बुधवार को चंद्रमा के अज्ञात दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करेगा।

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इसरो ने रविवार को कहा कि "दूसरे और अंतिम डीबूस्टिंग ऑपरेशन ने एलएम कक्षा को सफलतापूर्वक 25 किमी x 134 किमी तक कम कर दिया है। मॉड्यूल को तय लैंडिंग स्थल पर सूर्योदय का इंतजार करना होगा। चांद पर 23 अगस्त, 2023 को करीब शाम पौने छह बजे, यह उतर सकता है।

इसरो के मुताबिक लैंडर विक्रम स्वचालित मोड में चंद्रमा की कक्षा में उतर रहा है। वो कुद निर्णय ले रहा है कि अपने कार्यों को कैसे करना है। शुक्रवार को पहले डी-बूस्टिंग ऑपरेशन के दौरान इसरो के पूर्व प्रमुख के सिवन ने बताया था कि चंद्रयान-3 लैंडर का डिजाइन वही है जो पिछले चंद्रयान-2 मिशन में इस्तेमाल किया गया था। पूर्व इसरो प्रमुख के. सिवन ने कहा- "डिजाइन में कोई बदलाव नहीं हुआ है। चंद्रयान-2 के अवलोकन के आधार पर मिशन में हुई सभी त्रुटियों को ठीक कर लिया गया है।"

बुधवार को चंद्रमा पर सफल लैंडिंग होने पर भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला ऐसा चौथा देश बन जाएगा। अभी तक इस सूची में अमेरिका, रूस और चीन के नाम हैं।


गुरुवार को, लैंडर मॉड्यूल उस प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो गया था जो इसे पृथ्वी से पूरे रास्ते ले गया था। प्रणोदन मॉड्यूल अब महीनों या वर्षों तक पृथ्वी की परिक्रमा करता रहेगा और इसके वायुमंडल का अध्ययन करेगा और बादलों से प्रकाश के ध्रुवीकरण को मापेगा। लैंडर ने गुरुवार को पहली फोटो चांद से भेजी थी।

चंद्रमा पर उतरने के बाद लैंडर विक्रम चंद्रमा की सतह की रासायनिक संरचना का अध्ययन करेगा और पानी की खोज करेगा। इसका जीवनकाल एक चंद्र दिवस है, जो पृथ्वी पर 14 दिनों के बराबर है।

चंद्रयान-3 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से LVM3 रॉकेट द्वारा अंतरिक्ष में लॉन्च किया गया था। इसने 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था।

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इस बीच रूस के लूना 25 मिशन को भी कामयाबी मिल रही है। रूस पिछले 50 वर्षों से चंद्रमा पर मिशन भेज रहा है। लूना 25 का लैंडर बुधवार को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हो चुका है। लूना 25 वहां से चंद्रमा के अंदरुनी हिस्से की एक फोटो भी भेज चुका है। हालांकि एक खराबी की वजह से अब शायद इसके लैंडर के उतरने की तारीख बदल सकती है।
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क़मर वहीद नक़वी
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