केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि वित्त वर्ष 2022-23 में डिफेंस बजट का 68 फीसदी घरेलू कॉन्ट्रैक्टर्स के लिए रखा जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि भारत अपनी रक्षा कंपनियों (डिफेंस कंपनी) से सेना के सामान आदि खरीदेगा। डिफेंस कंपनियों में प्राइवेट और सरकारी दोनों शामिल हैं।
पिछले रक्षा बजट आवंटन का भारतीय सेना अभी तक 40 फीसदी, वायुसेना 70 फीसदी और नौसेना 90 फीसदी पैसा खर्च कर पाई हैं। बजट दस्तावेजों के अनुसार, रक्षा क्षेत्र के लिए पूंजीगत व्यय परिव्यय वित्त वर्ष 2022 में 13% बढ़कर 1.52 ट्रिलियन रुपये हो गया है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में 1.35 ट्रिलियन रुपये था। कुल मिलाकर, रक्षा मंत्रालय को बजटीय आवंटन लगातार बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा, " बजट का 68 प्रतिशत 2022-23 में घरेलू डिफेंस उद्योग के लिए निर्धारित किया जाएगा, जो पिछले वित्त वर्ष के 58 फीसदी से अधिक है।" निर्मला सीतारमण ने कहा -
हमारी सरकार सशस्त्र बलों के लिए उपकरणों में आयात को कम करने और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
निजी क्षेत्र भी अब सरकार के स्वामित्व वाले रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के सहयोग से सैन्य कंपनियां विकसित कर सकता है। रक्षा बजट में मुख्य रूप से एक बड़ा पूंजीगत खर्च, राजस्व व्यय (छोटे अधिग्रहण और पुर्जों के लिए) और रक्षा पेंशन शामिल हैं। वित्त वर्ष 2021 में, मंत्रालय का पूंजी परिव्यय 1.35 ट्रिलियन रुपये था। उसमें भी नए अधिग्रहण और सैन्य आधुनिकीकरण को लक्ष्य किया गया था।
पिछले वित्त वर्ष में मिले बजट में से सेना ने अपने आवंटन का केवल 40 प्रतिशत खर्च किया है, जबकि भारतीय वायु सेना (IAF) ने लगभग 70 प्रतिशत खर्च किया है। नौसेना ने वित्तीय वर्ष के लिए अपने पूंजीगत परिव्यय का 90 प्रतिशत खर्च किया।
ये पूर्ण स्वामित्व वाली सरकारी कंपनियां हैं- मुनिशन इंडिया लिमिटेड, आर्मर्ड व्हीकल्स निगम लिमिटेड, एडवांस्ड वेपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड, ट्रूप कम्फर्ट्स लिमिटेड, यंत्र इंडिया लिमिटेड और इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड और ग्लाइडर्स इंडिया लिमिटेड।