छत्तीसगढ़ के कुछ आदिवासी गाँवों में पादरियों और 'धर्मांतरित ईसाइयों' के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने वाले होर्डिंग्स को लेकर विवाद तेज हो गया है। केरल स्थित सिरो-मालाबार चर्च ने इस क़दम की कड़ी निंदा की है और इसे 'दूसरे दर्जे के नागरिकों' के रूप में चिह्नित करने वाला बताया। पूर्वी कैथोलिक चर्चों में सबसे बड़े संगठनों में से एक सिरो-मालाबार चर्च ने कहा कि यह 'विभाजन के बाद देश की सबसे विभाजनकारी सीमा' है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के हालिया फैसले का हवाला देते हुए चर्च ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की मांग की है, जबकि राज्य सरकार इसे आदिवासी संस्कृति की रक्षा का कदम बता रही है।
छत्तीसगढ़ के गाँवों में पादरियों को रोकने के लिए होर्डिंग्स: चर्च ने कहा- 'बाँटने वाला फैसला'
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- 3 Nov, 2025

छत्तीसगढ़ के कई गाँवों में पादरियों की एंट्री रोकने वाले होर्डिंग्स लगाए गए हैं। इस पर केरल के सिरो-मालाबार चर्च ने नाराज़गी जताते हुए कहा कि यह समाज को बाँटने वाला कदम है।

छत्तीसगढ़ के गाँवों में होर्डिंग्स। फोटो साभार: एक्स/@ArtiSharma001
यह विवाद न केवल धार्मिक स्वतंत्रता पर सवाल उठा रहा है, बल्कि हिंदुत्व की बढ़ती आक्रामकता और अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों के बीच तनाव को भी सामने ला रहा है। जुलाई में केरल की दो ननों की गिरफ्तारी ने भी इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर हवा दी थी, जो कथित रूप से धर्मांतरण और मानव तस्करी के आरोपों पर आधारित थी। कहा जा रहा है कि ऐसे क़दम सामाजिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दे रहे हैं, जो आदिवासी क्षेत्रों में पहले से मौजूद तनाव को और गहरा सकता है।




















