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करंसी नोट पर कुछ न लिखें, लेकिन ऐसे नोट लीगल टेंडर हैंः केंद्र

भारत में करंसी नोट पर कुछ भी लिख देना आम है। लेकिन भारतीय रुपये को इस तरह गंदा किया जाना गलत है। इसे लेकर फैली तमाम अफवाहों पर भारत सरकार ने स्पष्टीकरण जारी किया है।  केंद्र सरकार ने साफ किया है कि बैंक नोट पर कुछ लिखने का मतलब यह नहीं है कि यह अब वैध मुद्रा (Legal Tender) नहीं है।

रविवार को तमाम वाट्सऐप ग्रुप में यह संदेश वायरल था कि नोट पर कुछ लिख देने से वो नोट अमान्य (Illegal Tender) हो जाता है। उस कथित वायरल संदेश में कहा गया था कि भारतीय रिजर्व बैंक ने नए दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिसके तहत नोट पर लिखने से यह अमान्य हो जाता है। लेकिन यह वायरल संदेश गलत सूचना दे रहा था।

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सरकार ने हालांकि, जनता से करंसी नोट पर कुछ भी लिखने से परहेज करने की भी अपील की, क्योंकि ऐसा करने से यह खराब हो जाता है और इसका जिन्दगी कम हो जाती है।
केंद्र सरकार की एजेंसी पीआईबी ने इस संबंध में स्पष्टीकरण जारी किया। उसने इसे सवाल जवाब के रूप में पेश किया है।
  • सवाल-क्या बैंक नोट पर लिखने से यह अमान्य हो जाता है? 
  • जवाब-नहीं, स्क्रिबलिंग (लिखे हुए) वाले बैंक नोट अमान्य नहीं हैं और लीगल टेंडर बने रहेंगे। स्वच्छ नोट नीति के तहत, लोगों से अनुरोध किया जाता है कि वे करंसी नोटों पर न लिखें क्योंकि यह उन्हें बिगाड़ देता है और उनकी जिन्दगी को कम करता है।
currency notes: do not write anything on it, but such notes are legal tender - Satya Hindi
भारत में हालांकि नोटों पर लिखावट एक बहुत ही आम बात है और कभी-कभी इंटरनेट पर तो कई लाइनें मशहूर भी हो जाती हैं। कई साल पहले किसी ने नोट पर लिखा था - सोनम गुप्ता बेवफा है। इसे लेकर सोशल मीडिया पर सोनम गुप्ता नाम की महिलाएं परेशान हो गईं, क्योंकि हर कोई कमेंट करता था। तमाम लोगों ने सोनम गुप्ता पर मीम बना डाले। सोनम गुप्ता का नाम देखकर कई लोगों ने अपनी कथित गर्ल फ्रेंड के नाम नोटों पर लिख दिए।
आरबीआई की क्लीन (साफ सुथरी) नोट नीति: 1999 में रिजर्व बैंक ने एक नीति घोषित की और जनता से नोटों पर नहीं लिखने का आग्रह किया। उसने कहा कि बैंकों को गंदे और कटे-फटे नोटों के आदान-प्रदान के लिए अप्रतिबंधित सुविधा की व्यवस्था का निर्देश है। इसका मकसद नागरिकों को अच्छी क्वॉलिटी वाले नोट और सिक्के देना है, जबकि गंदे नोटों को चलन से बाहर करना है।
इस घोषणा के बाद बैंकों ने साफ-सुथरे नोटों को बढ़ावा देना शुरू किया। वो ग्राहकों के गंदे या लिखे हुए नोट लाने पर ऐतराज करने लगे लेकिन नोट स्वीकार करना शुरू कर दिया। लेकिन बैंक जुबानी कहते थे कि अगर अब ऐसे नोट लाए गए तो नहीं लिए जाएंगे। इसके बाद लोगों में यह धारणा बन गई कि लिखे हुए नोट अब स्वीकार नहीं होंगे। 
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इसी बीच लोगों ने शरारत शुरू कर दी और इसे आरबीआई की नीति बताने लगे कि आरबीआई ने ऐसे नोट लीगल टेंडर मानने से इनकार कर दिया है। तब सरकार को स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा। बहरहाल, नोट साफ सुथरे ही होना चाहिए और उनकी लंबी उम्र के लिए उन पर कुछ भी नहीं लिखा जाना चाहिए, न ही नोटों को गंदा किया जाना चाहिए।
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क़मर वहीद नक़वी
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