छत्तीसगढ़ के कुछ आदिवासी गाँवों में पादरियों और 'धर्मांतरित ईसाइयों' के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने वाले होर्डिंग्स को लेकर विवाद तेज हो गया है। केरल स्थित सिरो-मालाबार चर्च ने इस क़दम की कड़ी निंदा की है और इसे 'दूसरे दर्जे के नागरिकों' के रूप में चिह्नित करने वाला बताया। पूर्वी कैथोलिक चर्चों में सबसे बड़े संगठनों में से एक सिरो-मालाबार चर्च ने कहा कि यह 'विभाजन के बाद देश की सबसे विभाजनकारी सीमा' है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के हालिया फैसले का हवाला देते हुए चर्च ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की मांग की है, जबकि राज्य सरकार इसे आदिवासी संस्कृति की रक्षा का कदम बता रही है।