सरकार कह रही है कि संपूर्ण लॉकडाउन के दौरान भी आपको सब्जी, दूध, दवा और अन्य ज़रूरी चीजों की कोई कमी नहीं होने दी जायेगी। लेकिन लोग मानने के लिये तैयार नहीं हैं।
संपूर्ण लॉकडाउन के बाद भी आज़मगढ़ की सब्जी मंडी में जुटी भारी भीड़।
गली-गली, गांव-गांव और घर-घर तक कोरोना वायरस का ख़ौफ़ है। हर शख़्स मुंह पर मास्क लगाये और इस वायरस के फैलने को लेकर बात करता दिख रहा है। इस वायरस के संक्रमण का ख़तरा वैसे तो सभी जगह है लेकिन घनी बस्तियों, महानगरों की सोसायटियों में, जहां थोड़ी सी जगह में हज़ारों लोग रहते हैं, वहां अगर कोई व्यक्ति संक्रमित हो गया तो, कैसे इतने लोगों को क्वरेंटीन किया जा सकेगा, यह सबसे बड़ी चिंता है।
केंद्र और तमाम राज्य सरकारें लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का मतलब समझा रही हैं। यह भी कहा जा रहा है कि संपूर्ण लॉकडाउन के दौरान भी आपको सब्जी, दूध, दवा और अन्य ज़रूरी चीजों की कोई कमी नहीं होने दी जायेगी। लेकिन बावजूद इसके कुछ लोग मानने के लिये तैयार नहीं हैं। दुकानों, सब्जी मंडी में भारी भीड़ लगी हुई है और यह तब हो रहा है जब देश में संपूर्ण लॉकडाउन का एलान किया गया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा है कि इसे एक तरह से कर्फ्यू ही समझा जाना चाहिए।
सोशल मीडिया पर आप कई फ़ोटो और वीडियो वायरल होते देख रहे हैं जिनमें सब्जी-फलों और दूध की डेयरी में लोग भारी भीड़ लगाये हुए हैं। सरकार बार-बार कह रही है कि ज़रूरत से ज़्यादा सामान मत ख़रीदिये क्योंकि किसी भी स्थिति में आपको ज़रूरी वस्तुएं वह उपलब्ध करवाती रहेगी। लेकिन लोग एक साथ बहुत सारा सामान भर लेना चाहते हैं।
दिल्ली, नोएडा, मुंबई के अलावा छोटे शहरों के जो फ़ोटो सामने आ रहे हैं, उनमें यही दिख रहा है कि लोग बहुत हड़बड़ी में हैं और 15 दिन का सामान एक साथ ख़रीद लेना चाहते हैं। आप उतना ही सामान ख़रीदिए, जितनी आपको ज़रूरत है। कल का सामान कल ख़रीदिए।
वाराणसी के पंचकोशी रोड पर स्थित सब्जी मंडी का यह वीडियो देखिये।
भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है। कोरोना संक्रमित किसी व्यक्ति की रिपोर्ट पॉजिटिव आने तक न जाने वह शख़्स कितने लोगों से मिल चुका होगा और ऐसे में यह वायरस उन लोगों के संपर्क में आये कई लोगों तक पहुंच सकता है। ऐसे में इन सभी लोगों की पहचान करनी होगी। सबकी पहचान कैसे होगी, कैसे सब को क्वरेंटीन करेंगे और कहां करेंगे, यह बहुत बड़ी चिंता की बात है। यही बात सब्जी मंडियों, फलों और दूध की दुकानों में लाइन लगाये लोगों पर भी लागू होती है।
अधिक मात्रा में दूसरे सामान और सब्जियां ख़रीदने से एक और नुक़सान यह है कि दुकानदारों ने क़ीमतें बढ़ा दी हैं। अगर आप ज़रूरत लायक ही सामान ख़रीदेंगे तो दुकानदार ऐसा नहीं कर सकेंगे।
महानगरों की घनी कॉलोनियों में अगर कोई व्यक्ति इस वायरस से संक्रमित मिलता है तो, उस पूरी कॉलोनी, सोसाइटी को सील करना पड़ रहा है। वह व्यक्ति जिस दुकान या जिन जगहों पर गया, उन जगहों के लोगों को क्वरेंटीन करना पड़ेगा। समझिए कि यह बेहद कठिन काम है। क्योंकि भारत विशाल आबादी वाला और बेहद कमजोर स्वास्थ्य सुविधाओं वाला देश है।
ऐसे में लोगों से निवेदन है कि वे अनावश्यक ख़रीदारी न करें। उतना ही सामान लें, जितनी आवश्यकता है और अगर इस वैश्विक महामारी के दौरान हम थोड़ा कम चीजें इस्तेमाल करेंगे तो यह इस वायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई में हमारा बहुत बड़ा योगदान होगा। हम कोरोना वायरस से लड़ाई में लगे उन हज़ारों सफाईकर्मियों, डॉक्टरों और हम तक ज़रूरी सुविधाएं पहुंचाने में दिन-रात जुटे लोगों के लिये इतना तो कर ही सकते हैं कि अनावश्यक ख़रीदारी न करें, दुकानों में भीड़ न लगाएं, बाहर जाएं तो लोगों से दूरी बनाकर रखें और जितना हो सके घर पर ही रहें।