सबसे अहम बात यह है कि कोरोना को नियंत्रित करने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा टेस्टिंग की ज़रूरत होती है, वैसे लोगों में भी जिनमें कोरोना का कोई लक्षण नहीं हो। ऐसे में कोरोना की टेस्टिंग क्या कम की जानी चाहिए? नहीं न? लेकिन ऐसा हो रहा है।
29 अगस्त के बाद से सामान्य तौर पर हर रोज़ 10 से 12 लाख के बीच टेस्टिंग की जाती रही है। इस बीच केवल तीन बार ऐसा हुआ कि टेस्टिंग 10 लाख से कम हुई- 13 सितंबर को 9 लाख 78 हज़ार, 6 सितंबर को 7 लाख 20 हज़ार और 30 अगस्त को 8 लाख 46 हज़ार टेस्टिंग की गई थी। इससे पहले 29 अगस्त को 10 लाख 55 हज़ार टेस्टिंग की गई थी।
इस हिसाब से देखें तो भारत में कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए कहीं ज़्यादा टेस्टिंग की ज़रूरत होगी। ऐसा इसलिए कि भारत की आबादी अमेरिका से 4 गुना से भी ज़्यादा है। ऐसे में भारत में कोरोना जाँच काफ़ी ज़्यादा बढ़ाए जाने की ज़रूरत है।