प्रधानमंत्री मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच फ़ोन पर क्या बातचीत हुई, क्या इस पर प्रधानमंत्री मोदी चर्चा से भाग रहे हैं? कांग्रेस ने इस बातचीत को लेकर दावों पर सवाल उठाए हैं और पीएम मोदी की आलोचना की है। पार्टी ने कहा है कि 'हमारा कहना है कि विदेश सचिव ने प्रधानमंत्री के जिस बयान की चर्चा की है, वही बात खुद पीएम मोदी सर्वदलीय बैठक में क्यों नहीं कहते? हम चाहते थे कि प्रधानमंत्री मोदी यही बात संसद के विशेष सत्र में कहें।'

कांग्रेस नेता जयराम रमेश का यह बयान तब आया है जब विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच फोन कॉल पर बात हुई है। उन्होंने कहा कि दोनों राष्ट्राध्यक्षों ने क़रीब 35 मिनट बातचीत की और इस दौरान आतंकवाद और ऑपरेशन सिंदूर पर भी बात हुई। विदेश सचिव ने कहा कि पीएम मोदी ने ट्रंप को साफ़ किया कि 'ऑपरेशन सिंदूर' पाकिस्तान के अनुरोध पर रोका गया था, न कि अमेरिका के दबाव में। उन्होंने कहा कि मोदी ने ट्रंप से यह भी कहा कि भारत ने कभी भी भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता स्वीकार नहीं की है, ना करता है, और ना कभी करेगा।
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बातचीत में ऑपरेशन सिंदूर, आतंकवाद और भारत-पाक के बीच सैन्य तनाव जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई, लेकिन व्यापार समझौतों या मध्यस्थता जैसे विषयों पर कोई बात नहीं हुई। मिस्री ने यह भी कहा कि ट्रंप ने मोदी से कनाडा से लौटते समय अमेरिका रुकने का अनुरोध किया, लेकिन मोदी ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों के कारण असमर्थता जताई।

मध्यस्थता को खारिज करने वाले विदेश सचिव के दावे को कांग्रेस ने लपक लिया। जयराम रमेश ने एक बयान में कहा है, 'ख़ुद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 14 बार यह दावा किया है कि उनकी मध्यस्थता के कारण भारत-पाकिस्तान का युद्ध रुक गया था और उन्होंने दोनों देशों को ट्रेड की बात कही थी। इस दावे पर पधानमंत्री मोदी ने 37 दिनों तक कुछ नहीं कहा। अब आज विदेश सचिव ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच 35 मिनट तक फोन पर बात हुई।'

उन्होंने आगे कहा, 
अच्छी बात है कि प्रधानमंत्री मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच बात हुई है। अब भारत लौटने के बाद प्रधानमंत्री मोदी को एक सर्वदलीय बैठक रखकर इस बातचीत से विपक्ष के नेताओं को अवगत कराना चाहिए, लेकिन हमारा सवाल है कि प्रधानमंत्री मोदी चर्चा से क्यों भाग रहे हैं?
जयराम रमेश
कांग्रेस नेता
उन्होंने कहा कि अभी देखना होगा कि इस बातचीत के बारे में ट्रंप का क्या बयान आएगा, लेकिन हम विदेश सचिव की बात मान रहे हैं। हम तो चाहते हैं कि पीएम मोदी सर्वदलीय बैठक बुलाएँ और ट्रंप से जो बातचीत हुई, उसे दोहरा दें।'

इसके साथ ही उन्होंने पाकिस्तानी फ़ील्ड मार्शल आसीम मुनीर के ट्रंप के साथ मुलाक़ात को लेकर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, 'पाकिस्तानी फील्ड मार्शल आसीम मुनीर को आज व्हाइट हाउस से अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ भोजन करने का निमंत्रण मिला है। आसीम मुनीर ने जनरल रहते हुए आग लगाने वाली एक भड़काऊ बात कही थी, जिसका संबंध सीधा पहलगाम में हुए आतंकी हमले से था।'
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उन्होंने आगे कहा, "अब उसी आसीम मुनीर को व्हाइट हाउस में भोजन के लिए आमंत्रित करना हमारी कूटनीति और प्रधानमंत्री मोदी के लिए एक बहुत बड़ा झटका है। कुछ दिन पहले अमेरिकी सेंट्रल कमांड के चीफ़ माइकल कुरिल्ला ने पाकिस्तान के लिए 'अभूतपूर्व' शब्द का इस्तेमाल किया था, जबकि हम तो कहते हैं पाकिस्तान ही आतंक के लिए जिम्मेदार है।"

बहरहाल, पीएम मोदी जी-7 समिट के लिए कनाडा में हैं। ट्रंप भी इस समिट के लिए आए थे। हालाँकि, इसराइल और ईरान के बीच युद्ध की वजह से वह अचानक ही एक दिन पहले वापस लौट गए। पहले मोदी और ट्रंप की मुलाकात तय थी, लेकिन उनके अपने देश वापस लौटने के बाद पीएम मोदी ने फ़ोन पर ट्रंप से बात की।

ग़ौर करने वाली बात यह भी है कि जी-7 समिट के दौरान पीएम मोदी ने कई वैश्विक नेताओं से मुलाक़ात की और उन सभी के साथ हुई बातचीत की जानकारी ट्वीट से दी। हालाँकि, ट्रंप के साथ हुई बातचीत के बारे में ऐसी कोई जानकारी सामने नहीं आई है।

जयराम रमेश ने कहा, 'यह केवल कांग्रेस की मांग नहीं है, बल्कि देश की जनता को भी यह जानने का हक है कि हमारे प्रधानमंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति से क्या बात की। राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति जैसे मुद्दों पर सभी दलों को एकजुट होना चाहिए।'

कांग्रेस ने यह भी कहा कि सरकार को इस मामले में गुप्त रवैया छोड़कर सभी दलों को विश्वास में लेना चाहिए। पार्टी ने यह सवाल भी उठाया कि क्या सरकार इस मामले को छिपाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस की इस मांग को विपक्ष की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है। विपक्षी दल लंबे समय से सरकार पर विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर कम पारदर्शिता बरतने का आरोप लगाते रहे हैं। इस मांग के जरिए कांग्रेस न केवल सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है, बल्कि अन्य विपक्षी दलों को भी अपने साथ जोड़ने का प्रयास कर रही है।