नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने कहा कि सरकार हवाई किराए पर कैप लगा सकती है, लेकिन यह पूरे साल लागू नहीं हो सकता। सरकार कैप क्यों नहीं लगा रही, मंत्री का जवाब पढ़िए।
नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू
दिल्ली हाईकोर्ट तक अनाप-शनाप हवाई किराए पर नाराज़ है, सरकार को किराए पर पाबंदी लगाने का अधिकार भी है, लेकिन केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ऐसी पाबंदी नहीं लगाएँगे। खुद नायडू ने ही यह संसद में कहा है। उन्होंने शुक्रवार को लोकसभा में साफ़ किया कि देश में हवाई किराए पर साल भर कैप लगाना संभव नहीं है।
उन्होंने कहा कि त्योहारी सीजन में मांग बढ़ने की वजह से किराए में उछाल आना स्वाभाविक है और डी-रेगुलेटेड मार्केट अंततः उपभोक्ताओं के हित में ही काम करता है। तो अब लीजिए, हाई कोर्ट द्वारा 40 हज़ार किराए पर आपत्ति जताना भी व्यर्थ गया! दिल्ली हाई कोर्ट ने दो दिन पहले ही कहा था कि केंद्र सरकार ने स्थिति बिगड़ने से पहले कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया जिसके कारण एयर किराए 40000 रुपये तक पहुँच गए।
बहरहाल, केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'त्योहारी मौसम में कुछ खास रूट्स और खास समय पर मांग बहुत बढ़ जाती है, इसलिए किराया बढ़ता है। ये उतार-चढ़ाव मौसमी हैं। किसी सेक्टर पर पूरे साल किराए की कैप लगाना व्यावहारिक नहीं है। बाजार की मांग और आपूर्ति खुद-ब-खुद किराए को नियंत्रित करती है।'
नियंत्रण क्यों नहीं? सरकार की सफाई
इंडिगो संकट के बीच हवाई किराए को नियंत्रित करने की मांग करने वाले एक प्राइवेट मेंबर बिल के जवाब में मंत्री ने यह बात कही। उन्होंने कहा, 'जब डी-रेगुलेशन लाया गया था, उसका मकसद यही था कि सेक्टर बढ़े। जिन देशों में नागरिक उड्डयन क्षेत्र ने असाधारण वृद्धि की है, वहां डी-रेगुलेटेड मार्केट ही था। इससे ज्यादा प्लेयर्स आते हैं, सहयोग बढ़ता है और बाजार की गतिशीलता को काम करने दिया जाता है। अंत में सबसे ज्यादा फायदा यात्री को ही होता है।'
हालांकि मंत्री ने यह भी साफ़ किया कि इसका मतलब यह नहीं कि कंपनियों को खुली छूट है। उन्होंने कहा, 'बाजार भले डी-रेगुलेटेड हो, लेकिन मौजूदा एयरक्राफ्ट एक्ट केंद्र सरकार को असाधारण परिस्थितियों में हस्तक्षेप करने का पूरा अधिकार देता है। जरूरत पड़ी तो किराए की कैप लगाकर यात्रियों को अवसरवादी कीमतों से बचाया जा सकता है।'हाल के दिनों में इंडिगो की बड़ी संख्या में उड़ानें रद्द होने से किराए में भारी उछाल आया है। आम लोगों से लेकर हाई कोर्ट तक बेतहाशा किराए में बढ़ोतरी पर सरकार से सवाल पूछ रहे हैं।
दबाव बढ़ा तो सरकार ने इसे अवसरवादी मूल्य निर्धारण करार देते हुए हस्तक्षेप किया और किराए की स्लैब लागू की थी ताकि एयरलाइंस मनमाने दाम न वसूल सकें। मंत्री ने बताया कि कोविड संकट, महाकुंभ, पहलगाम आतंकी हमले और अब इंडिगो संकट जैसी असाधारण स्थितियों में सरकार ने अपने विशेष अधिकारों का इस्तेमाल कर हस्तक्षेप किया है।
केंद्रीय मंत्री ने ‘फेयर से फुरसत’ योजना का भी ज़िक्र किया, जिसे सभी एयरलाइंस के गठबंधन के साथ मिलकर शुरू किया गया है। इस योजना के तहत देश के 25 रूट्स पर किराए को फिक्स कर दिया गया है। नायडू ने जोर देकर कहा कि किराया नियंत्रण कोई एकतरफा समाधान नहीं है। सरकार को पूरे एविएशन इकोसिस्टम एयरलाइंस, एयरपोर्ट्स और ऑपरेशनल नेटवर्क की लंबी उम्र को भी ध्यान में रखना पड़ता है।
मुद्रास्फीति का तर्क
आँकड़ों के साथ मंत्री ने दावा किया कि मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए भारत में हवाई किराए पिछले वर्षों में वास्तव में कम हुए हैं और ये आम लोगों की पहुँच में हैं।
उन्होंने कहा, 'अगर हम भारत के हवाई किराए को दूसरे देशों से तुलना करें तो वृद्धि दर नकारात्मक है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के हिसाब से वास्तविक किराए में 43 प्रतिशत की कमी आई है। अमेरिका में यह कमी 23 प्रतिशत और चीन में 34 प्रतिशत है, लेकिन भारत में सबसे ज्यादा 43 प्रतिशत है।'एयरलाइंस को निर्देश क्या?
मंत्री ने यह भी बताया कि सरकार ने सभी एयरलाइंस को एक टैरिफ शीट उपलब्ध कराई है जिसमें ऊपरी और निचली सीमा दोनों बताई गई हैं। एयरलाइंस को निर्देश दिया गया है कि टिकट बुकिंग वेबसाइट पर यह जानकारी साफ़ तौर पर दिखाई जाए।
लोकसभा में विपक्ष के सदस्यों ने मौजूदा किराया उछाल को लेकर सवाल उठाए, लेकिन मंत्री ने दोहराया कि लंबे समय में डी-रेगुलेटेड मार्केट ही देश में सस्ती और ज्यादा उड़ानें उपलब्ध कराने का एकमात्र रास्ता है, जबकि जरूरत पड़ने पर सरकार हस्तक्षेप करने में पूरी तरह सक्षम है।