loader

मुख्य न्यायाधीश ने अभियुक्त से पूछा, क्या तुम बलात्कार पीड़िता से शादी करोगे?

एक दिलचस्प मामले में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस. ए. बोबडे ने एक बलात्कार अभियुक्त से कहा, "यदि तुम शादी करोगे तो हम तुम्हारी मदद कर सकते हैं, यदि तुम ऐसा नहीं करते हो तो तुम्हारी नौकरी चली जाएगी और तुम जेल जाओगे।"

मुख्य न्यायाधीश ने मोहित सुभाष चह्वाण नामक व्यक्ति की ज़मानत याचिका पर सुनवाई के दौरान ये बातें कही। चह्वाण महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिक प्रोडक्शन कंपनी के कर्मचारी हैं, उन पर नाबालिग स्कूली लड़की से बलात्कार करने का आरोप है और पॉक्सो के तहत मुक़दमा चल रहा है। 

ख़ास ख़बरें

क्या है मामला?

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि जब लड़की पुलिस के पास शिकायत लेकर गई, अभियुक्त की माँ ने लड़की से कहा कि वह उससे शादी कर ले सकता है। लेकिन लड़की ने इससे इकार कर दिया था। उसके बाद एक अदालत में एक काग़ज़ पेश किया गया जिसमें यह कहा गया था कि लड़की के 18 साल की होने पर अभियुक्त उससे शादी कर लेगा। वह लड़की 18 की हुई तो अभियुक्त ने शादी करने से इनकार कर दिया। उसके बाद उसके ख़िलाफ़ बलात्कार की शिकायत दर्ज कराई गई।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा "हम शादी का दवाब नहीं डाल रहे हैं। पर यह बताओ को तुम शादी करना चाहते हो या नहीं, वर्ना तुम कहोगे कि हमने शादी के लिए दबाव डाला।"

अभियुक्त ने पहले कहा था कि वह शुरू में शादी करने को तैयार था तो लड़की राजी नहीं हुई, अब वह शादीशुदा है और यह शादी नहीं कर सकता। 

उसके वकील ने मुख्य न्यायाधीश से कहा कि वह याचिकाकर्ता से पूछ कर बताएगा। 

जस्टिस बोबडे ने यह भी कहा कि वे चार हफ़्तों के लिए गिरफ़्तारी पर रोक लगा सकते हैं और याचिकाकर्ता उसके बाद ज़मानत की अर्जी दे सकता है। 

इसके पहले निचली अदालत ने चह्वाण की गिरफ़्तारी पर रोक लगा दी थी, लेकिन हाई कोर्ट ने उसे रद्द कर दिया। 

एक दूसरे मामले में पंजाब के एक व्यक्ति से यही सवाल पूछा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने उसे इस शर्त पर राहत दी थी कि वह छह महीने के अंदर पीड़िता से विवाह कर लेगा। लेकिन मामला यह था कि वह व्यक्ति पीड़िता के साथ रिश्ते में था, उसे शादी का भरोसा दिया था और बाद में मुकर गया था। इस मामले में अदालत ने उसे इस आधार पर राहत दी थी कि वह शादी कर ले। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें